कर्नाटक सरकार द्वारा हिंदू मंदिरों के फंड से अन्य मज़हबी संस्थाओं को दिए जाने वाले फंड पर रोक लगा दी गई है। यह फैसला विश्व हिंदू परिषद जैसी संस्थाओं एवं अन्य हिंदूवादी समूहों के भारी विरोध के बाद आया है। इस फैसले के बाद यह फंड केवल हिंदू मंदिरों के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा।
कर्नाटक में हिंदू मंदिरों के लिए आने वाली सरकारी धनराशि ‘हिंदू रिलिजियस इंस्टीट्यूशंस एंड चैरिटेबल एंडोवमेंट्स’ (HRCE) विभाग द्वारा देखी जाती है। यह विभाग हिंदू धार्मिक संस्थान एवं धर्मार्थ दान (मुजरई) विभाग के नाम से भी जाना जाता है।
विभाग ने बताया कि हर साल मंदिरों के लिए 133 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च होती है। इस धन को तास्तिक राशि के नाम से भी जाना जाता है। यह धनराशि राज्य में करीब 27,000 मंदिरों के द्वारा प्रयोग की जाती है।
इसके पैसे से ही पहले राज्य में 764 अन्य गैर-हिंदू अर्चना स्थलों को भी पैसा दिया जाता था, जिसे अब तुरंत रोकने का निर्णय लिया गया है।
मुज़रई विभाग के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने कहा:
“हमारी सरकार से पहले, मंदिरों के लिए दी गई तांत्रिक तास्तिक राशि में से ही अन्य मज़हबी स्थलों को पैसा जाता था। यह जानकारी मिलने के बाद इस पर संज्ञान लिया गया तथा तुरंत इस पर रोक लगाई गई।”
उन्होंने आगे कहा अन्य संस्थानों के धन के विषय के लिए उनके संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए जाएँगे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने हाल ही में कोविड के लिए एक 500 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें आचारकों को राहत राशि दी जानी थी। इसी पैसे में से मस्जिद के इमाम और मौलवियों को भी धनराशि दी जानी थी।
निर्णय का स्वागत करने के साथ ही विश्व हिंदू परिषद द्वारा HRCE के फंड से यह पैसा अन्य लोगों को देने का विरोध किया गया। वीएचपी ने यह भी कहा कि मंदिरों के लिए दी जाने वाली राशि केवल देवस्थान और मंदिरों के लिए ही उपयोग होनी चाहिए न कि अन्य मदरसों एवं मस्जिदों के लिए।
मुज़रई विभाग के मंत्री पुजारी द्वारा इस मामले पर संज्ञान लिया गया तथा उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि इस निर्णय को वापस लिया जाएगा।