विभिन्न अवसरों पर स्वयं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कथित समर्थक दिखने वाली महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने हाल ही में एक बार फिर अपना असहिष्णु अवतार दिखाया है। हाल ही में जितेन गजारिया नामक एक व्यक्ति के द्वारा मुख्यमंत्री की पत्नी के विषय में एक टिप्पणी को लेकर उन्हें बिना किसी शिकायत के पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए बुला लिया गया।
महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार, मुख्यतः मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके समर्थक अक्सर उनकी लिबरल छवि दिखाने में व्यस्त रहते हैं। सोशल मीडिया पर उद्धव और महाराष्ट्र सरकार को उनके प्रशंसक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का रक्षक और ‘बेस्ट सीएम’ जैसे उपनामों से भी बुलाते नज़र आते हैं परंतु कई अवसरों पर इसका बिल्कुल विपरीत देखने को मिला है।
उद्धव सरकार ने समय-समय पर न केवल अपनी आलोचना करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की हैं बल्कि कई बार तो उनके समर्थक हिंसक तक हो जाते हैं।
ऐसा ही एक मामला बृहस्पतिवार (6 जनवरी, 2022) को तब सामने आया जब मुंबई पुलिस ने एक जितेन गजारिया नामक व्यक्ति को उनके एक ट्वीट के चलते पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।
गजारिया भाजपा के सोशल मीडिया सेल का हिस्सा बताए जा रहे हैं और उन्होंने 4 जनवरी, 2022 को उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे की एक तस्वीर ट्विटर पर साझा करते हुए उसके साथ ‘मराठी राबड़ी देवी’ लिखा।
दरअसल पिछले 2 महीनों से उद्धव को रीढ़ की हड्डी की समस्या आ रही थी, जिसे लेकर अल्पकालिक तौर पर उनके पुत्र आदित्य ठाकरे या पत्नी रश्मि ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर बिठाए जाने की बातें चल रही थीं।
बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव जब चारा घोटाले को लेकर पद से उतारे गए थे तो उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने कार्यभार सँभाला था। इसी संदर्भ में जितेन ने रश्मि ठाकरे को लेकर यह ट्वीट किया जिस पर शिव सैनिक भड़क उठे।
इसी के चलते जितेन को बृहस्पतिवार को क्राइम ब्रांच सीआईडी साइबर सेल द्वारा पूछताछ के लिए बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स बुलाया गया। उनसे लगभग साढ़े चार घंटे पूछताछ की गई और सूर्यास्त के बाद ही उन्हें छोड़ा गया।
बाहर निकलने के बाद गजारिया ने कुछ नहीं कहा परंतु उनके वकील विवेकानंद गुप्ता ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मामले में कोई एफ़आईआर नहीं हुई परंतु क्योंकि गजारिया पुलिस के साथ सहयोग करना चाहते थे इसलिए वे स्वयं पूछताछ के लिए आ गए।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई करती है तो उनकी ओर से भी अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी कदम उठाए जाएँगे।
गुप्ता ने आगे कहा:
“गजारिया ने केवल रश्मि ठाकरे की तुलना बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से की थी। उनके इस ट्वीट पर गुस्सा यह साफ झलकाता है कि ये लोग (शिवसेना समर्थक) उत्तर भारतीयों से कितनी नफरत करते हैं।”
गुप्ता ने आगे मुंबई पुलिस के लिए कहा कि अगर उन्हें किसी के विरुद्ध कार्रवाई करनी ही है तो उन शिवसैनिकों के विरुद्ध करें जो गजारिया को उनके ट्वीट को लेकर धमकी भरे संदेश भेज रहे हैं।
बता दें कि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब उद्धव सरकार इस प्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कार्रवाई करती दिखी है। वर्ष 2020 में अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा उद्धव सरकार से सवाल पूछे जाने पर महारष्ट्र सरकार ने मुंबई के बांद्रा स्थित कंगना के ऑफिस को तुड़वा दिया था।
मामले में बीएमसी द्वारा यह दावा किया गया था कि कंगना का ऑफिस अवैध है जबकि कंगना ने इस पूरे कृत्य को लेकर उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र सरकार पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगाया था।