अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों को लेकर चीन अक्सर भारत के साथ विवाद करता रहता है। चीनी सरकार अपनी विस्तारवादी नीतियों के चलते इस क्षेत्र में हमेशा कुछ न कुछ गतिविधियाँ करती रहती है, जिसके कारण दोनों देशों कि लोगों को खासी परेशानी होती है।
हाल ही में चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल द्वारा अरुणाचल के विभिन्न स्थानों के नाम बदले गए, जिसके जवाब में भारत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
अपनी विस्तारवादी सोच का उदाहरण देते हुए चीनी सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलकर इन्हें चीनी भाषा में कर दिया। चीनी सरकार के अधीन रहने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार (30 दिसंबर, 2021) को इस विषय में खबर छपी और उसमें लिखा गया कि अरुणाचल प्रदेश जिसे चीनी भाषा में जांगनान कहा जाता है, इसके 15 स्थानों का नामकरण चीनी, तिब्बती और रोमन वर्णमाला में किया गया है।
बदले गए 15 स्थानों में चार पहाड़, आठ रिहायशी क्षेत्र, दो नदियाँ और एक पहाड़ी क्षेत्र हैं। यह कृत्य करके चीन भारतीय क्षेत्र में अपनी दावेदारी मज़बूत करने का सपना देख रहा है।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो चीन ने जिन 8 रिहायशी इलाकों के नाम बदले हैं वे शन्नान प्रांत के कोना काउंटी में सेंगकेजोंग व दागलुंगजोंग, न्यिंगची के मेडोग काउंडी में मनीगांग, डुडिंग व मिगपेन, न्यिंगची के जायू काउंटी के गोलिंग व डांबा तथा शन्नान प्रांत के लुंझे काउंटी हैं।
इसके साथ ही जिन चार पहाड़ों के नाम बदले गए हैं, वे हैं- वामो री, डेउ री, लुंझुब री और कुनमिंगशिंगजे फेंग। दो नदियों शेन्योग्मो ही और डुलैन के नाम भी बदले गए, और कोना काउंटी के पहाड़ी दर्रे का नाम से ला रख दिया गया है।
इसके साथ साथ रिपोर्ट के अनुसार इस नए नामकरण को चीन ने राष्ट्रीय सर्वेक्षण का एक हिस्सा बताते हुए वैध करार दिया है और यह भी कहा है कि अपने अधीन आने वाले स्थानों के वे आगे भी नाम बदल सकते हैं और भविष्य में नामकरण की घोषणा की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद भारत ने भी इस मामले में कड़ाई से जवाब दिया और चीनी दावे को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय की ओर से अरुणाचल प्रदेश को भारत का एक अभिन्न अंग बताया गया।
इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा:
‘‘हमने ऐसी रिपोर्ट देखी है। यह पहला अवसर नहीं है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने का प्रयास किया है। चीन ने अप्रैल 2017 में भी इसी तरह नाम बदलने का प्रयास किया था। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के आविष्कृत नाम रखने से तथ्य नहीं बदल जाएँगे।’’