साल 1990 में जम्मू-कश्मीर से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडितों की घाटी में फिर से वापसी के लिए काम तेज कर दिया गया है। इसके लिए कश्मीर घाटी के 5 जिलों में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए 2744 आवासीय फ़्लैट बनेंगे।
इनके फ़्लैट्स के निर्माण के लिए प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने 278 कनाल जमीन आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण विभाग को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
परिषद ने 356 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से कश्मीर संभाग के 5 जिलों में 7 चिन्हित जगहों पर ट्राँजिट आवासी सुविधा के तहत 2744 फ़्लैट बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया है।
यह प्रस्ताव शनिवार (24 जुलाई, 2021) को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में मंजूर किया गया। यह पूरी परियोजना 18 माह में तैयार होगी और करीब 413 कुशल व गैर-कुशल कारीगरों को रोजाना रोजगार प्रदान करेगी।
इस आवासीय सुविधा में लगभग सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। यह आवास सिर्फ प्रधानमंत्री राहत पैकेज के तहत कश्मीर में नौकरी प्राप्त करने वाले विस्थापित कश्मीरियों को ही मिलेंगे।
इससे पूर्व वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने कश्मीर में नौकरी प्राप्त करने वाले कश्मीरी विस्थापितों के लिए 920 करोड़ रुपए की लागत से 6,000 ट्राँजिट आवास मंजूर किए थे, जिसमें दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में 208 और मध्य कश्मीर के बडगाम में 96 शामिल हैं।
इसके अलावा गाँदरबल, शोपियाँ, बाँदीपोरा और उत्तरी कश्मीर के बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में 1,200 ट्रांजिट आवास तैयार किए जाएँगे। मामले से संबंधित अधिकारी ने बताया कि 7 अलग-अलग स्थानों पर ट्राँजिट फ़्लैट्स के लिए जमीन की पहचान की जा चुकी है।
उपराज्यपाल ने कहा था, ”सबसे पहले, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कश्मीरी प्रवासियों की पूरी आबादी जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ पंजीकृत हो।”
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गत शनिवार को बैठक के दौरान अधिकारियों को कश्मीरी पंडित समुदाय की वापसी की सुविधा के लिए सक्रिय कदम उठाने का निर्देश दिया था।
आँकड़ों के मुताबिक, राज्य से पलायन कर चुके 62,000 कश्मीरी पंडित परिवार सरकार के पास पंजीकृत हैं। इनमें से 40,000 जम्मू में, 20,000 राष्ट्रीय राजधानी में और बाकी 2,000 देश के अन्य हिस्सों में पंजीकृत हैं। नब्बे के दशक में आतंकवाद के पैर पसारने के बाद ये कश्मीरी पंडित राज्य से पलायन कर गए थे।
पिछले 30 सालों में उन्होंने किसी तरह से अपना नया आशियाना जम्मू में या फिर जम्मू से बाहर देश के अन्य राज्यों में बना लिया है और अपनी घरवापसी की उम्मीद में बैठे हैं।
गौरतलब है कि घाटी के कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीरी विस्थापित पंडितों के लिए बनाये जा रहे ट्राँजिट आवासीय योजना का विरोध किया था। गिलानी ने वर्ष 2012 में कहा था कि यह घाटी के मुस्लिमों को अल्सपसंख्यक बनाने की साज़िश है।
गिलानी ने यूपीए काल में इस पर कहा था: “हम किसी भी हालत में इन आवासीय कॉलोनियों को नहीं बनने देंगे। जिस तरह फ़िलिस्तीन में इज़राइल ने यहूदियों की बस्तियाँ बनाई थीं, उसी तरह घाटी में कॉलोनी बनाकर गैर-मुस्लिमों को बसाने का प्रयास किया जा रहा है।”
गिलानी ने दावा किया था कि घाटी में इज़राइल जैसे हालात बनाने की इस पूरी साजिश में इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद भी शामिल है।