साल 2019-20 में कॉन्ग्रेस की आय 2018-19 की तुलना में 25% घटकर ₹682 करोड़ हो गई है। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान उसका खर्च ₹470 करोड़ से बढ़कर, दोगुने से अधिक हो कर ₹998 करोड़ हो गया।
यह खुलासा 2019-20 के लिए राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हुआ है।
‘द हिन्दू’ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 में कॉन्ग्रेस पार्टी की कमाई गिरकर मात्र ₹682 करोड़ रह गई। साल 2018-19 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा जुटाए गए 918 करोड़ रुपए के बाद यह बड़ी गिरावट है।
कॉन्ग्रेस की आमदनी में 2018-2019 से 2019-2020 तक ₹200 करोड़ से अधिक की कमी दर्ज हुई है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP), राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) ), माकपा और समाजवादी पार्टी (सपा), सभी ने पिछले वर्ष की तुलना में अधिक धन जुटाया है।
चुनाव आयोग द्वारा 2019-2020 के लिए पार्टियों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट सोमवार (जून 07, 2021) को प्रकाशित की गई। इसमें खुलासा हुआ है कि कॉन्ग्रेस 2018-2019 में ₹448.11 करोड़ के लाभ से ₹315.94 करोड़ के घाटे में चली गई है।
अपनी रिपोर्ट में, अरविन्द केजरीवाल की AAP ने पिछले वर्ष के ₹19.31 करोड़ से 2019-2020 में ₹49.65 करोड़ की आमदनी की है। हालाँकि, AAP का खर्च भी ₹16.1 करोड़ से बढ़कर ₹38.8 करोड़ हो गया। AAP की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, खर्च किए गए कुल धन में से ₹10.36 करोड़ सिर्फ ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया’ पर खर्च किए गए।
राष्ट्रीय जनता दल ने अपने ब्योरे में ₹6 करोड़ की ही आमदनी और खर्च दर्शाया है। राजद ने इसमें से ₹2.50 करोड़ इलेक्टोरल बांड से कमाए और सिर्फ हेलीकॉप्टर हायर करने पर ही ₹3.31 करोड़ लुटा दिए।
समाजवादी पार्टी की रिपोर्ट में आय और व्यय में क्रमश: ₹33.8 करोड़ से ₹47.27 करोड़, और ₹45.32 करोड़ से ₹55.69 करोड़ की वृद्धि दिखाई गई।
सीपीआई (एम) की आय ₹100.96 करोड़ से बढ़कर ₹158.62 करोड़ हो गई और इसका खर्च ₹76.1 करोड़ से ₹105 करोड़ हो गया। भाकपा द्वारा ₹7.15 करोड़ से ₹6.58 करोड़ की आय में कमी दिखाई गई है।
भाजपा को 2019-20 में चुनावी ट्रस्ट फंडिंग से कुल ₹276 करोड़ की आय हुई है। इनमें से ₹271.5 करोड़ सिर्फ प्रूडेंट इलेक्टोरल बॉन्ड द्वारा ही जुटाए गए। ख़ास बात यह है कि प्रूडेंट इलेक्टोरल से हुई ₹271.5 करोड़ की आय में से 80% अकेले भारती एयरटेल समूह और डीएलएफ लिमिटेड की ओर से आए हैं।
देश की 35 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने साल 2019-20 के लिए अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी है। अलग-अलग इलेक्टोरल ट्र्स्ट से पता चलता है कि इस दौरान कॉन्ग्रेस को ₹58 करोड़ का दान मिला, जिसमें से ₹31 करोड़ प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से, ₹25 करोड़ जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट से और ₹2 करोड़ समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट से आए।
चुनाव आयोग को 2019-20 के लिए अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करने वाले 35 मान्यता प्राप्त राज्य दलों में से टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने सबसे ज्यादा ₹130.46 करोड़ की आय दर्ज की है। टीआरएस भाजपा के बाद दूसरे नम्बर पर है।
2019-20 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रीय दलों की आय का बड़ा हिस्सा आया है। शिवसेना को कुल ₹111.4 करोड़, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कॉन्ग्रेस पार्टी को ₹92.7 करोड़, बीजू जनता दल (बीजद) को ₹90.35 करोड़, अन्नाद्रमुक को ₹89.6 करोड़, द्रमुक को ₹64.90 करोड़ और आम आदमी पार्टी को ₹49.65 करोड़ मिले हैं।
पार्टियों द्वारा दी चुनाव आयोग को दी गई आय रिपोर्ट में चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से प्राप्त चंदे सहित सभी स्रोत शामिल हैं।
राजनैतिक चंदे में पारदर्शिता के लिए साल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की गई थी। इसमें कोई व्यक्ति, कोई संस्था या कॉरपोरेट बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती है और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया था। कोई भी दानकर्ता अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए की कीमत तक के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता है।
आम चुनाव में कम से कम 1% वोट हासिल करने वाले राजनीतिक दल को ही इस बॉन्ड से चंदा हासिल हो सकता है। दानकर्ता जिस भी पार्टी को ये बॉन्ड दान में देता है वो इसे एसबीआई के अपने खाते में भुना सकता है। बॉन्ड के बदले नगद भुगतान नही किया जाता औऱ पैसा पार्टी के अकांउन्ट में ही जाता है।