बिहार: अंधविश्वास के चलते महादलितों की पूरी बस्ती ने कबूला ईसाई धर्म, साज़िश का संदेह

15 जुलाई, 2021
अन्धविश्वास के चलते गया का पूरा गाँव बना ईसाई

अंधविश्वास के चलते बिहार के गया जिले से महादलितों के धर्म परिवर्तन की एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर के अनुसार, अंधविश्वास के चलते लगभग पूरे के पूरे गाँव के महादलित हिंदुओं ने ईसाई धर्म अपना लिया है।

बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले गाँव के एक बच्चे की तबीयत खराब हो गई थी। डॉक्टरों के इलाज कराने के बाद भी जब बच्चे की तबीयत ठीक नहीं हुई तो बच्चे के परिजनों ने किसी की सलाह पर ईसाई चर्च में सम्पर्क किया। ईसाई धर्म के कुछ लोगों द्वारा दिए गए पानी को पीकर बच्चा ठीक हो गया, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने धर्म परिवर्तन करते हुए ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है।

बिहार के गया शहर के नगर प्रखंड के नैली पंचायत के अंतर्गत एक गाँव है, बेलवा ताँड़। धर्मान्तरण का मामला इसी गाँव में रहने वाले महादलितों की बस्ती से सामने आया है। इस बस्ती में रहने वालों के मुताबिक केवला देवी नाम की महिला के बेटे की कुछ समय पहले अचानक तबियत खराब हो गई थी।

‘पवित्र जल’ पीने से ठीक हुआ बीमार बच्चा

केवला देवी ने डाक्टरों से बच्चे का इलाज़ कराया मगर कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि बेटे की तबीयत दिन ओर दिन बिगड़ती जा रही थी। इस बीच किसी ने महिला को ईसाई धर्म के लोगों के पास जाने की सलाह दी। महिला ने सलाह मान कर ईसाई धर्म क लोगों से मदद माँगी और कुछ ईसाई धर्म के कई लोग उसके गाँव में पहुँचे।

ईसाई पादरियों ने महिला के घर पर कथित तौर पर ‘प्रभु यीशु’ से प्रार्थना की और बीमार बेटे को पीने के लिए पवित्र जल दिया। दावा किया गया कि ऐसा करने से महिला का बेटा ठीक हो गया। इस घटना के बाद बस्ती के महादलित परिवारों में ईसाई धर्म के आस्था बढ़ गई और बस्ती के लोग अपनी छोटी बड़ी हर परेशानी लेकर ईसाइयों के पास जाने लगे।

जिसकी परेशानी दूर होती गई वो हिन्दू धर्म त्याग कर ईसाई धर्म में परिवर्तित होता गया। धीरे-धीरे महा-दलितों की पूरी बस्ती ही ईसाई धर्म मे धर्मांतरित हो गई। दिलचस्प बात ये है कि बस्ती के कई बच्चे जो पहले बीमार रहते थे, ईसाई धर्म मे परिवर्तित होने के बाद बीमार पड़ना बन्द हो गए।

धर्मांतरण की वजह अंध-विश्वास या कुछ और?

जानकार बताते हैं कि पास के ही गाँव वाजिदपुर में हर रविवार को ईसाई समाज के लोगों द्वारा प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता था। बस्ती के महादलितों को उस प्रार्थना सभा मे शामिल होने के लिए बुलाया जाता था। हर रविवार होने वाली ईसाइयों की इस प्रार्थना में बस्ती के सभी महादलित महिला-पुरुष शामिल होते भी रहे हैं।

इसी प्रार्थना सभा में जाने वाले सभी महादलित स्त्री पुरुषों ने धीरे-धीरे हिन्दू धर्म त्याग कर ईसाई धर्म को अपना लिया है। अंदेशा जताया जा रहा है कि इन्हें किसी तरह का लालच, धन या किसी साज़िश के तहत इन लोगों को बहला-फुसला कर ब्रेनवाश किया गया है, जैसा कि ईसाई मिशनरी अतीत में धर्मान्तरण के लिए करते रहे हैं, और अब भी कर रहे हैं।

महिलाओं ने सिंदूर लगाना छोड़ा

धर्म परिवर्तन कर चुकी बस्ती की दलित महिलाओं ने माँग में सिंदूर लगाना भी छोड़ दिया है। मतांतरित महिलाएँ कहती हैं कि ईसाई धर्म मे महिलाएँ सिंदूर नहीं लगातीं। मनाही होने की वजह से बस्ती की महिलाओं ने भी सिंदूर लगाना बन्द कर दिया है। उनका कहना है कि वो जब भी प्रार्थना में जाती है तो स्नान कर बिना श्रंगार और सिंदूर के जाती हैं। हालाँकि, उसके बाद वह अन्य दिनों सिंदूर लगाती हैं।

बस्ती के लोगों का कहना है कि उन्होंने किसी लालच या दबाव में ईसाई धर्म नहीं अपनाया है बल्कि अपनी मर्जी से ईसाई धर्म अपनाया है। उनका कहना है कि किसी के द्वारा उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नहीं किया गया है बल्कि, उन्होंने अपनी मर्जी से हिन्दू धर्म छोड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब हिन्दू देवी देवताओं पर विश्वास नहीं रहा इसलिए अब उन लोगों ने पूजा पाठ भी बन्द कर दिया है।

धर्म परिवर्तन कर चुके बस्ती के महादलित मनोज माँझी का कहना है:

“हम लोग बहुत परेशान रहते थे। कभी बेटा तो कभी बेटी का तबीयत ख़राब रहती थी मगर ईसाई धर्म में आने के बाद सब कुछ ठीक हो गया है।”

मनोज का कहना है कि महादलित होने के कारण पहले भी हिन्दू मन्दिरों में जाने पर रोक थी, जिसकी वजह से पहले भी मंदिर में पूजा पाठ नही करते थे और अब भी नहीं करते हैं।



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