धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद (Judge Uttam Anand) की हत्या के मामले में राज्य पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। झारखंड न्यायालय ने इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) पर बयानों के साथ खिलवाड़ करने को लेकर फटकार लगाई और सख्त हिदायत दीं।
झारखंड के धनबाद ज़िले के 49 वर्षीय न्यायाधीश उत्तम आनंद की 28 जुलाई की सुबह 5:00 बजे मॉर्निंग वॉक करते समय कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी। सीसीटीवी फुटेज में यह देखा जा सकता है कि एक ऑटो उन्हें टक्कर मारकर फरार हो गया, परंतु ध्यान से देखने पर प्रतीत होता है की ऑटो द्वारा जानबूझकर न्यायाधीश को टक्कर मारी गई।
इस मामले में पुलिस द्वारा 2 लोगों को हिरासत में लिया गया था और यह भी सामने आया था कि जिस ऑटो से वारदात को अंजाम दिया गया, वह 2 घंटे पहले ही चोरी किया गया था। इस कारण इस घटना में हत्या का शक भी जा रहा है।
इस मामले की जाँच को लेकर झारखंड की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम पर पूछताछ में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। न्यायालय के सामने प्रस्तुत की गई ऑटोप्सी की रिपोर्ट में मृत्यु का कारण किसी ठोस चीज़ से वार करके सिर पर चोट लगना बताया जा रहा है।
इस मामले पर झारखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि पुलिस मामले में जानबूझकर चिकित्सकों से ऐसे सवाल पूछ रही है, जिनसे उन्हें मन मुताबिक उत्तर मिल सके। पुलिस ने चिकित्सकों से पूछा कि वे बताएँ कि क्या इस प्रकार की सिर पर चोट गिरकर भी लग सकती है या नहीं?
ऐसे ही कुछ सवालों का संदर्भ लेते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है और रिपोर्ट में मृत्यु का कारण लिखा है तो इस प्रकार के सवाल करके पुलिस क्या साबित करना चाहती है?
न्यायालय ने यह भी कहा कि चिकित्सकों को एक निश्चित तरीके के प्रश्न पूछ कर अपने मन मुताबिक उत्तर निकलवाना किसी भी प्रकार उचित नहीं है।
न्यायालय ने इस पूरे मामले को ‘षड्यंत्र’ का नाम दिया है क्योंकि इस प्रकार एक खाली सड़क पर किसी ऑटो रिक्शा का इस तरह तीव्र मोड़ लेते हुए किसी से टकराना साजिश की ओर इशारा करता है। इस मामले पर न्यायालय ने कहा कि इस ‘षड्यंत्र’ का पर्दाफाश करना और उसके पीछे के आरोपित को पकड़ना बहुत आवश्यक है।
न्यायालय ने आगे कहा कि इस मामले में समय भी बहुत कीमती है। अगर मामले की जाँच में देरी होती है तो यह भी जाँच पर विपरीत दिशा में यानी नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इसके साथ-साथ न्यायालय ने घटना की एफआईआर को लेकर भी सवाल किया कि हादसे के बाद मामले की एफआईआर करने में इतनी देर क्यों हुई?