लगभग सालभर से चल रहे किसान आंदोलन के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला ले लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (19 नवंबर, 2021) सुबह गुरुनानक जयंती के पर्व पर कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले रही है।
ये वही कानून हैं जिन्हें वापस लेने की माँग करते हुए देशभर में अराजकता का माहौल बना रहा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लाल किले पर की गई हिंसा और उपद्रव है। इस बीच किसान आन्दोलनों में हत्या, बलात्कार, ऐक्सिडेंट जैसे कई तरह के अपराधों को भी पनाह मिली।
प्रदर्शनकारी किसान अपनी बात मनवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुँच गए थे। हालाँकि, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के जन्मदिन पर पीएम मोदी ने किसानों से अपील की है कि अब वे अपने घरों को लौट जाएँ और वापस अपने खेतों में जाएँ।
सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक एवं विरोधी, दोनों ही अपनी-अपनी तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले से जहाँ प्रधानमंत्री मोदी के समर्थकों का एक बड़ा वर्ग हैरान है, वहीं उनके कुछ ऐसे भी समर्थक हैं जो अभी भी इस फैसले में ‘मास्टरस्ट्रोक’ तलाश रहे हैं। यह वर्ग आम भाषा में ‘भाजपा आईटी सेल’ कहा जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के बाद उनके समर्थकों का एक बड़ा वर्ग अपनी नाराजगी प्रकट कर रहा है। उनकी निराशा इस बात को ले कर है कि वर्ष 2014 में भूमि अधिग्रहण बिल जैसे विषयों पर पलटने के बाद एक बार फिर मोदी सरकार अराजकता और उपद्रवियों के सामने झुकी है।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा के ‘प्रचंड समर्थकों’ का मानना है कि प्रधानमंत्री जब भी एक कदम पीछे हटते हैं, तो वो दो कदम आगे भी बढ़ते हैं। इसके लिए अनुच्छेद 370 को हटाना, और नागरिकता कानून जैसे फैसलों को याद दिलाया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर भाजपा की लगभग हर नीति का समर्थन करने वाली अद्वैता काला ने अपने एक ट्वीट में लिखा है, “खालिस्तान 2.0 और कृषि कानून में से किसी एक को चुना गया है। यह फैसला राष्ट्र के व्यापक हित में लेना ही था। प्रधानमंत्री ने यह फैसला ले कर बहुत अच्छा किया है। राष्ट्र से ऊपर कुछ भी नहीं।”
कृषि कानून वापस लेने पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि मोदी जी ने आज फिर से साबित किया है कि उनके लिए देश सबसे बड़ा है। उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया है और एक ट्वीट भी किया।
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने लिखा, “ऐतिहासिक फैसला। मोदी जी ने फिर साबित किया उनके लिए देश सबसे बड़ा। किसानों की आड़ में खालिस्तानी आग से खेलने का ख्वाब देखने वालों को अब सामने से आना पड़ेगा। असली लीडर ही खुद सामने आकर ऐसे बड़े फैसले ले सकता हैं। नमन नरेंद्र मोदी।”
भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अभिनव प्रकाश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले का बचाव करते हुए लिखा है, “एक कदम पीछे, दो कदम आगे।”
समाचार चैनल ‘नेटवर्क 18’ के एडिटर अमन चोपड़ा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत करते हुए लिखा है,
“पीएम को धन्यवाद कीजिए वो खुद झुके लेकिन देश नहीं झुकने दिया। बिलों को बचाने से पहले उन्होंने देश बचाया। पाकिस्तान और खालिस्तान जो आंदोलन के कंधे का इस्तेमाल करके भारत में अस्थिरता फैलाना चाह रहे थे, उन पर स्ट्राइक की। इसे नाक की लड़ाई ना बनाकर देश की लड़ाई बनाया। #ThankYouPM“
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार रह चुके आलोक भट्ट ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है,
“मुझे पता है कि बहुत से लोग निराश हैं लेकिन मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बस एक लाइन याद रखता हूँ। नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए भाषण में कहा कि ‘किसानों के लिए किया था,देश के लिए वापिस ले रहा हूँ!’ और प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कानून वापस लेते हुए अपनी राजनीतिक कमाई दाँव पर लगा दी।”
हर्ष मधुसूदन ने अपने ट्वीट में लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब या पश्चिम उत्तर प्रदेश में चुनावों के चलते कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया है। उन्होंने लिखा कि यह सुरक्षा स्थिति के कारण लिया गया फैसला है। सरकार की यहाँ सभी तरह आलोचना की जा सकती है, लेकिन गलत आरोपों के लिए नहीं।
आरएसएस के स्वयंसेवक राहुल कौशिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के बचाव में लिखा,
“क्या मैं निराश हूँ? हाँ, लेकिन जब पीएम ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को भी निरस्त कर दिया था तब भी मुझे निराशा हुई थी। लेकिन मुझे पता है कि नरेंद्र मोदी के दिमाग में भारत का हित ही है और वो बस उसी के लिए काम करते हैं। उनके खून में भारत है जो उनसे सतत काम करवाता है। मुझे आज भी उन पर भरोसा है।”
वहीं। कुछ ऐसे भी भाजपा समर्थक हैं, जिन्होंने आश्चर्यजनक रूप से मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। ‘यो यो फन्नी सिंह’ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, “निराशानजक 56 इंच। 5 स्टेप आगे, 6 स्टेप पीछे।”
हालाँकि, उन्होंने इस बीच थोड़ा सा गुंजाइश निकालते हुए इस फैसले के समर्थन में लिखा, “आप सुधारों में देरी कर सकते हैं, लेकिन आप उन्हें रोक नहीं सकते। मुझे यकीन है कि हम किसी दिन कृषि सुधार देखेंगे। आज नहीं तो कल या परसों। किसान एक दिन सुधार की माँग को लेकर खुद आएँगे। उन्होंने अपनी और देश की प्रगति में विलम्ब कर दिया है।”
इनके अलावा ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया आज कुछ ऐसे संदेशों से भी भरा पड़ा है- “टिकैत बेरोजगार हो गया” “शेर पीछे हटा है” “क्या आप मोदीजी से ज्यादा जानते हैं।”