भारत मे कोरोना वायरस मामलों के बीच राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान में शवों को दफन करने के लिए जगह में कमी की बात पिछले दो साल से की जा रही है। हालाँकि अधिकारी इस कमी से साफ इंकार कर रहे हैं।
45 एकड़ में फैले आईटीओ स्थित ‘जदीद कब्रिस्तान’ अहले इस्लाम दिल्ली का सबसे बड़ा मुस्लिम कब्रिस्तान है। जहाँ 5 एकड़ हिस्सा कोविड शवों को दफनाने के लिए अलग कर दिया गया है। पिछले साल कोरोना की तीसरी लहर के बीच मोहम्मद शमीम ने मीडिया के हवाले से कहा था कि यहाँ अब सिर्फ डेढ़ सौ कोविड शवों को दफनाने की जगह बची है।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच अब ‘जगह की कथित कमी’ फिर से चर्चा में हैं। बता दें कि इस कब्रिस्तान में कोविड और नॉन कोविड शवों को दफनाने के अलग-अलग ब्लॉक हैं। इंतजामिया कमेटी का सख्त आदेश है कि कोई भी कब्र को पक्का ना बनाए, लेकिन बावज़ूद इसके यहाँ पक्की कब्रें बनवाई जा रही हैं।
इसके बाद अब जगह की कमी की बात कह कर, तीसरी लहर में हुई शुरुआती मौतों में शवों को कब्रिस्तान कमेटी लेने से इनकार किया जा रहा है। अब यहाँ शवों को यह कह कर स्वीकार नहीं किया जा रहा है कि कोविड शवों को दफनाने वाली 5 एकड़ की जगह भरी हुई है।
इस मामले में एसडीएमसी का कहना है कि कब्रिस्तान शवों को लेने से मना नहीं कर सकता। एक एसडीएमसी अधिकारी ने कहा कि जदीद कब्रिस्तान यह कहकर दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम का उल्लंघन कर रही है कि उनके पास कोविड शवों के लिए जगह नहीं है, मगर अन्य शवों के लिए है।
अधिकारी के अनुसार आईटीओ स्थित कब्रिस्तान प्रबंधन डीएमसी अधिनियम की धारा 392 का उल्लंघन कर रहा है, जिसके तहत आयुक्त किसी भी शव को स्वीकार करने के लिए दफन स्थलों को कह सकते हैं, और वे मना नहीं कर सकते। कब्रिस्तान कोविड और गैर-कोविड शवों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता।
एसडीएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि कब्रिस्तान में कृत्रिम कमी पैदा कर दी गई है। अधिकारी के अनुसार कब्रिस्तान प्रबंधन जो कर रहा है वह ब्लैकमेलिंग के अलावा और कुछ नहीं है। वर्तमान में, जदीद कब्रिस्तान कमेटी के पास मिलेनियम पार्क के पास एक विवादित भूमि है और वह चाहती है कि एसडीएमसी कूदकर विवाद को सुलझाए।
एसडीएमसी अधिकारी के अनुसार, “कब्रिस्तान प्रबंधन इसी जमीन का विवाद को सुलझाने के लिए कृत्रिम कमी पैदा कर हो हल्ला कर रहा है। यह पिछले दरवाजे की राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं है। कब्रिस्तान के पास मृतकों को दफनाने के लिए जगह की कोई समस्या नहीं है।”
दरअसल जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम दिल्ली में सबसे पुराना मुस्लिम कब्रिस्तान है। इसके पास में ही मिलेनियम इंद्रप्रस्थ पार्क के पास एक वैकल्पिक भूमि उपलब्ध है, लेकिन इस पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। कथित रूप से हिन्दू संगठनों के विरोध के कारण यह भूखंड वर्तमान में उपयोग में नहीं है।
1964 में जब भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे, तब भारत के राष्ट्रपति ने कथित रूप जदीद क़ब्रिस्तान अहले इस्लाम को चलाने वाले मुसलमानों की प्रबंधन समिति को 14 एकड़ जमीन दी थी। कब्रिस्तान कमेटी का आरोप है कि इस भूमि पर बाद में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कब्जा कर लिया।
बाद में इस क्षेत्र में मिलेनियम इंद्रप्रस्थ पार्क का विकास किया और साथ ही साथ कब्रिस्तान की भूमि को भी हड़प लिया। 2014 में, डीडीए को 14 एकड़ जमीन का सीमांकन करने और वक्फ बोर्ड को देने के लिए कहा गया था। इसमें से 4 एकड़ भूखण्ड वक्फ बोर्ड को आवंटित कर दिया गया जबकि 10 एकड़ अभी भी विवादित है।
हालाँकि, पिछले साल विश्व हिंदू परिषद द्वारा इस 4 एकड़ के भूखंड में शव दफनाने का कथित तौर पर विरोध और हंगामा किया था। हिन्दू संगठन का दावा था कि वक्फ बोर्ड सार्वजनिक स्थान का अतिक्रमण कर रहा है। यह सार्वजनिक जमीन है, न कि कब्रिस्तान।
कब्रिस्तान कमेटी के सचिव शमी अहमद खान कहते है, “हम कहां जाएं? हम अपने शरीर को कहाँ दफनाऐं? वे हमें क्यों रोक रहे हैं? ऐसे कठिन समय में ऐसा कौन करता है? यह मुसलमानों के साथ घोर अन्याय है कि हम अपनी जमीन को दफनाने के लिए इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं।
खान कहते है, “हमारे पास 4 एकड़ जमीन पर कब्जा है। हमने बैरिकेड्स लगा रखे हैं, हमने वहाँ कमरे बना लिए हैं। यह कोई सार्वजनिक पार्क नहीं है। मुझे समझ में नहीं आता कि हम इसका इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते?”
खान कहते है कि अगर कोई इलाके में अंतिम संस्कार करने की कोशिश करता है, तो बजरंग दल जैसे हिंदुत्व समूह हंगामा करते हैं और पुलिस कोई मदद नहीं करती है। खान ने आरोप लगाया, “एसएचओ खुद बजरंग दल को हंगामा करने के लिए बुलाते हैं।”
सनलाइट कॉलोनी पुलिस स्टेशन के एसएचओ विजय सांवल ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी भी स्थिति की जानकारी नहीं है। सनवाल ने कहा, “हमें किसी भी दफन स्थल पर किसी भी समस्या का कोई ज्ञान नहीं है। हमें दफनाने से कोई लेना-देना नहीं है। “
बता दें इस सबसे बड़े कब्रिस्तान के अलावा दिल्ली में मंगोलपुरी स्थित दो एकड़ में फैला मुस्लिम कब्रिस्तान, एक एकड़ में फैलसा शास्त्री पार्क स्थित बुलंद मस्जिद मुस्लिम कब्रिस्तान, ढाई एकड़ में फैला कोंडली के पास मुल्ला कॉलोनी मुस्लिम कब्रिस्तान है, जहाँ कोविड शव दफनाए जाते हैं।