गत सप्ताह संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े पेश किए गए। यह जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़े हैं। गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए इस डेटा के अनुसार यह देखा जा सकता है कि घाटी में अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक सैन्यकर्मियों के दिवंगत होने का आँकड़ा 178 था, जबकि अगस्त, 2019 के बाद यह आँकड़ा घटकर 46 पर आ गया है।
घाटी से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के बाद से जहाँ एक ओर कई राजनीतिक बदलाव आए हैं, वहीं सुरक्षाकर्मियों के दिवंगत होने के आँकड़ों में भी खासी गिरावट देखने को मिली है।
गत सप्ताह कॉन्ग्रेस के सांसद कुमार केतकर ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को लेकर गृह मंत्रालय से कुछ सवाल पूछे। उन्होंने मई 2014 से अगस्त 2019 में घाटी में आतंकवादियों द्वारा आम नागरिकों और सैन्यकर्मियों की मृत्यु का आँकड़ा पूछा। साथ ही अगस्त 2019 यानी अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में इन आँकड़ों के विषय में भी जानकारी माँगी गई।
इन प्रश्नों की व्याख्या में गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों में यह देखा जा सकता है कि घाटी से अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद से आतंकियों द्वारा सैन्यकर्मियों की हत्याओं में कमी देखने को मिली है। इसके साथ ही घाटी में जहाँ एक ओर आतंकी हमलों में कमी आई है, वहीं दूसरी ओर सेना द्वारा आतंकियों के एनकाउंटरों में बढ़ोतरी हुई है।
गृह मंत्रालय ने डेटा सामने रखा है, जिसमें देखा जा सकता है कि मई 2014 से अगस्त 2019 के बीच जहाँ 178 सैन्यकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए, वहीं अगस्त 2019 से नवंबर 2021 के बीच यह आँकड़ा 46 सैन्यकर्मियों पर गिर गया।
इस आँकड़े की प्रति माह दर देखी जाए तो अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले सैन्यकर्मियों के दिवंगत होने का आँकड़ा प्रतिमाह 2.8 हुआ करता था। वहीं 370 निरस्त होने के बाद यह संख्या 1.7 पर गिर गई।
हालाँकि इन आँकड़ों से यह साफ होता है कि इस काल खंड में आम नागरिकों की मृत्यु दर प्रति माह 2.8 से बढ़कर 3.2 हो गई है।
गृह मंत्रालय ने आगे व्याख्या देते हुए अनुच्छेद 370 निरस्त होने से 2 वर्ष पूर्व यानी लगभग 841 दिनों का डेटा भी सामने रखा। इसमें यह साफ देखा जा सकता है कि इन 841 दिनों (करीब ढाई वर्ष) में न केवल आतंकी घटनाओं में कमी आई, बल्कि बलिदानी सैन्यकर्मियों की संख्या में भी भारी गिरावट देखने को मिली है।
बता दें कि 16 अप्रैल, 2017 से 4 अगस्त, 2019 के बीच घाटी में 843 आतंकी घटनाईं हुईं। वहीं, 5 अगस्त, 2019 से 22 नवंबर, 2021 तक ये घटनाएँ 496 तक गिर गईं। इसी तरह इस कालखंड में सैन्यकर्मियों के वीरगति को प्राप्त होने के आँकड़े में भी कमी आते हुए यह संख्या 78 से 45 पर गिरी है।
एमएचए के एक अधिकारी ने इस पर कहा:
“खुफिया ब्यूरो और जम्मू-कश्मीर पुलिस दोनों द्वारा कुछ अच्छी खुफिया जानकारी तैयार की गई है, जिससे सफल मुठभेड़ हुई हैं। हम हमलों और हत्याओं को रोकने में भी सफल रहे हैं।”