केजरीवाल सरकार द्वारा वित्तपोषित दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 काॅलेजों में महीनों से प्रोफेसर्स और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। प्रोफेसर्स और कर्मचारी ट्विटर पर पीएम मोदी को टैग कर सेलरी के लिए गुहार लगा रहे हैं।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रखने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार और शिक्षक संघ के बीच किसी मुद्दे पर सहमित नहीं बन पाई है। इसी वजह से शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस का बहिष्कार कर रहे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जहाँ लगातार चुनावी प्रदेशों गोवा, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश के अखबारों में करोड़ों रुपए खर्च कर के ‘दिल्ली के शिक्षा मॉडल’ और ‘फ्री बिजली पानी’ वाली योजनाओं के विज्ञापन दे रहे हैं, वही केजरीवाल सरकार द्वारा वित्तपोषित डीयू के 12 कॉलेजों के प्रोफेसर और कर्मचारी महीनों से वेतन आने का इंतजार कर रहे है।
दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित यह 12 कॉलेज आज आर्थिक रूप से पूरी तरह बीमार और तबाह हो चुके हैं। इन कॉलेजों में पिछले दो वर्षों से चिकित्सा बिलों, विभिन्न भत्ते, सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद देय बकाया भुगतान राशि सहित अन्य बकाया राशि का भुगतान भी शिक्षकों व कर्मचारियों को नहीं किया गया है।
इन कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारी व शिक्षक बैंक लोन की किस्तों का भुगतान, बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान, इलाज व अपनी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा कर पाने में असमर्थ हो गए हैं। कोरोना की तीसरी लहर ने इन कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए जीवित रहने को भी चुनौती बना दिया है। प्रोफेसर्स और उनके परिजन ट्वीटर पर पीएम मोदी से गुहार लगा रहे हैं।
शिक्षक संगठन ‘डूटा’ के मुताबिक, केजरीवाल सरकार द्वारा इन 12 कॉलेजों के अनुदान में कटौती की गई है, जिसकी वजह से यहाँ कार्यरत हजारों शिक्षक व कर्मचारी पिछले कई माह से वेतन का इंतजार कर रहे हैं। इसके खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA ) ने गुरुवार को हड़ताल भी की।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा जिस तरह कोरोना संकट के इस मुश्किल वक्त में शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ इन 12 कॉलेजों में गैर जरूरी वित्तीय संकट पैदा कर आमनवीय व्यवहार कर रही है।
भागी ने कहा दिल्ली सरकार के शिक्षा के मॉडल की पोल खुल गई है और अब साफ हो गया है कि केजरीवाल सरकार शिक्षा व शिक्षक विरोधी है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कर्मचारी जहाँ पिछले 6 महीनों से भी अपनी सेलरी की बाट जो रहे हैं। वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार विज्ञापन देने में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। पिछले साल, यानी 2021 में केजरीवाल सरकार ने चेहरा चमकाने की कवायद में औसतन प्रति दिन 1.67 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी 2021 में केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर 32.52 करोड़ रुपए, फरवरी 2021 में 25.33 करोड़ रुपए और मार्च 2021 में 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
कोरोना की दूसरी लहर के बीच कब दिल्ली में लोग ऑक्सीजन की कमी और स्वास्थ्य सेवाएँ चरमराने से मर रहे थे, तब केजरीवाल ने औसतन हर दिन 1.67 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए थे।
पिछले साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा था कि पूरी जिम्मेदारी से बताएँ, विज्ञापनों पर कितना खर्च करते हैं? हाईकोर्ट ने नगर निगम कर्मचारियों के बकाया वेतन और पेंशन संबंधी मुद्दों पर सुनवाई करते हुए सरकार से यह सवाल पूछा था।