भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव द्वारा लिखी गई एक किताब के प्रमोशन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने (Dattatreya Hosabale) कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।
उन्होंने हिंदुत्व को वामपंथ और दक्षिणपंथ से अलग बताते हुए कहा कि संघ में दक्षिण और वामपंथी, दोनों विचारों की जगह है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ की शाखाओं में उन्हें कभी यह नहीं सिखाया जाता कि वे दक्षिणपंथी हैं।
जहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयानों पर वामपंथियों उन पर निरंतर निशाना साधते रहते हैं वहीं कई बार मोहन भागवत दक्षिणपंथियों एवं हिंदुओं की ही आलोचना का शिकार भी बनते रहे हैं। कुछ समय पहले ही संघ प्रमुख ने कहा था कि हिंदू और मुस्लिम डीएनए एक हैं, जिसके बाद इस विषय पर जमकर बहस भी हुई।
शुक्रवार (22 अक्टूबर, 2021) को भाजपा के वरिष्ठ नेता और संघी राम मानव द्वारा लिखी गई एक किताब ‘द हिंदुत्व पैराडिग्मा: इंटीग्रल ह्यूमैनिज्म एंड क्वेस्ट फॉर अ नॉन वेस्टर्न वर्ल्ड व्यू (The Hindutva Paradigm: Integral Humanism and Quest for a Non-Western Worldview)’ का प्रमोशन किया गया।
इस अवसर पर राम माधव समेत आरएसएस के जनरल सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबाले भी उपस्थित थे। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए संघ और संघ के विचारों के विषय में चर्चा की।
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा:
“पूरी दुनिया वामपंथ की ओर गई या यूँ कहें कि ज़बरन वामपंथ की ओर ले जाई गई और अब विश्व दक्षिणपंथ की ओर रुख कर रहा है ताकि एक मध्य मार्ग पकड़ा जा सके। हिंदुत्व का अर्थ भी यही है। हिंदुत्व न तो पूरी तरह वामपंथी है न ही दक्षिणपंथी।”
उन्होंने आगे हिंदुत्व के विषय में और व्याख्या करते हुए कहा कि ‘हिंदुत्व का अर्थ है किसी भी कोने से अच्छा और सकारात्मक विचार लेना और उसे अपनी आवश्यकताओं और परिवेश के अनुसार जीवन के अनुकूल बनाना।’
संघ की शाखाओं के विषय में बात करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा:
“मैं आरएसएस से हूँ। हमें अपनी शाखाओं में कभी यह नहीं सिखाया जाता कि हमारी विचारधारा पूरी तरह दक्षिणपंथी है। हमारे कई कई विचार वामपंथी विचारों से भी मेल खाते हैं। संघ में दक्षिण और वामपंथी दोनों विचारों की जगह है, ये मानवीय अनुभव हैं।“
सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सभ्यता में कोई पूर्ण विराम नहीं है और संघ ने अपनी बातों में ऐसा कभी नहीं कहा कि वे दक्षिणपंथी हैं। उन्होंने आगे कहा कि भौगोलिक या राजनीतिक विभाजन एक तरह से पूर्व और पश्चिम हैं और ये उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण के कारण धुँधले और मंद हो गए हैं।
दत्तात्रेय होसबाले ने हिंदुत्व शब्द की व्याख्या देते हुए कहा कि हिंदुत्व सबके भीतर है। अपनी किताब के विषय में बात करते हुए राम माधव ने कहा कि उनकी किताब पश्चिमी वर्ल्डव्यू के विरुद्ध नहीं है और अब समय आ गया है की विश्व को भारत के दृष्टिकोण का भी पता लगे।
राम माधव ने आगे कहा:
“हमें बाहर से आने वाले विचारों को स्वीकार और लागू करते रहना चाहिए, परंतु कुछ विचार ऐसे भी हैं तो यहीं के हैं और अच्छा सहयोग प्रदान कर सकते हैं। हमें उनकी ओर भी जाना चाहिए।”