कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद बुधवार (2 दिसम्बर, 2021) को एक बार फिर अपनी ही पार्टी की आलोचना करते दिखे। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस पार्टी को 300 सीटें तक नहीं मिलने वाली। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि अल्लाह करे कि उनके इतने सांसद जीतें।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के निर्णय को उलटने पर आज़ाद ने वार्ता की। गुलाम नबी आज़ाद ने पुंछ ज़िले में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इस विषय में अब केवल सर्वोच्च न्यायालय फैसला ले सकता है या कॉन्ग्रेस पार्टी। वह भी तब अगर कॉन्ग्रेस 300 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में आए, परन्तु ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
हालाँकि, आज़ाद ने आगे यह भी कहा कि वे दुआ करते हैं कि कॉन्ग्रेस 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करे। उन्होंने कहा:
“केवल सर्वोच्च न्यायालय ही अनुच्छेद 370 पर फैसला दे सकता है। शीर्ष अदालत के अलावा, केवल सत्तारूढ़ सरकार ही ऐसा कर सकती है। वर्तमान सरकार ने इसे निरस्त कर दिया है, वे इस पर कुछ कैसे करेंगे? और मैं आपको इस बात से आश्वस्त नहीं कर सकता कि कॉन्ग्रेस 2024 में 300 सीटें जीतेगी। मैं दुआ करता हूँ कि कॉन्ग्रेस 300 सीटें जीतें, परन्तु मुझे अभी ऐसा होता नहीं दिख रहा है।”
इस हफ्ते की शुरुआत में ग़ुलाम ने राजनीतिक दलों से राज्य में ऐसा माहौल बनाने का आग्रह किया था कि लोगों को यह भरोसा हो सके कि यहाँ चुनाव हो सकते हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकता है।
ग़ुलाम ने कहा था:
“मैं अभी पार्टी स्तर की राजनीति नहीं करनी चाहता। मैं फिलहाल किसी पार्टी के विरुद्ध नहीं बोल रहा हूँ क्योंकि अभी राज्य में ऐसा माहौल नहीं है जहाँ एक पार्टी दूसरी का विरोध करे। बल्कि मैं तो सभी राजनीतिक दलों से यह अनुरोध करता हूँ कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने के बजाय राज्य में ऐसा माहौल बनाएँ कि यहाँ के लोगों को भरोसा हो कि चुनाव हो सकता है और राजनीति की जा सकती है।”
आज़ाद ने यह भी कहा कि आमतौर पर, केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य बना दिया जाता है। लेकिन इस मामले में, एक राज्य को केंद्र शासित में परिवर्तित कर दिया गया था। यह डीजीपी को थानेदार, सीएम को विधायक और पटवारी को मुख्य सचिव बना देने जैसा है। कोई बुद्धिमान व्यक्ति ऐसा नहीं करता।
बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त कर दिया था और इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। सरकार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को उचित समय आने और राज्य में शान्ति स्थापित होने पर पुनः राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।