केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सारे बैंक खातों में लेनदेन पर रोक लगा दी है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मदर टेरेसा के ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ संगठन द्वारा संचालित बैंक खातों को क्रिसमस के दिन फ्रीज किए जाने की खबरों पर हैरानी जताई।
सोमवार (27 जनवरी, 2021) दोपहर अपने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ममता ने लिखा:
‘‘क्रिसमस पर यह बात सुनकर हैरान हूँ कि केंद्र सरकार ने भारत में मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों में लेनदेन रोक दिया है। उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाएँ नहीं मिल पा रहीं। कानून सर्वोपरि है, लेकिन मानवीयता के नाते किए जाने वाले प्रयासों से समझौता नहीं होना चाहिए।”
इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सूरज्य कांत मिश्रा ने भी इस मामले में ट्वीट करते हुए लिखा:
“क्रिसमस के दिन केंद्रीय मंत्रालय द्वारा मदर टेरेसा की मिशनरी के सभी अकाउंट बंद कर दिए गए। सरकार ने भारत में नकदी सहित सभी खातों को भी फ्रीज कर दिया है। अब उनके मिशनरी के 22,000 मरीज़ और कर्मचारियों के पास भोजन और दवाइयाँ तक नहीं हैं।”
इस मामले में मुख्यमंत्री ममता और सीपीएम नेता के साथ-साथ कोलकाता के फादर डोमिनिक गोम्स द्वारा भी सरकार के इस कदम की निंदा की गई, परंतु इन सभी ने सरकार के निर्णय की आलोचना करने के अलावा इस मामले में कोई अन्य जानकारी नहीं दी।
दरअसल 2 सप्ताह पूर्व गुजरात में ‘गुजरात फ्रीडम आफ रिलिजन एक्ट 2003’ के तहत मिशनरियों के विरुद्ध एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें ज़बरन पंथ परिवर्तन करने का आरोप लगाते हुए ‘मिशनरी ऑफ़ चैरिटी’ संगठन पर हिंदू भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया था।
यह शिकायत ज़िला सामाजिक रक्षा अधिकारी मयंक त्रिवेदी द्वारा गुजरात के मकरपुरा थाने में कराई गई थी। शिकायत दर्ज कराने के दौरान वडोदरा ज़िले के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के प्रमुख भी मौजूद थे और उन्होंने बताया कि इस मिशनरी के चाइल्ड होम्स में रहने वाली लड़कियों को ज़बरन बाइबल पढ़ने और क्रॉस पहनने को विवश किया जाता है।
शिकायत में आगे लिखा गया:
“यह संस्था कई ऐसी गतिविधियों में लिप्त है जिनसे हिंदू भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुँचाई जाती है। इनके घरों में रहने वाली लड़कियों को ज़बरन ईसाई पंथ की कई रीतियाँ ज़बरन करवाई जाती हैं, जैसे उन्हें अपने गले में क्रॉस का निशान पहनना होता है और अपने कमरे की मेज़ पर बाइबल रखना और पढ़ना भी अनिवार्य होता है। लड़कियों को ज़बरन इस प्रकार पंथ परिवर्तित करने का प्रयास एक अपराध है।”
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा लिया गया निर्णय गुजरात की इस शिकायत से प्रभावित है या नहीं, इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है, परंतु देश के विभिन्न हिस्सों में ईसाई मिशनरी द्वारा ज़बरन, अंधविश्वास फैलाकर या लालच देकर पंथ परिवर्तन कराना अब कोई नई बात नहीं रह गई है।
हालाँकि, केंद्र ने इस मामले पर प्रतिक्रिया में कहा:
“रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए, मिशनरीज ऑफ चैरिटी के नवीनीकरण आवेदन को मंजूरी नहीं दी गई थी। मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए पंजीकरण 31 दिसंबर, 2021 तक वैध था। एमएचए ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के किसी भी खाते को फ्रीज नहीं किया।”
आगे मंत्रालय ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सूचित किया है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने खुद एसबीआई को अपने खातों को फ्रीज करने का अनुरोध भेजा था। मिशनरियों के आधिकारिक अफसरों ने इस मामले में कोई टिप्पणी करने से फिलहाल मना कर दिया है।