कनाडा के एक स्कूल द्वारा एक यज़ीदी महिला की पुस्तक पर चर्चा के एक कार्यक्रम को स्कूल प्रशासन द्वारा रद्द कर दिया गया। नोबेल पुरस्कार जीतने वाली यह महिला एक लंबे समय तक ISIS के आतंकियों के कब्ज़े में थी।
इस महिला के कार्यक्रम को केवल यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि यह कार्यक्रम लोगों में मुस्लिम समुदाय के प्रति घृणा का भाव बढ़ा सकता है और छात्र उन्हें इस्लाम से घृणा करने वाला समझेंगे।
इस्लामिक स्टेट (IS) द्वारा यज़ीदी समुदाय पर किए गए और किए जा रहे अत्याचार दुनियाभर में किसी देश से भी छिपे नहीं हैं। हाल ही में नादिया मुराद नामक महिला लेखिका का ऐसा ही एक मामला ख़ासा चर्चित हुआ था।
वर्ष 2014 में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों द्वारा उत्तरी इराक क्षेत्र में इस महिला के गाँव पर हमला कर दिया गया था। आतंकवादियों ने उस समय 21 वर्ष की नादिया को अपने कब्ज़े में ले लिया था और एक लंबे समय तक सेक्स स्लेव के रूप में रखा था।
नादिया द्वारा ‘द लास्ट गर्ल: माय स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माय फाइट अगेंस्ट इस्लामिक स्टेट (The Last Girl: My Story of Captivity, and My Fight Against the Islamic State)’ लिखी गई है। इस महिला को नोबेल पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है। फरवरी, 2022 में होने जा रहे इस नादिया की किताब संबंधित समारोह से पहले मैरी हेनिन नामक लेखिका की किताब पर भी चर्चा होनी थी।
अक्टूबर के मैरी के समारोह को रद्द करने के साथ-साथ नादिया के समारोह को यह कहते हुए रद्द किया गया कि उनके द्वारा लिखी गई किताब विद्यालय के मुस्लिम समुदाय के छात्रों को अपमानित कर सकती है और इसके कारण ‘इस्लामोफोबिया’ को भी बढ़ावा मिल सकता है।
पूरे मामले पर कई कैनेडियन लेखकों द्वारा बोर्ड के इस निर्णय की भारी आलोचना की गई है। लेखिका मैरी ने भी इस विषय में बोर्ड के निर्णय के प्रति अपने विचार प्रस्तुत करते हुए लिखा:
“इस तरह के रवैये का वर्णन करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। इसका कारण ‘मिसअंडरस्टैंडिंग’ यानी गलतफहमी तो बिलकुल नहीं हो सकता।”
टोरंटो की ही रहने वाली एक अन्य लेखिका नाओमी बक ने कहा:
“यह मामला लेखकों के बारे में था। ऐसी महिलाएँ जिन्होंने असाधारण चीजें की हैं, और इनका जीवन युवा पाठकों को प्रेरणा प्रदान कर सकता है। ऐसी महिलाओं की पुस्तकों को अस्वीकृति देना दुनिया की अन्य कई जटिल घटनाओं को अस्वीकृति देने जैसा है।”