कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (29 अक्टूबर, 2021) को एक जनहित याचिका के विषय में निर्णय सुनाते हुए दिवाली और काली पूजा के दौरान पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। इस मामले में रोशनी अली नामक एक महिला द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी।
दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों से न केवल दिवाली पर पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है, बल्कि इस वर्ष तो दिवाली के कुछ समय पहले से ही पटाखों की खरीद और बिक्री तक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया।
जहाँ दिल्ली-एनसीआर में निरंतर यह बात सिद्ध हो गई है कि इस क्षेत्र के प्रदूषण का कारण केवल दिवाली के पटाखे नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में जलाई जाने वाले पराली का धुआँ, वाहनों का धुआँ और कारखाने भी हैं, फिर भी हर साल दिवाली को ही न्यायालय और सरकार द्वारा प्रदूषण के नाम पर निशाना बनाया जाता है।
दिल्ली के बाद ऐसा ही समान कृत्य पश्चिम बंगाल में देखने को मिला। रोशनी अली नामक कथित फ़िल्ममेकर और लेखिका ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें इसी विषय में माँग न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई थी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (29 अक्टूबर, 2021) को इस याचिका पर में निर्णय सुनाते हुए दिवाली और काली पूजा के त्योहारों पर सामान्य पटाखों के साथ-साथ ग्रीन क्रैकर्स के प्रयोग और बेचने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
न्यायालय ने इस विषय में पुलिस को पटाखों की बिक्री और उपयोग पर नज़र रखने की सख़्त हिदायत दी है। न्यायालय ने कहा है कि इन त्योहारों पर केवल तेल के दीपकों और मोम से बनी मोमबत्ती और दीपों का प्रयोग मान्य होगा।
ग्रीन क्रैकर्स के विषय में न्यायालय ने कहा:
“इस वास्तविकता को दिमाग में रखा जाए कि यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि बेचे और फोड़े जाने वाले पटाखे केवल ग्रीन क्रैकर्स ही होंगे।”
इसके साथ ही न्यायालय ने दिवाली के बाद आने वाले छठ पूजा, गुरु नानक जयंती, क्रिसमस और नए साल पर भी इस प्रतिबंध के बने रहने की बात कही।
इस विषय में जब कुछ लोगों ने ट्विटर पर यह सवाल किया कि इस मामले में याचिकाकर्ता कौन है? तो सामने आया कि इस मामले में जनहित याचिका डालने वाली महिला मुस्लिम समुदाय से आती हैं।
कई लोगों ने इसकी आलोचना करने के साथ ही यह भी कहा कि ऐसे लोग केवल हिंदू समुदाय को जानबूझकर निशाना बनाते हैं और स्वयं दूसरों को सांप्रदायिक सद्भाव के विषय में भाषण देते नज़र आते हैं।
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा याचिका दायर करने वाली रौशन अली की कुछ पुरानी तस्वीर भी शेयर की जा रही हैं जिनमें उन्हें पटाखों के साथ देखा जा सकता है। हालाँकि। ये तस्वीरें वर्ष 2009 की हैं।