ईसाईयों के त्यौहार क्रिसमस से पूर्व पाकिस्तान की दो मशहूर बेकरियों ने ईसाई ग्राहकों के केक पर ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से किया इनकार कर दिया जिसके बाद ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। सोशल मीडिया पर खबर वायरल होते ही हंगामा मच गया, खिंचाई के बाद दबाव में आई एक बेकरी कम्पनी ने जाँच की बात कही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जब से सत्ता में आए हैं तब से उनके कथित ‘रियासत-ए- मदीना’ पाकिस्तान मे ईशनिंदा के नाम पर हत्याएँ, बढ़ता धार्मिक कट्टरवाद, अल्पसंख्यकों का धर्मान्तरण-अपहरण और भेदभाव आम बात है।
भेदभाव के ताजा मामले में कराची में दो बेकरियों ‘डेलिज़िया’ और ‘आंटी मुनावेर’ ने ईसाई ग्राहकों के केक पर ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से इनकार कर दिया।
21 दिसंबर पहली घटना में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की एक ग्राहक सेलेसिया नदीम खान के केक पर पाकिस्तान की मशहूर बेकरी चेन ‘डेलीज़िया’ ने ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से इनकार कर दिया।
एक दिन बाद ही कराची के क्लिफ्टन के बोखारी कमर्शियल एरिया में स्थित ‘आंटी मुनावेर’ बेकरी पर एक ईसाई महिला ने केक पर क्रिसमस संदेश लिखने से इनकार करने का आरोप लगाया।
सेलेसिया ने अपने साथ हुए इस धार्मिक भेदभाव की घटना को फेसबुक पर साझा किया। खान ने बताया कि वह कराची डिफेंस हाउसिंग सोसाइटी के ख़याबन-ए-जामी इलाके में डेलीज़िया बेकरी की दुकान से केक लेने गई थीं, लेकिन उसके कर्मचारी ने उस पर ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से इनकार कर दिया।
सेलेसिया ने अपने साथ हुए भेदभाव पर आक्रोश जताते हुए फेसबुक पोस्ट में लिखा कि अगर वे (मुस्लिम कट्टरपंथी) अल्पसंख्यकों और उनके धर्म के खिलाफ हैं, तो उन्हें उनके त्योहारों से पैसे भी नहीं कमाने चाहिए। इसके बाद सोशल मीडिया में कम्पनी व्यवहार की आलोचना होने लगी।
राइटर शमिला ग्यास ने ट्वीट कर सवाल उठाया कि क्या ईसाई कम पाकिस्तानी हैं या फिर यह बेकरी सिर्फ मुसलमानों के लिए है? यह स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यको से भेदभाव है। ग्यास ने लिखा कि डेलिज़िया ने तो बहाना बना दिया है कि उनके पास ‘आइसिंग’ खत्म हो गई थी, जबकि आंटी मुनवेर की ओर से अभी तक कुछ नहीं कहा गया है।
मामला बढ़ने पर बेकरी मैनेजमेंट ने सफाई देते हुए कहा, “यह स्पष्ट तौर पर एक व्यक्ति का कृत्य है और हम धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं। इस समय हम उसके (आरोपित स्टाफ़) खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। यह उसने व्यक्तिगत हैसियत से किया और यह कंपनी की नीति नहीं है।”
कम्पनी ने भले ही इसे एक कर्मचारी का व्यक्तिगत कृत्य कह कर पल्ला झाड़ लिया है लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है। लोगों ने डेलिज़िया बेकरी से कभी भी ऑर्डर नहीं लेने का वचन दिया और, दूसरों से भी बकरी चेन का बहिष्कार करने की अपील की।
घटना को लेकर पत्रकार नायला इनायत ने आंतरिक मंत्री शेख राशिद अहमद को निशाने पर लेते कहा, “पाकिस्तानी ईसाई सबसे अधिक सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों में से एक हैं। मौसमी बयानबाजी के बजाय अल्पसंख्यकों से भेदभाव खत्म करने के लिए सख्त कानून लाने के प्रयास करें।”
इस बीच कई धार्मिक कट्टरपंथी बेकरी के बचाव में भी उतर आए। कुछ यूजर्स ने बेक़री के इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा,
“एक मुसलमान क्रिसमस में यकीन नही करता इसलिए वह यह कभी नहीं लिखेगा। एक मुसलमान का ‘मेरी क्रिसमस’ लिखना, एक पाकिस्तानी के लिए ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ लिखने जैसा है।”
कुछ लोगों ने इसे कम्पनी की पॉलिसी बताया तो कुछ कर्मचारियों की नौकरी जाने का डर दिखाते हुए मामले को आगे न बढाने की सलाह देते नजर आए। वही कुछ पाकिस्तानी यूजर्स ने ‘डेलीजिया’ को ही घेरना शुरू कर दिया।
नाराज यूजर्स ने डेलीजिया की आलोचना करते हुए कहा,
“पाकिस्तानी ध्वज पर गहरे हरे रंग के आधार पर एक सफेद तारा और एक अर्धचंद्र बना है। इसमें हरा रंग इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है, जो इस देश में माना जाने वाला प्रमुख धर्म है, लेकिन तुम भूल गई हो कि झंडे में मौजूद सफेद रंग देश में अल्पसंख्यक धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है।”