उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को देखते हुए आरोप-प्रत्यारोपों के साथ-साथ वादों का दौर भी जारी है। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव जीतने पर राज्य में 3 महीनों के भीतर जाति के आधार पर जनगणना करने का वादा किया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और अगले माह उत्तर प्रदेश समेत पाँच अन्य राज्यों में राज्य सरकार को चुनने के लिए मतदान होगा। 10 मार्च को पाँचों राज्यों के परिणाम आने भी तय हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में जहाँ एक ओर अलग-अलग पार्टियों के नेता चुनाव आते ही रंगों के साथ-साथ पार्टियाँ भी बदल रहे हैं, वहीं सभी राजनीतिक दल जनता को लुभाने के लिए अपने-अपने अनुसार वादे कर रहे हैं।
हाल ही में भाजपा से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले दारा सिंह चौहान को पार्टी की सदस्यता दिलाते समय सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी और सहयोगी दल एक लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मॉंग कर रहे हैं। आगे अखिलेश ने कहा:
“अगर राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है तो 3 महीनों के भीतर जाति आधारित जनगणना शुरू की जाएगी।”
बता दें इस प्रकार का सुझाव सामने रखने वाली समाजवादी पार्टी कोई पहला राजनीतिक दल नहीं है। पड़ोसी राज्य बिहार में ही विपक्ष में बैठी लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) भी बिहार में एक लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की माँग कर रही है। इसे लेकर कई बार आरजेडी राज्य में सत्ताधारी जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा चुकी है।
जहाँ एक ओर अखिलेश यादव राज्य में सरकार बनाने का दावा और उसके बाद कई वादे भी कर रहे हैं वहीं उत्तर प्रदेश में चुनावों से ठीक पहले नेताओं की स्थिति लुढ़कते लोटों के समान बनी हुई है। कुछ समय पहले भाजपा में टिकट कटने के डर से स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे और उन्होंने दावा किया था कि भाजपा के कई नेता अब पार्टी छोड़ने वाले हैं।
इसके साथ ही हाल ही में सपा के एमएलसी घनश्याम लोधी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं और इस प्रकार की भी बातें सामने आ रही हैं कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव भाजपा के साथ जुड़ सकती हैं। बता दें कि अपर्णा ने वर्ष 2017 में लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ा था परंतु वे हार गई थीं।