संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी ‘ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेस’ रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार लाने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कदम उठाए हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने कई देशों के मानवाधिकार आकलन पर विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें अमेरिका ने माना है कि जम्मू-कश्मीर में लगातार हालात सुधर रहे हैं।
इस रिपोर्ट में अलगाववादियों और आतंकवादियों द्वारा जम्मू सहित माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाकर्मियों, नागरिकों की हत्याओं और यातनाओं के साथ ही बाल सैनिकों की भर्ती और उनके इस्तेमाल का उल्लेख किया गया है।
अमेरिकी कॉन्ग्रेस की इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर में आंशिक रूप से इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया है। इसके अलावा, स्थानीय जिला विकास परिषद के चुनाव सफलतापूर्वक आयोजित किए गए, जिसमें विपक्षी दलों ने बहुमत हासिल किया ।
रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों सहित गैर-सरकारी बलों ने कई हत्याएँ कीं। झारखंड और बिहार में माओवादियों ने सड़कों, रेलवे और संचार टावरों सहित सुरक्षा बलों और बुनियादी सुविधाओं पर हमला जारी रखा।
SATP (South Asian Terrorism Portal) के अनुसार, आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप 99 नागरिक, 106 सुरक्षाबल के सदस्यों ने अपनी जान गंवाई और सालभर में 383 आतंकवादी या विद्रोही मारे गए।
SATP द्वारा वर्ष 2000 में इस डेटा की रिपोर्टिंग शुरू करने के बाद से मारे गए नागरिकों की यह सबसे कम संख्या थी। जुलाई में आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर में पार्टी के 06 नेताओं की हत्या कर दी।
हालाँकि, इसके अलावा, अमेरिकी रिपोर्ट में भारत में कुछ महत्वपूर्ण मानवाधिकार के मुद्दों का भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस पर प्रतिबंध का उल्लेख किया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भारत में एक दर्जन से अधिक मानवाधिकारों से जुड़े़ अहम मुद्दों को सूचीबद्ध किया है।
इसमें हिंसा, हिंसा की धमकी, या पत्रकारों के खिलाफ अनुचित गिरफ्तारियाँ, केस, सेंसरशिप और साइट ब्लॉकिंग के साथ ही आपराधिक कानूनों का उपयोग, गैर सरकारी संगठनों पर अत्यधिक प्रतिबंधात्मक नियम भी शामिल हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी 2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज’ नाम की इस रिपोर्ट में रूसी राष्ट्र पति व्लाेदिमीर पुतिन की अगुवाई वाले प्रशासन के खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों व प्रदर्शनकारियों को कुचलने का आरोप लगाया गया है। वहीं, सीरिया की बशर अल-असद सरकार को अपने ही लोगों के दमन और उन पर अत्यााचार के लिए दोषी ठहराया गया है।