इस्लामिक स्टेट में शामिल हुई केरल की 4 महिलाओं को वापसी की अनुमति नहीं देगा भारत

12 जून, 2021
केरल की सभी महिलाओं ने वर्ष 2016-18 में अफगानिस्तान की यात्रा की थी

इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए भारत छोड़ने वाली केरल की 4 महिलाओं को भारत में वापसी की अनुमति नहीं मिलेगी। यह महिलाएँ वर्ष 2016 में केरल से अफगानिस्तान इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए भाग गई थीं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान की जेल में बंद केरल की इन 4 भारतीय महिलाओं को देश लौटने की इजाज़त देना संभावना नहीं है।


केरल की ये सभी महिलाएँ वर्ष 2016 में इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए ईरान के रास्ते पैदल ही अफगानिस्तान चली गई थीं। इस्लामिक स्टेट के लिए काम करते हुए अपने शौहरों के मारे जाने के बाद इन महिलाओं ने नवंबर और दिसंबर, 2019 के बीच अफगानिस्तान में आत्मसमर्पण कर दिया था।

जानिए कौन हैं ये चारों महिलाएँ

अफगानिस्तान की जेल में बंद इन चारों महिलाओं की पहचान सोनिया सेबेस्टियन उर्फ ​​आयशा, रफीला, मेरिन जैकब उर्फ ​​मरियम और निमिशा उर्फ ​​फातिमा ईसा के रूप में हुई थी।

सोनिया सेबेस्टियन ने साल 2011 में अब्दुल राशिद अब्दुल्ला से शादी करने के बाद इस्लाम स्वीकार कर लिया था और अब आयशा के नाम से जानी जाती है। सेबेस्टियन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है।

मेरिन जैकब उर्फ ​​मरियम की शादी पलक्कड़ निवासी बेस्टिन विंसेंट से हुई थी। दोनों वर्ष 2016 में आईएस के नियंत्रण वाले इलाके में रहने के लिए अफगानिस्तान भाग गए थे।

इस जोड़े ने अपनी शादी के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया और विंसेंट ने याह्या की पहचान बना ली। विन्सेंट को बाद में अफगानिस्तान में मार दिया गया था।

विन्सेंट का भाई बेक्सन और उसकी पत्नी निमिशा भी इन लोगों के साथ अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत भाग गई थी। इस्लाम धर्म अपनाने के बाद मिनिषा ने अपना नाम फातिमा रख लिया था।

रफीला की शादी कासरगोड के एक चिकित्सक इजस कल्लुकेतिया पुराइल से हुई थी, जो संभवतः आईएस आतंकवादियों में से एक था। इजस ने अगस्त 2020 में पूर्वी अफगानिस्तान की जलालाबाद की एक जेल में हुए हमले में शामिल था। हमले में लगभग 30 लोग मारे गए थे।

अब्दुल राशिद था मास्टरमाइंड

केरल के कासरगोड के मूल निवासी अब्दुल राशिद केरल में इस्लामिक स्टेट का मास्टरमाइंड था। आईएएस में शामिल होने के लिए केरल छोड़कर भागने वाले केरल वासियों का ब्रेनवाश करने में अब्दुल का ही हाथ माना जाता है।

अब्दुल रशीद ने ही चरमपंथी के ऑडियो संदेश भेजकर अधिक से अधिक केरलवासियों को कट्टरपंथी बनाने के लिए टेलीग्राम ग्रुप बनाया था। वर्ष 2015 में वह केरल में काफी सक्रिय था।

इस दंपति ने केरल में आईएस और इस्लामिक जिहाद के समर्थन में कई गुप्त सभाएँ भी की थीं। NIA ने भी अब्दुल को इस्लामिक स्टेट के मास्टरमाइंड के रूप में नामित किया है। सोनिया और अब्दुल राशिद 31 मई, 2016 को अपनी बेटी के साथ अफगानिस्तान भाग गए थे।

कट्टरपंथी हैं चारों महिलाएँ, मगर आना चाहती हैं भारत

आत्मसमर्पण के एक महीने बाद दिसंबर, 2019 में काबुल में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उनका साक्षात्कार लिया गया था। उनके साक्षात्कार से पता चला कि वे अत्यधिक कट्टरपंथी हैं। हालाँकि, उन्होंने इस्लामिक स्टेट से खुद को पूरी तरह अलग करने की बात भी कही।

खोरासन फाइल्स: ‘द जर्नी ऑफ इंडियन’इस्लामिक स्टेट विडोज‘ शीर्षक से जारी इस साक्षात्कार में महिलाओं ने बताया कि वो यहाँ इस्लामी कानून के तहत इस्लामी जीवन की उम्मीद में आई थीं, लेकिन कई चीजें उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं, चाहे वह मस्जिद में नमाज़ हो या कुछ और।

चारों महिलाएँ काफी निराश थीं और भारत वापस आकर अपने शौहरों के परिवार के साथ रहना चाहती थीं।

अफगानिस्तान ने दिया था प्रस्ताव

27 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के प्रमुख अहमद जिया सरज ने काबुल में संवाददाताओं से कहा था कि 13 देशों के इस्लामिक स्टेट के 408 सदस्य अफगानिस्तान की जेलों में बंद हैं। इसमें चार भारतीय, 16 चीनी, 299 पाकिस्तानी, दो बांग्लादेशी, मालदीव के दो नागरिक शामिल हैं।

अहमद जिया सराज ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान सरकार ने कैदियों को निर्वासित करने के लिए 13 देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। काबुल में वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिया कि उन्हे इस बात का इंतजार है कि भारत इन महिलाओं को वापस लेने के बारे में दिए प्रस्ताव का क्या जवाब देता है।

हालाँकि, एक सूत्र ने कहा कि चार महिलाओं की वापसी पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच कोई सहमति नहीं थी और उन्हें वापस में आने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।



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