भूपेश बघेल ने नक्सलियों से की RSS की तुलना, सावरकर के खिलाफ भी उगला जहर

13 अक्टूबर, 2021
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साधा आरएसएस और सावरकर पर निशाना

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। बघेल द्वारा पुनः ऐसा ही एक बयान दिया गया है, जो सोशल मीडिया पर खासा चर्चित है। इसमें भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना नक्सलियों से की है।

कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के कवर्धा क्षेत्र में हुई हिंसा को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और कई अन्य हिंदू संगठन भारी विरोध कर रहे हैं। इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए आरएसएस की तुलना नक्सलियों से की और कहा:

“छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों तक भाजपा का शासन रहा। इस बीच आरएसएस वाले बंधुआ मजदूर की तरह काम करते रहे। आज भी इनकी नहीं चलती, सब कुछ नागपुर से संचालित होता है। ठीक वैसे ही जैसे नक्सलियों के नेता आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हैं। यहाँ के लोग केवल गोली चलाने और गोली खाने का काम करते हैं। आरएसएस की भी यही स्थिति है, यहाँ आरएसएस का कोई वजूद नहीं है, जो कुछ है नागपुर से ही चलता है।”


साथ ही मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों को केवल दो चीजें आती हैं। एक धर्मांतरण और दूसरी सांप्रदायिकता। ये लोग हर छोटी-मोटी बात को सांप्रदायिक बना देते हैं, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

बघेल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण एक लंबे समय से व्यापार और बाज़ार बंद था। अब जब बाज़ार खुला है तो ये लोग दंगा भड़का कर शहरों में उपद्रव पैदा करना चाहते हैं।


सावरकर पर भी साधा निशाना 

इसके साथ ही मुख्यमंत्री बघेल ने सावरकर पर भी निशाना साधा और कहा कि सेल्यूलर जेल में रहने के दौरान सावरकर ने दया याचिका लगाई थी और वह भी केवल एक बार नहीं आधा दर्जन बार। बघेल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बात का भी खंडन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि सावरकर ने गाँधी के कहने पर अंग्रेज़ों के सामने दया याचिका रखी थी। 

इस से आगे मुख्यमंत्री बघेल ने यह भी कहा कि सावरकर ने माफी माँगने और जेल से छूटने के बाद साड़ी ज़िंदगी अंग्रेज़ों के साथ बिताई और अंग्रेज़ों के ‘फूट डालो राज करो’ के सिद्धांत में उनका साथ दिया।

बघेल ने सावरकर को विभाजन का दोषी बताते हुए कहा कि जेल से बाहर आने के बाद सावरकर ने ही 1925 में पहली बार ‘टू नेशन थ्योरी’ यानी 2 देशों की बात कही थी। इसके उपरांत 1937 में मुस्लिम लीग ने भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया और सावरकर और मुस्लिम लीग दोनों सांप्रदायिक ताकतों ने मिलकर देश के बँटवारे की पृष्ठभूमि का निर्माण किया।



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