टोक्यो ओलंपिक में अभूतपूर्व सफलता हासिल करने भारतीय एथलीटों के शानदार प्रदर्शन का क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है। दिल्ली को केजरीवाल सरकार ने भी खिलाड़ियों की कामयाबी को भुनाने के लिए जगह-जगह बैनर तो लगा दिए, लेकिन अब उसे इन आरोपों का सामना करना पड़ रहा है कि उसने कभी इन खिलाड़ियों को कोई मदद मुहैया नहीं कराई।
टोक्यो ओलंपिक रविवार को समाप्त हो चुका है। टोक्यो ओलम्पिक समाप्त होने के साथ ही सभी एथलीट अपने देश लौट आए हैं, जिसके बाद जगह जगह उनका भव्य स्वागत किया गया। भारत ने टोक्यो ओलंपिक, 2020 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल सहित कुल सात पदक अपने नाम किए हैं।
इस सफलता के साथ खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन का श्रेय लेने की होड़ भी मच गई है। ‘विज्ञापन मन्त्री’ के नाम से मशहूर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरी दिल्ली में बड़े बड़े बैनर लगवाए हैं जिनमे वो खिलाड़ियों की सफलता का श्रेय ले रहे हैं।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार के क्रेडिट लेने के इस प्रयास पर एक एथलीट ने सवाल खड़े कर दिए हैं। ये बैनर केजरीवाल सरकार ने मानो सत्ताधारियों की नाकामयाबी को छुपाने के लिए खड़े कर दिए।
‘विज्ञापन मंत्री’ के नाम से कुख्यात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरी दिल्ली में टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, शूटर दीपक कुमार और दो 400 मीटर धावकों अमोज जैकब और सार्थक भांबरी के बड़े-बड़े बैनर लगवाए हैं, लेकिन एक एथलीट ने दिल्ली सरकार की ‘विज्ञापन राजनीति’ का पर्दाफाश कर दिया जिसके बाद दिल्ली सरकार सवालों में घिर गई है।
बता दें कि इस बार टोक्यो ओलंपिक में दिल्ली के 5 एथलीट्स ने भाग लिया था। इन एथलीट्स का कहना है कि दिल्ली सरकार ने उन्हें ओलंपिक की तैयारी के लिए कभी कोई आर्थिक मदद नहीं दी। दावा है कि इस बार दिल्ली सरकार ने करीबन 8 से 9 करोड़ रुपए ओलंपिक खिलाड़ियों की जीत का श्रेय लेने वाले विज्ञापनों पर फूँक दिए हैं।
दिल्ली के एथलीट सार्थक भांबरी का कहना है कि दिल्ली सरकार ने ओलंपिक मिशन में उनके प्रदर्शन का श्रेय लेने के लिए शहर भर के चौक-चौराहों को बैनरों से तो पाट दिया लेकिन खिलाड़ियों को उनकी तैयारियों के मद्देनजर कभी कोई आर्थिक सहायता मुहैया नहीं कराई।
राजौरी गार्डन में रहने वाले 22 वर्षीय भांबरी ने कहा:
”मैं आपको बता सकता हूँ कि दिल्ली सरकार कभी मेरी मदद के लिए आगे नहीं आई। मुझे कभी कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई। दिल्ली में पोस्टर लगाए गए हैं, ‘दिल्ली बोले जीत के आना’, लेकिन कैसे जीत के आना?”
सार्थक ने आगे कहा:
“मैंने कहीं देखा है कि ओलंपिक के लिए होर्डिंग और पोस्टर पर करोड़ों खर्च किए गए हैं। अगर उन्होंने हमें ओलंपिक में जाने से कुछ महीने पहले भी हमारी तैयारियों के लिए इस धन का 10-15% भी दिया होता, तो हम इसे अपने प्रदर्शन को और बेहतर करने के लिए इस्तेमाल कर कर सकते थे।”
हालाँकि, दिल्ली सरकार वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी के शीर्ष एथलीटों की वित्तीय सहायता के लिए योजना चला रही है लेकिन टोक्यो ओलंपिक के अलावा भी कई राष्ट्रीय स्पधार्ओं में पदक जीतने वाले भांबरी ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिला है।
भांबरी ने कहा:
“मिशन एक्सीलेंस उनके पास एक अच्छी योजना है, लेकिन उन्हें वास्तव में इसे संशोधित करने की आवश्यकता है क्योंकि अगर मैं आज ओलंपिक में अच्छा करता हूँ और मैं अगले साल एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी करना चाहता हूँ, तो मेरे पास 2023 तक कोई फंडिंग नहीं होगी, फिर इसका क्या उपयोग है?”
भांबरी ने बताया:
“मेरे पास राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 8-10 महीने बचे हैं, लेकिन अगर कोई धन नहीं आने वाला है तो हम कैसे आगे जाएँगे।”
इससे पहले विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज गौरव बिधूड़ी और पहलवान दिव्या काकरान ने भी केजरीवाल सरकार से कोई मदद नहीं मिलने के आरोप लगाए थे।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर अब तक के कार्यकाल में धुआँधार विज्ञापन वाली राजनीति करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। लेकिन इस बार ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ी सार्थक भांबरी के आरोपों ने अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी दोनों का अंतर का स्पष्ट पर्दाफाश कर दिया है।
विज्ञापन के दम पर छवि चमकाने में जुटी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की वास्तविक तस्वीर में तो बस ढकोसले ही नज़र आते हैं। सुधार के नाम पर केजरीवाल सरकार शून्य ही साबित हुई। सरकार को समझना चाहिए कि खिलाड़ियों को होर्डिंग की नहीं, मदद की आवश्यकता है।