अफगानिस्तान में तालिबान और सरकारी सैन्य बलों के बीच तेज हुए सँघर्ष के बीच शुक्रवार (6 अगस्त, 2021) को तालिबान ने काबुल में शीर्ष मीडिया अधिकारी की हत्या कर दी। तालिबान के प्रवक्ता और अफगान अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की है।
एक बड़े घटनाक्रम में तालिबान लड़ाकों ने राजधानी काबुल में अफगानिस्तान सरकार के शीर्ष मीडिया और सूचना अधिकारी की हत्या कर दी है। एक अहम तालिबानी कमांडर के मारे जाने की भी खबर है। इसके साथ ही, तालिबान का अल्सपसंख्यक विरोधी चेहरा भी सामने आना लगा है।
संघीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि अफगान सीमावर्ती शहर में ‘नागरिकों की हत्या’ के आरोपित तालिबान के लड़ाकों ने सरकारी मीडिया और सूचना केंद्र के प्रमुख दावा खान मिनापाल (Dawa Khan Minapal) की हत्या कर दी है।
मिनापाल अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता के रूप में भी काम कर चुके थे। यह हत्या उस चेतावनी के कुछ दिनों बाद हुई, जिसमें तालिबान ने कहा था कि वह बढ़े हुए हवाई हमलों के जवाब में प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार मिनापाल राष्ट्रपति गनी के आंतरिक सर्किल के सदस्य थे। वह शुक्रवार की नमाज के लिए घर से निकले थे, जहाँ घात लगाए तालिबान लड़ाकों ने उन्हें मार दिया।
अफगान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता मीरवाइस स्टानिकजई ने कहा, “दुर्भाग्य से क्रूर आतंकवादियों ने एक बार फिर कायरतापूर्ण कृत्य किया है और एक देशभक्त अफगान को शहीद कर दिया।”
20 साल के युद्ध के बाद अमेरिकी सौनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के साथ ही तालिबान ने कथित पश्चिम समर्थक अब्दुल गनी सरकार को हराने के लिए अपना अभियान तेज कर दिया है।
2001 में अफगानिस्तान में काबिज तालिबान सरकार को संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना ने बेदखल कर दिया था। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान लड़ाकों ने अफगान बलों के साथ संघर्ष तेज कर दिया है और अब सरकार समर्थक मिलिशिया को भी निशाना बनाया जा रहा है।
इस बीच अफगान बलों ने एक तालिबान कमांडर, मावलवी मुबारक को मारने का दावा किया है जो तालिबान के विशेष लड़ाकों की ‘रेड यूनिट’ का कमांडर था। हालाँकि तालिबान ने अभी तक मुबारक के मरने की पुष्टि नहीं की है।
रॉयटर्स के मुताबिक, शुक्रवार को कम से कम 10 अफगान सैनिक और उत्तरी जोवजान प्रांत में सशस्त्र ‘अब्दुल रशीद दोस्तम’ मिलिशिया समूह का एक कमांडर मारा गया। सीमावर्ती शहरों पर अपना प्रभुत्व बढ़ा रहे तालिबान ने दो प्रांतीय राजधानियों को भी बंद कर दिया है।
जोवजान प्रांत के डिप्टी गवर्नर अब्दुल कादर मालिया ने कहा, “तालिबान ने इस सप्ताह प्रांतीय राजधानी शेबरघन के बाहरी इलाके में हिंसक हमले किए और भारी झड़पों के दौरान वफादार सरकार समर्थक मिलिशिया बलों का कमांडर मारा गया।”
अमेरिकी सैनिकों की घोषणा के बाद अफगानिस्तान के बड़े इलाकों में बढ़ते कब्जे के साथ ही तालिबान का आतंक भी बढ़ने लगा है। वह अब तक देश के कवि, लेखक, कॉमेडियन सहित कई अहम लोगों को मौत के घाट उतार चुका है।
तालिबान पिछले दिनों अपने कब्जे वाले सीमावर्ती स्पिन बोल्डक इलाके में भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की भी जघन्य हत्या कर चुका है। तालिबान ने मई के बाद अफ़ग़ानिस्तान के ग्रामीण इलाक़ों में कब्ज़े करना शुरू कर दिया था और अब वह प्रांतों की राजधानियों पर भी कब्जे के करीब है।
दक्षिण अफ़ग़ानिस्तान में स्थित नीमरूज़ प्रांत के उप गवर्नर मोहम्मद नबी बराहुई का कहना है कि ‘कंग’, नीमरूज़ प्रांत का चौथा शहर है जिस पर तालिबान ने क़ब्ज़ा कर लिया है। शहर में तालिबान के साथ संघर्ष में कम से कम 20 अफ़ग़ान सैनिक मारे गए हैं और 15 को तालिबान ने बन्दी बना लिया है।
इससे पहले तालिबान दलाराम, ख़ाशरूद और चख़ांसूर शहरों पर क़ब्ज़ा कर चुका हैं। एक अन्य प्रांतीय परिषद के सदस्य ने कहा कि जोज्जान के 10 में से नौ जिले अब तालिबान के नियंत्रण में हैं और शेबरगान को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष जारी है।
इसके अलावा, लश्कर गाह की राजधानी को नियंत्रित करने के लिए एक सप्ताह से चल रही लड़ाई के और तेज हो गई है। लश्कर गाह में अफगान बलों की स्थिति गंभीर है और अफगान सरकार कभी भी अपनी पहली प्रांतीय राजधानी खो सकती है।
लश्कर गाह के केंद्र में खुफिया मुख्यालय और इसकी मुख्य जेल के आसपास भीषण लड़ाई चल रही है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि तालिबान जेल में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वो कुछ कैदियों को बाहर निकाल सकें, जिनमें तालिबान बंदी भी शामिल हैं।
अफ़ग़ानिस्तान में लगातार जीत की ओर बढ़ रहे तालिबान का क्रूर चेहरा भी सामने आने लगा है। कई क्षेत्रों में क़ब्ज़े के दौरान आम लोगों के जनसंहार और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ तालिबान की घृणा भी अब स्पष्ट नज़र आने लगी है।
रिपोर्ट के अनुसार तालिबान ने अपने पक्तिया प्रांत में स्थित अपने कब्जे वाले चमकानी इलाक़े के गुरुद्वारा थाला साहिब की छत से सिखों के पवित्र ध्वज निशान साहिब को उतार दिया है। इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे पर श्री गुरु नानक देव भी गए थे।
इसी गुरुद्वारे से बीते साल निदान सिंह सचदेवा नाम के सिख युवक का अपहरण कर लिया गया था, अब एक बार फिर से निशान साहिब उतारे जाने के चलते यह गुरुद्वारा चर्चा में है। इससे पहले पिछले वर्ष मार्च में काबुल में एक आतंकी हमले में सिख समुदाय के 30 लोगों की मौत हो गई थी।