बॉम्बे उच्च न्यायालय की बेंच ने 20 अगस्त को होने वाले शिया मुस्लिमों के त्योहार मोहर्रम को मनाने की अनुमति दे दी है। उच्च न्यायालय ने कुछ नियमावली जारी की हैं, जिसके तहत त्योहार मनाने एवं जुलूस निकालने की अनुमति दी गई है।
कोरोना महामारी के चलते लगभग सभी राज्यों ने भीड़भाड़ और लोगों के जमावड़े को लेकर सख्त कानून बनाए हुए हैं। जहाँ कोरोना की दूसरी लहर लगभग समाप्त हो चुकी है, परंतु फिर भी कुछ राज्यों में लगातार वायरस के मामले देखने को मिल रहे हैं।
ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा सख़्ती बरतना आवश्यक है। केरल सरकार द्वारा कुछ समय पहले ईद के अवसर पर लॉकडाउन में छूट दी गई थी, जिसका परिणाम केरल को भुगतना पड़ा था।
ऐसे समय में ऑल इंडिया इदारा तहफ़ाज़-ए-हुसैनियत नामक एनजीओ ने कोर्ट के समक्ष यह माँग रखी थी कि महाराष्ट्र सरकार ने जैसे लोकल ट्रेनों, दुकानों और मॉल इत्यादि को खोलने की छूट दी है, उसी प्रकार मोहर्रम के अवसर पर ताजिए निकालने की भी अनुमति दी जाए। इस एनजीओ ने 18 अगस्त से 20 अगस्त तक लगभग हज़ार लोगों के एकत्रित होने की अनुमति माँगी।
इसके समर्थन में वकील राजेनरा शिरोडकर ने बताया के मोहर्रम शियाओं का त्यौहार होता है, जिस पर समाधि के रूप में ताजिए निकाले जाते हैं। ये इमाम हुसैन के प्रतिरूप माने जाते हैं। इस जुलूस के बिना मोहर्रम का त्योहार अधूरा माना जाता है।
वकील ने आगे कहा कि वे हज़ार लोगों की अनुमति माँग रहे हैं, परंतु न्यायालय द्वारा जितनों की भी अनुमति दी जाएगी वह उन्हें कुबूल होगी।
शिरोडकर ने आगे यह भी तर्क दिया कि अब प्रतिबंधों की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष महामारी पर काबू पाया जा चुका है।
एनजीओ द्वारा डाली गई याचिका के विरोध में पूनम कंथारिया ने तर्क दिया कि अगर इस समय पर लोग भारी मात्रा में सड़कों पर आएँगे तो पुलिस समेत शहर के विभिन्न विभागों के लिए समस्या पैदा हो सकती है।
न्यायालय ने सभी तर्क सुनकर एक नियमावली के तहत ताजिया निकलने की अनुमति दे दी। जजों ने मुख्य तौर पर चार शर्तों का पालन करने को कहा:
इस सबके सबके बीच सोचने वाला विषय है कि कुछ दिनों पूर्व केरल सरकार ने बकरीद के अवसर पर राज्य में लॉकडाउन से छूट प्रदान की थी। इसके बाद केरल में कोरोना मामले भारी मात्रा में तेज़ी पकड़ते देखे गए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट को यह समझना होगा कि क्या वे महाराष्ट्र में भी ऐसे ही गलती तो नहीं कर रहे हैं?
आँकड़ों के अनुसार अगर देखा जाए तो राज्य की कोरोना मामलों को लेकर स्थिति खासी अच्छी नहीं है। राज्य में कोरोना से अब तक कुल 1.35 लाख लोगों की जान जा चुकी है।