पिछले कुछ समय से जारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और भारत सरकार के बीच विवाद अब बढ़ता जा रहा है। सरकार और ट्विटर के रिश्तों में खटास किसान आंदोलन के दौरान आई, जब ग्रेटा थनबर्ग समेत कई विदेशी हस्तियों ने भारत सरकार के खिलाफ ट्वीट किए।
इसके बाद टूलकिट विवाद में ट्विटर ने बिना किसी जाँच के टूलकिट से जुड़ी जानकारी शेयर करने वाले ट्वीट्स पर मैन्युप्लेटेड मीडिया का टैग लगा दिया। तानाशाही दिखाते हुए ट्विटर ने अगले कदम के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटा लिया। इतना ही नहीं, देश के कानून एवं आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद का ट्विटर अकांउन्ट भी एक घंटे तक लॉक कर के सरकार को खुली चुनौती दी गई।
भारतीय कानूनों को मानने में आना-कानी कर रहे ट्विटर को सबक सिखाने के लिए अब सरकार ने कमर कस ली है। ट्विटर से ‘मध्यस्थ’ का दर्जा वापस लेने के बाद ट्विटर पर अब तक भारत मे गम्भीर धाराओं में विभिन्न प्रदेशों में 4 एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) की शिकायत के बाद दिल्ली साइबर सेल नें ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आईपीसी, आईटी और पॉक्सो रेक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
29 मई को NCPCR ने माइक्रो ब्लॉगिंग साईट ट्विटर पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री मिलने के बाद दिल्ली पुलिस को यौन अपराध से बच्चों को संरक्षण (Pocso) अधिनियम की धारा 11/15/19 , आईपीसी की धारा 199/292 और आईटी नियम की अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। आयोग ने तीन दिनों के भीतर दिल्ली पुलिस से मामले में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट भी माँगी है।
इससे पहले ट्विटर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी और बाल कल्याण मामलों से सम्बंधित कुछ लिंक्स की जानकारी माँगी थी, जिसे देने से ट्विटर ने मना कर दिया था। NCPCR प्रमुख प्रियांक कानूनगो नें केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि बच्चों के लिए यह प्लेटफॉर्म बिल्कुल सुरक्षित नहीं है, इसलिए 18 वर्ष से कम के बच्चों के लिए इसका एक्सेस बन्द किया जाए। एफआईआर दर्ज होने के बाद अब दिल्ली पुलिस जल्द ही ट्विटर के अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर सकती है।
समाचार पत्र ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को एनसीपीसीआर ने ट्विटर पर बाल यौन शोषण और चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित कुल 13 स्क्रीनशॉट और उन्हें पोस्ट करने वाले अकाउंट की जानकारी निकाली। इनमें से अधिकांश खाते एक्सेस नहीं किए जा सके।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्राथमिकी विशेष रूप से माइक्रोब्लॉगिंग साइट के खिलाफ दर्ज की गई थी, एक CyPAD (सायबर सेल यूनिट) अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “यह FIR ट्विटर पर विभिन्न अकाउंट और लिंक से जुड़ी गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ दर्ज की गई है। मामला किसी व्यक्ति या कंपनी के खिलाफ नहीं है। हम आरोपितों का पता लगाने और जिम्मेदारी तय करने के लिए मामले की जाँच करेंगे, जो कि व्यक्ति के साथ-साथ कंपनी भी हो सकते हैं।”
एनसीपीसीआर ने अपनी शिकायत में ऑनलाइन धमकियों के संबंध में आयोग को मिली एक शिकायत पर कथित फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी उल्लेख किया है।
जुबैर के खिलाफ यह FIR पिछले साल दिल्ली पुलिस के साइबर सेल द्वारा दर्ज़ की गई थी। ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर पर यह केस जुबैर द्वारा ट्विटर पर एक नाबालिग लड़की की स्टाकिंग करने एवं उसकी जानकार सार्वजानिक करने के मामले में दर्ज किया गया था।
बाल आयोग ने ट्विटर के खिलाफ भी असंतोष व्यक्त किया और कहा,
“मोहम्मद जुबैर का ट्विटर हैंडल अभी भी सक्रिय है और ऐसा लगता है कि उपरोक्त व्यक्ति के खिलाफ ट्विटर द्वारा कोई कार्रवाई शुरू ही नहीं की गई, जिसके कारण वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर एक नाबालिग बच्ची का उत्पीड़न किया गया।”
उत्तर प्रदेश की बुलंद शहर पुलिस ने ट्विटर प्लेटफार्म पर भारत का गलत नक्शा दिखाने के मामले को गम्भीरता से लिया है। इस मामले में खुर्जा थाने में ट्विटर एमडी मनीष माहेश्वरी और अन्य दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई है।
बजरंग दल पश्चिमी यूपी के संयोजक प्रवीण भाटी ने बुलंदशहर पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा, “इस मानचित्र में जम्मू कश्मीर और लद्दाख को भारत के हिस्से के रूप में नहीं दर्शाया गया, यह संयोग नहीं और इससे मुझे सहित भारतीयों की भावना आहत हुई है।”
बजरंग दल की शिकायत पर सोमवार (28 जून, 2021) को खुर्जा नगर पुलिस थाने ने आईपीसी की धारा 505 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 74 (गलत उद्देश्य के लिए प्रकाशन) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मामले में ट्विटर के एमडी मनीष माहेश्वरी और न्यूज़ पार्टनरशिप प्रमुख अमृता त्रिपाठी सहित एक अन्य को आरोपित बनाया गया है।
ट्विटर वेबसाइट के ‘करियर’ सेक्शन में भारत का एक गलत नक्शा छापा गया था। इसमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग देश के रूप में दिखाया गया है। इससे पहले भी ट्विटर ले को चीन का हिस्सा दिखा चुका है।
ट्विटर पर भारत का गलत नक्शा दिखाए जाने को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस ने भी एक एफआईआर दर्ज की है। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के निर्देश पर मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर सेल ने ये एफआईआर दर्ज की है।
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक ट्वीट करके कहा था कि भारत का गलत नक्शा दिखाना भारत की संप्रभुता का हनन है और इस को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
बाद में उनके निर्देश पर भोपाल पुलिस की साइबर सेल ने ट्विटर एमडी मनीष माहेश्वरी को आरोपित बनाते हुए ट्विटर इंडिया और मनीष माहेश्वरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (2) के तहत मामला दर्ज कर लिया।
चारों ओर से घिरने के बाद ट्विटर ने अब ये नक्शा हटा लिया है, लेकिन लोगों का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है। ट्विटर जानबूझ कर बार-बार सिर्फ भारत के नक्शे के साथ ही छेड़छाड़ करता है।
हालाँकि इस बार सरकार ट्विटर को बख्शने के मूड में नही है। आईपीसी की धारा 505(2) के तहत कम से कम 3 साल की सजा और जुर्माना लग सकता है। वहीं, एक्ट 74 के तहत दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
मध्यस्थ का दर्जा छीने जाने के बाद ट्विटर पर सबसे पहली एफआईआर उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले में दर्ज हुई थी। गाजियाबाद के लोनी में एक मुस्लिम बुजुर्ग व्यक्ति की पिटाई से जुड़े एक वीडियो को कुछ पत्रकारों और कॉन्ग्रेस नेताओं ने गलत नैरेटिव के साथ वायरल किया था।
दो समुदायों के बीच हिंसा और नफरत फैलाकर दंगा करवाने की साजिश के इस प्रोपेगेंडा का गाजियाबाद पुलिस ने भंडाफोड़ किया था, जिसके बाद फेक वीडियो वायरल करने वाले आरोपितों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।
इसी मामले में ट्विटर को भीआरोपित बनाया गया। ट्विटर पर आरोप है कि उसने दो समुदायों के बीच हिंसा फैलाने के लिए प्रचारित और प्रसारित किए जा रहे इस फेक वीडियो को रोकने के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाया।
धारा 79 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सिर्फ प्रकाशक और मध्यस्थ मानकर संरक्षण देती है। कोई भी मध्यस्थ अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी व्यक्ति द्वारा अपलोड की गई सूचना, डाटा या अपराध के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार नहीं होता है बशर्ते प्लेटफॉर्म की तरफ से सामग्री में कोई छेड़खानी नहीं की गई हो।
आपको बता दें कि गूगल, यूट्यूब, फेसबुक, वॉट्सएप और इंस्टाग्राम को अभी भी धारा 79 के तहत कानूनी संरक्षण प्राप्त है क्योंकि ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सरकार के नए आईटी नियमों का पालन करते हैं।
भारतीय आईटी नियमों को न मानने के चलते ट्विटर से इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म का दर्जा छीन लिया गया है, इसका मतलब है कि ट्विटर को अब भारत के आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं होगा। ट्विटर से यह दर्जा छिनने के बाद ट्विटर के अधिकारी और कर्मचारी कानूनी झमेले में पड़ सकते हैं और इसकी शुरुआत हो भी चुकी है।