महाराष्ट्र से आने वाले वरिष्ठ नेता एवं हाल ही में मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने नारायण राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर एक बयान दिया। इससे शिवसैनिक आहत हो गए और अब केंद्रीय मंत्री के विरुद्ध महाराष्ट्र में 3 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं।
गुस्साए ठाकरे समर्थकों ने भाजपा के नासिक ऑफिस पर पत्थरबाजी भी की। पत्थरबाजी का आरोप शिवसेना कार्यकर्ताओं पर लगा है।
शिवसैनिकों का हर छोटी-बड़ी बात पर आहत हो जाना अब देश के लिए कोई नई बात नहीं रही है। पहले भी ऐसे कई मौके देखे गए हैं जब शिवसेना के कार्यकर्ता एवं कई बड़े नेता तक भी किसी भी छोटी-मोटी बात पर आहत होते रहे हैं। कई बार तो शिवसेना के कई नेता उग्र होकर कई गैरकानूनी कदम भी उठा लेते हैं। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र से पुनः सामने आया है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री बने नारायण राणे ने सोमवार (23 अगस्त, 2021) को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर एक बयान दिया था। असल में कुछ ही दिनों पहले बीते 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उद्धव ठाकरे अपने भाषण के दौरान स्वतंत्रता का साल भूल गए थे।
इस बात पर निशाना साधते हुए नारायण राणे ने कहा था कि अगर वे उस समय वहाँ मौजूद होते तो वे उद्धव को कान के नीचे एक थप्पड़ लगाते। राणे ने अपने बयान में कहा:
“यह एक शर्मनाक बात है कि मुख्यमंत्री को आज़ादी का वर्ष तक नहीं पता। उन्हें अपने भाषण के दौरान स्वतंत्रता के वर्षों की गिनती के बारे में पूछने के लिए पीछे झुकना पड़ा। अगर मैं वहाँ होता तो मैं उद्धव को एक ज़ोरदार तमाचा लगाता।”
बता दें कि केंद्रीय मंत्री द्वारा भाजपा द्वारा की जा रही ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान एक भाषण में यह बात कही गई।
शिवसेना की ओर से इस बात पर प्रतिकार आना तो अपेक्षित ही था। रत्नागिरी सिंधुदुर्ग के शिवसेना सांसद विनायक राउत ने इस मामले में कहा कि राणे केंद्रीय मंत्री पद संभालने के बाद से अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं, प्रधानमंत्री मोदी को उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।
वर्ष 2005 में शिवसेना से निकाले जाने के बाद से राणा उद्धव ठाकरे के सबसे बड़े आलोचक रहे हैं। शिवसेना सांसद विनायक ने यह भी कहा कि भाजपा को खुश करने के लिए राणे बार-बार इस तरह शिवसेना के नेताओं पर निशाना साधते रहते हैं।
इसके साथ ही युवा सेना के कार्यकर्ताओं ने पुणे के चतरशृंगी पुलिस थाने में नारायण राणे के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज करा दी। इसमें आईपीसी की धारा 153 एवं 505 के तहत मुख्यमंत्री उत्तर ठाकरे के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग करने को लेकर मामला दर्ज कराया गया है।
बता दें कि नारायण राणे जुलाई 2005 तक शिवसेना में ही थे। वे 1999 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वर्ष 2005 के बाद राणे कॉन्ग्रेस में आ गए। कुछ समय कॉन्ग्रेस में रहने के बाद वर्ष 2018 में राणे ने भारतीय जनता पार्टी का हाथ पकड़ लिया था।