इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में तालिबान के बाटी कोट के स्थानीय खुफिया प्रमुख को मार गिराया है। सूत्रों के अनुसार, आईएस आतंकवादियों ने सोमवार रात बशीर पर घात लगाकर हमला किया। बशीर उस वक्त जिला क्षेत्र में गश्त कर रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आतंकी इस्लामिक स्टेट (IS) ने मंगलवार ( 11 जनवरी, 2021) को पूर्वी अफगान प्रांत नंगरहार में बाटी कोट जिले की इस्लामिक अमीरात खुफिया एजेंसी के प्रमुख आबिद बशीर की हत्या कर दी। हमला घात लगा कर उस वक्त किया गया जब वह जिले में गश्त पर थे।
हालाँकि अभी तक किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सूत्रों ने दावा किया कि स्थानीय खुफिया प्रमुख को आईएस आतंकवादियों द्वारा मारा गया है। आईएस आतंकवादी बशीर के उस अभियान से नाराज थे जो उसने बाटी कोट जिले में IS के खिलाफ शुरू किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, आबिद बशीर नंगरहार प्रांत में तालिबान के प्रमुख कमांडरों में से एक था। उसने क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट-खुरासान के आतंकियों के सफाए के लिए एक बड़ा अभियान चला रहा था, जिसका नेतृत्व वज्ज स्वयं कर रहे थे।
अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से, आईएस ने देश भर में कई आतंकवादी हमले किए हैं, जिसमें अगस्त माह में काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विस्फोट भी शामिल है। इस आतंकी हमले में 180 से अधिक लोग मारे गए थे।
इसके अलावा आईएस के आतंकवादियों ने अक्टूबर में कुंदुज शहर में एक शिया मस्ज़िद पर पर हमला किया था, जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए थे। तालिबान ने बार-बार अफगानिस्तान में आईएस को खत्म करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है और हमलों को रोकने का संकल्प लिया है।
तालिबान-आईएस गतिरोध अफगानिस्तान में 2015 से चल रहा है, जब आईएस ने देश में आतंकवादी सेल बनाना शुरू किया और लड़ाकों की भर्ती शुरू कर दी। गतिरोध उस वक्त संघर्ष में बदल गया जब आईएस-के से जुड़े उग्रवादियों ने 2 फरवरी 2015 को लोगार प्रांत में तालिबान के एक वरिष्ठ कमांडर अब्दुल गनी को मार डाला।
तब से, तालिबान और आईएस-के क्षेत्र के नियंत्रण को लेकर संघर्ष में लगे हुए है। नंगरहार, लोगर और फराह प्रांतों में तालिबान और आईएस के बीच भीषण संघर्ष हुआ था। जब काबुल पर तालिबान ने कब्जा किया तो आईएस-के के नेताओं ने अफगानिस्तान के तालिबान अधिग्रहण की निंदा की थी।
तालिबान ने भी सत्ता पर काबिज़ होते ही तुरंत इस्लामिक स्टेट के समर्थकों सहित संभावित विरोधियों को रोकने के लिए अभियान शुरू कर दिया था। तालिबान ने सलाफिस्ट मस्जिदों के मदरसों को बंद करने का आदेश दिया और प्रमुख सलाफ़ी विद्वानों को गिरफ्तार किया। इस्लामिक स्टेट को सलाफ़ी विचारधारा का ही माना जाता है।