फिटनेस के लिए खिलाड़ी खाएँगे सिर्फ हलाल मीट: BCCI के नए डाइट प्लान पर फूटा लोगों का गुस्सा

23 नवम्बर, 2021
हलाल माँस को बढ़ावा देने के नाम पर सोशल मीडिया पर बीसीसीआई का भारी विरोध हो रहा है

खेल समाचार वेबसाइट ‘स्पोर्ट्स तक’ की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारतीय क्रिकेट टीम के नए डाइट प्लान यानी आहार की नई नियमावली के तहत सभी खिलाड़ियों को केवल ‘हलाल माँस’ खाना अनिवार्य होगा।

इसके साथ ही किसी भी खिलाड़ी को कथित तौर पर गाय और सुअर का माँस खाने की अनुमति नहीं होगी। इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया पर बीसीसीआई की खासी आलोचना हो रही है।

देशभर में कई राज्यों में विभिन्न अवसरों पर हलाल माँस को लेकर विवाद होता रहता है। कई संस्थाओं और सरकारी विभागों में भी हलाल माँस की अनिवार्यता को खत्म करने की कई मौकों पर बात हुई है। अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) इस पूरे विवाद को लेकर निशाने पर आ गई है।

शनिवार (20 नवंबर, 2021) को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय टीम के खिलाड़ी सूअर और गाय के माँस का सेवन नहीं कर सकेंगे। इस नए डाइट प्लान के अनुसार भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को स्वस्थ और सेहतमंद रहने के लिए केवल हलाल माँस खाने की अनुमति दी गई है इससे इतर कोई भी खिलाड़ी किसी भी अन्य रूप में भी गाय और सूअर का माँस नहीं खा सकेगा।

सोशल मीडिया पर भारी विरोध 

हालाँकि इस मामले में अब तक बीसीसीआई द्वारा कोई आधिकारिक सूचना साझा नहीं की गई है, परंतु यह खबर सोशल मीडिया पर खासी वायरल हो रही है और लोग इस मामले में बीसीसीआई की आलोचना भी कर रहे हैं।

भाजपा के प्रवक्ता एवं वरिष्ठ वकील गौरव गोयल ने भी इस विषय में ट्वीट करते हुए लिखा कि बीसीसीआई को हलाल को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। एक अन्य ट्वीट में गोयल ने यह भी लिखा कि बीसीसीआई को यह याद रखना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड, भारत में स्थापित है न कि पाकिस्तान में।



इसके साथ ही ट्विटर पर कई लोगों ने #BCCI_Promotes_Halal का हैशटैग भी चलाया और इस विषय में अपना विरोध दर्ज कराया। लोगों ने इस पर सवाल उठाया है कि समान अधिकारों वाले देश में इस प्रकार हलाल को हिंदू और सिख खिलाड़ियों पर थोपने का प्रयास क्यों किया जा रहा है।



बता दें कि ‘हलाल’ एक इस्लामिक प्रक्रिया है, इसमें जानवरों के माँस को काटने और बनाने के भी कुछ नियम शामिल हैं, जिसमें जानवर को मारने और माँस को पकाने की पूरी प्रक्रिया एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा ही की जानी होती है। साथ ही इसमें जानवर को मारते समय क़ुरान की कुछ आयतों को भी पढ़ा जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा बनाए गए माँस को ही हलाल सर्टिफाइड माना जाता है।



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