आदिवासी बच्चियों की मौत, NDTV, गाँधी परिवार को फंडिंग... इन सब के केंद्र में बिल गेट्स की संस्था

12 अक्टूबर, 2021
बिल गेट्स के एनजीओ ने आदिवासी बच्चियों पर किए थे अवैध क्लिनिकल ट्रायल

विश्व के सामने एक परोपकारी की छवि बनाकर रखने वाले बिजनेसमैन बिल गेट्स द्वारा दुनिया के कई देशों में अमानवीय उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। बिल गेट्स द्वारा आर्थिक सहायता दिए जाने वाले एक एनजीओ का एक ऐसा ही जघन्य रूप भारत में भी देखने को मिला।

वर्ष 2013 में गठित एक संसदीय समिति ने PATH नामक एनजीओ द्वारा वर्ष 2006 से 2009 के बीच आंध्र प्रदेश राज्य के खम्मम ज़िले में बच्चियों के साथ की गई एक अमानवीय घटना पर रोशनी डाली। इस कुकृत्य में कई बच्चियों की जान चली गई थी।

इस पूरे घटनाक्रम में तत्कालीन सरकार कॉन्ग्रेस एवं एनडीटीवी जैसे मीडिया संस्थानों का भी नाम मुख्य रूप से सामने आता है।

वर्ष 2013 में एक संसदीय समिति के गठन के साथ ही इस गंभीर मामले को लेकर जाँच प्रारंभ हुई। इसमें ह्यूमन पपिल्लोमा वायरस (HPV) को लेकर किए गए कुछ क्लीनिकल ट्रायल यानी औषधि के प्रभावों को देखने के लिए किए गए परीक्षणों की जाँच की गई थी।

इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी के पूर्व प्रमुख बिल गेट्स के बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) द्वारा PATH (प्रोग्राम फॉर एप्रोप्रियेट टेक्नोलॉजी इन हेल्थ) नामक एनजीओ को आर्थिक सहायता दी गई थी।

यह एनजीओ वर्ष 2006 से 2009 के बीच भारत में ये अमानवीय एवं आपराधिक गतिविधियाँ बिना रोक-टोक करता गया, जिनमें आंध्र प्रदेश की कुछ आदिवासी बच्चों की मृत्यु भी शामिल है।


क्या था पूरा मामला 

दरअसल इस एनजीओ ने वर्ष 2006 में भारत के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से संपर्क किया। इन्होंने बताया कि भारत में HPV की दवा उपलब्ध कराई जा सकेगी और यह दवा सर्विकल कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज कर सकेगी।

13 अक्टूबर, 2006 को ICMR और PATH के बीच हुई इस वार्ता के बाद 16 नवंबर, 2006 को दोनों के बीच एक मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (MOU) साइन किया गया, जिसमें यह साफ था कि PATH को भारत में टेस्ट करने की अनुमति दे दी गई। 


इस परीक्षण में आंध्र-प्रदेश के खम्मम ज़िले की कई छोटी बच्चियों को दवा दी गई, जिसके बाद कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मार्च 2010 को विश्व भर के कई मीडिया संस्थाओं ने यह रिपोर्ट छापी कि इस दवा के कारण कई आदिवासी बच्चियों की मृत्यु हो गई थी।

2013 में कमेटी द्वारा जाँच की रिपोर्ट में यह साफ होता है की ICMR और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा PATH को इन परीक्षणों के लिए मान्यता देना कई भारतीय कानूनों के विरुद्ध था। साथ ही साथ, यह कई अंतरराष्ट्रीय नैतिक मापदंडों के हिसाब से भी अनुकूल नहीं था। कमेटी ने कहा कि यह गंभीर सवाल खड़े करने वाला विषय था।

कमेटी ने अपनी जाँच में यह भी पाया की ICMR के अधिकारी इस पूरे मामले में नैतिकता और देश के कानूनों को भूलकर केवल PATH के आदेशों का पालन कर रहे थे। जिनका मकसद केवल दवाई का परीक्षण करना और उसका उत्पादन करके पैसा कमाना था।


कमेटी ने कहा कि पूरे मामले पर ICMR का रवैया निसंदेह गैर ज़िम्मेदाराना था और मंत्रालय को इसके विरुद्ध एक जाँच बिठाने और दोषियों की पहचान करने की आवश्यकता है।

बिना दस्तावेज़ भारत में स्थापित था PATH 

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि PATH नामक यह एनजीओ भारत में बिना अनुकूल दस्तावेजों एवं भारतीय कानूनों की अवहेलना करते हुए कार्य कर रहा था। बता दें कि यह एनजीओ भारत में पूर्ण रूप से पंजीकृत तक नहीं था। 

जब इस विषय में जाँच आगे बढ़ाई गई और देखा गया कि इस प्रकार की संस्था को एक लोकतांत्रिक देश में ऐसे अमानवीय और अपराधिक गतिविधियों के लिए खुली छूट क्यों दी गई तो कई अन्य चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

राजीव गाँधी ट्रस्ट को मिले 70 करोड़ रुपए डोनेशन 

इस एनजीओ द्वारा भारत में चलाई जा रहे इस परीक्षण के पीछे बिल गेट्स की बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) का सीधा हाथ था। रिपोर्ट में यह सामने आया कि इस संस्था ने तत्कालीन सरकार कॉन्ग्रेस के राज में इस कुकृत्य को अंजाम दिया था और इसी समय BMGF द्वारा राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट यानी कि राहुल गाँधी के परिवार को 2012 से 2017 के बीच लगभग ₹70 करोड़ से अधिक का चंदा दिया था।

रिपोर्ट में साफ है कि सितंबर 2012, सितंबर 2013, नवंबर 2015 और नवंबर 2017 को राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट में बिल गेट्स की संस्था द्वारा भारी मात्रा में डोनेशन के रूप में करोड़ों रुपया दिया गया।


NDTV भी अपराध में लिप्त 

तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी के साथ-साथ एक जाना-माना मीडिया हाउस भी इस कृत्य में लिप्त पाया गया। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 में न्यू दिल्ली टेलीविजन यानी (NDTV) को बिल गेट्स की संस्था द्वारा लगभग 6 करोड़ से अधिक का चंदा दिया गया था। यह राशि मार्च 2011 में NDTV को दी गई थी। 


इस समय के बाद से ही लगातार एनडीटीवी द्वारा न केवल बिल गेट्स के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिए जाते थे, बल्कि एनडीटीवी ने HPV वैक्सीन और इसके निर्माताओं का भी खूब प्रचार-प्रसार किया था।

एनडीटीवी द्वारा वर्ष 2014 से 2019 तक कई ऐसे लेख लिखे गए, जिनमें HPV वैक्सीन को सुरक्षित बताते हुए इस दवा का न केवल प्रचार किया गया, परंतु यह मीडिया संस्था एक तरह से बिल गेट्स के एनजीओ की पीआर एजेंसी की तरह काम करती दिखी।


जहाँ एक ओर NDTV देश में चल रही हर छोटी से छोटी बात पर तथ्यात्मक रिपोर्टिंग और सत्य को पारदर्शी रूप से दिखाने का दावा करता है वहीं इतने गंभीर विषय पर जहाँ आदिवासी बच्चियों की मृत्यु तक शामिल है, एनडीटीवी न केवल मौन रहा बल्कि उसने आरोपितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस जघन्य अपराध को अंजाम देने में उनकी सहायता भी की।



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