भारत के विदेश मंत्रालय यानी मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स (MEA) ने हाल ही में अफगानिस्तान में मेडिकल सहायता के तौर पर लगभग 2 टन से अधिक जीवन रक्षक दवाएँ भेजी हैं। इनमें तालिबान शासित राज्य में लगभग 5 लाख कोरोना के टीके भी निर्यात किए गए हैं।
चीन की वुहान लैब से निकला कोरोना वायरस लगभग पिछले 2 वर्षों से दुनियाभर में महामारी बना हुआ है। इस वायरस ने भारत समेत पूरे विश्व में लाखों लोगों की जान ली है। जहाँ एक ओर कई संपन्न देश इससे लड़ने और अपनी आबादी का टीकाकरण करने में सक्षम हैं, वहीं कई ऐसे देश में मौजूद हैं जिन की जनता लाचार है।
ऐसा ही एक देश है भारत का पड़ोसी अफगानिस्तान, जिस पर गत वर्ष 15 अगस्त, 2021 को इस्लामी आतंकी संगठन तालिबान ने कब्ज़ा स्थापित कर लिया था। तालिबानी सरकार अपने नागरिकों को रोटी-कपड़े-सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने में भी सक्षम नहीं है तो एक महामारी से लड़ना अवश्य ही इस संगठन के दायरे से बाहर है।
ऐसे में भारत पड़ोसी के नाते अपना कर्तव्य निभाते हुए अफगान जनता की सहायता के लिए सामने आया। भारत के विदेश मंत्रालय MEA ने शुक्रवार (7 जनवरी, 2022) को इस विषय में सूचना देते हुए बताया कि उन्होंने अफगान लोगों के साथ अपने संबंधों के आधार पर उन्हें मानवीय सहायता करते हुए लगभग 5 लाख कोरोना के टीके और साथ ही 1.6 टन दवाइयाँ WHO के माध्यम से अफगानिस्तान भिजवाई हैं।
बता दें कि भारत द्वारा अफगानिस्तान में मदद के तौर पर भेजा गया यह मेडिकल सहायता का तीसरा बैच था और मंत्रालय ने यह भी कहा:
“आने वाले हफ्तों में हम गेहूँ की आपूर्ति और शेष चिकित्सा सहायता का कार्य करेंगे। इस संबंध में हम परिवहन से संबंधित विषय पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और अन्य लोगों से संपर्क में है।”
मंत्रालय ने बताया कि काबुल स्थित इंदिरा गाँधी अस्पताल को दवाइयों का यह तीसरा जत्था सप्लाई कर दिया गया है। बता दें कि भारत द्वारा भेजे गए दवाइयों के पहले जत्थे का अफगानिस्तान में स्वागत किया गया था और इस पर तालिबानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने कहा था:
“हम काबुल में इंदिरा गाँधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भारत से आई 2 टन दवा के आगमन की सराहना करते हैं।”
वर्ष 2021 में भी भारत ने लगभग 70 से अधिक देशों में 6 करोड़ कोरोना टीकों की खुराक पहुँचाई थी। इनमें से 80 लाख से अधिक टीके केवल उपहार के रूप में कई गरीब और छोटे देशों को दिए गए थे। इस मुहिम का नाम सरकार द्वारा ‘वैक्सीन मैत्री’ रखा गया था।
बता दें कि उस समय कई विरोधियों द्वारा भारत सरकार को इस विषय में घेरने का भी प्रयास किया गया था, जिसमें ये आरोप लगे थे कि भारत के नागरिकों के लिए पर्याप्त टीके नहीं हैं और भारत सरकार टीके निर्यात कर रही है।
भारत में कोरोना टीकाकरण की बात करें तो देश में टीकाकरण प्रारंभ हुए लगभग साल भर हो चुका है और अब तक देश में 150 करोड़ से अधिक टीके लग चुके हैं। इनमें से करीब 87 करोड़ से अधिक लोगों को पहली खुराक और करीब 62 करोड़ लोगों को दवा की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं।
बता दें कि नए साल में भारत ने 15 से 18 वर्ष के किशोरों का टीकाकरण भी प्रारंभ कर दिया है और उनके टीकाकरण का आँकड़ा भी एक करोड़ के पार जा चुका है।