गाजियाबाद जिले में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति से मारपीट को सांप्रदायिक रंग देने के प्रयास पर योगी सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने ट्विटर और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर सहित 9 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है।
ट्विटर पर आरोप लगाया गया है कि इस तरह के प्रॉपगेंडा वीडियो पर उसने कोई कार्रवाई नहीं की। इस वीडियो को इस तरह प्रचारित किया गया कि एक मुस्लिम बुजुर्ग व्यक्ति को पीटते हुए उससे ‘जय श्री राम’ बुलवाया जा रहा है एवं ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगवाए गए, जबकि मामला व्यक्तिगत था। ट्विटर इस तरह की भ्रामक खबरों पर ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ का टैग लगाता है, लेकिन इस मामले में उसने ऐसा नहीं किया।
पुलिस की एफ़आईआर में मजहबी पत्रकार राना अय्यूब, सबा नक़वी और मोहम्मद ज़ुबैर नामज़द अभियुक्त के तौर पर शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी अभियुक्तों ने बिना वीडियो एवं तथ्यों की पुष्टि किए इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया।
यही नहीं, कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा इस वीडियो को म्यूट कर के प्रकाशित किया गया था। एफ़आईआर के अनुसार मोहम्मद ज़ुबैर, राना अय्यूब आदि द्वारा शेयर किए गए ये ट्वीट्स हज़ारों बार रीट्वीट किए गए हैं।
गाजियाबाद पुलिस ने मंगलवार (15 जून,2021) को ट्विटर, कुछ पत्रकारों और कॉन्ग्रेस नेताओं सहित 9 लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से एक वीडियो शेयर करने के आरोप में FIR दर्ज की है।
प्राथमिकी में दर्ज नामजद लोगों में प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के अलावा पत्रकार सबा नकवी और राणा अय्यूब भी शामिल हैं। इसके अलावा, दो कॉन्ग्रेस नेताओं, सलमान निजामी और डॉ शमा मोहम्मद का नाम भी प्राथमिकी में शामिल हैं।
एफ़आईआर की कॉपी
गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर पर ‘वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए कुछ नहीं करने’ का भी आरोप लगाते हुए ‘ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ को भी आरोपित बनाया है। प्रॉपगेंडा न्यूज़ पोर्टल ‘द वायर’ भी इस मामले में मामला दर्ज किया गया है।
आरोपितों पर दर्ज प्राथमिकी में धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153 A(धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 A (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 505 (किसी भी बयान को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत धाराएं हैं, अफवाह या उकसाने के इरादे से रिपोर्टिंग, 120 B (आपराधिक साजिश) और आईपीसी की धारा 34 (सामान्य इरादे) लगाई गई हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर अब्दुल समद नाम के एक बुज़ुर्ग का वीडियो वायरल किया गया, जिसमें एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति को कुछ लोग पीट रहे हैं। मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा इसे ट्वीट करने से पहले वीडियो से आवाज़ हटा दी गई थी, जिससे ये पता नहीं चल पा रहा था कि बुजुर्ग और मारपीट करने वाले लोगों के बीच क्या बात-चीत हो रही है।
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और मज़हबी फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने इसे साम्प्रदायिक रँग देते हुए यह कह कर शेयर किया कि एक मुस्लिम बुजुर्ग व्यक्ति को ‘हिन्दू कट्टरपंथी’ पीट रहे हैं और उनसे जबरन ‘जय श्री राम का’ नारा लगवा रहे हैं।
कुछ ही देर में जुबैर ने उस पीड़ित व्यक्ति का वीडियो शेयर किया, जिसमें वह भी दावा कर रहा है कि उनकी पिटाई करने वालों ने उससे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था। हालाँकि बाद में जुबैर ने अपना ये ट्वीट हटा दिया, लेकिन तब तक यह भ्रामक वीडियो अपने अजेंडे के साथ यह सोशल मीडिया पर पूरी तरह वायरल हो चुका था।
पुलिस का कहना है कि इस ट्वीट्स का मक़सद सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना था
पुलिस ने इस मामले की जाँच की तो पता चला कि वीडियो में दिख रहे पीड़ित बुजुर्ग का नाम सूफी अब्दुल समद है और उसकी पिटाई करने वालों में कुल 6 लोग शामिल थे।
ये सभी आरोपित अब्दुल समद द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर नाखुश थे। दरअसल तंत्र-मंत्र साधना करने वाले अब्दुल समद बुरी नजर से बचाने के लिए ताबीज़ बना कर देता है। ताबीज़ से फायदा न मिलने पर आरोपितों ने बुजुर्ग की पिटाई की थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि बुजुर्ग पर हमला करने वाले कल्लू, आदिल, पॉली, आरिफ, मुशाहिद और परवेश गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब्दुल समद की पिटाई की घटना उसके आवास पर 5 जून को हुई थी।
5 जून को हुई घटना के दो दिन बाद ही भारतीय दंड संहिता की धारा 342, 323, 504 और 506 में मामला दर्ज किया जा चुका था। उस वक्त सूफी अब्दुल समद ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में यह कहीं नहीं लिखा था कि उनकी दाढ़ी काटी गई या उनसे जबरन ‘जय श्री राम’ और ‘वन्दे मातरम’ बुलवाया गया।