कश्मीर में 2 सिख समुदाय की लड़कियों का अपहरण करके उनका पंथ परिवर्तन कराए जाने का मामला राष्ट्रीय बहस बन चुका है। बताया जा रहा है कि एक 46 साल के मुस्लिम से एक 18 साल की दिव्यांग सिख युवती का अपहरण कर निकाह करा दिए जाने से लोग बेहद आक्रोशित हैं।
कश्मीर में सिख समुदाय द्वारा हाईकोर्ट के सामने एक विवादस्पद निर्णय सुनाए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इसकी वजह थी कश्मीर में पंथ परिवर्तन की एक घटना। क्षेत्र में सिख समुदाय की दो लड़कियों का अपहरण कर के मुस्लिम युवक से उनका निकाह करा दिया गया तथा दोनों लड़कियों को इस्लाम कुबूल करा दिया गया।
दोनों लड़कियों का ज़ोर-ज़बरदस्ती से निकाह करके परिवर्तित कराने के मामले को जब कोर्ट ले जाया गया तो कोर्ट ने केवल एक पक्ष के तर्क सुनकर लड़की को आदमी एवं उसके परिवार के हवाले कर दिया। इस मामले पर सिख समुदाय द्वारा रोष प्रकट किया गया तथा हाईकोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ।
सिख समुदाय का कहना है की उस लड़की की दिमागी हालत पूर्ण रूप से सामान्य नहीं है, इस कारण उसके माँ-बाप का पक्ष सुनकर ही कोर्ट द्वारा निर्णय लिया जाए। बता दें कि विवाहित लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा आदमी की उम्र 46 वर्ष है।
उसके परिवार ने कहा कि वह सोमवार को लापता हो गई थी और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आश्वासन दिया था कि लड़की को 36 घंटे के भीतर वापस कर दिया जाएगा। परिवार ने कहा कि बंदूक की नोक पर लड़की का अपहरण किया गया था और उन्हें पता चला कि उसे शनिवार सुबह अदालत में पेश किया जाएगा।
शनिवार को बच्ची को वृद्ध मुस्लिम के परिवार के साथ श्रीनगर हाईकोर्ट लाया गया। लड़की के परिवार को बताया गया कि उसकी शादी 62 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई है। इस चौंकाने वाले खुलासे से सिख समुदाय में नाराजगी देखी गई। पुलिस ने लड़की के भाई से कहा कि दिन खत्म होने पर पीड़िता को उसके परिवार को सौंप दिया जाएगा।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा ने कश्मीर के श्रीनगर में इस मामले को लेकर धरना दिया तथा केंद्र सरकार के समक्ष अपने कुछ माँगे रखीं। उन्होंने बताया कि दोनों बच्चियों का दबाव बनाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया है। उन्होंने कहा कि विरोध किए जाने पर एक लड़की मनमीत कौर को परिजनों को सौंप दिया परंतु दूसरी लड़की धनमीत कौर को अभी भी उसके परिवार के हवाले नहीं किया गया है।
सिरसा ने इस अपराध को कश्मीर में हुए ‘लव-जिहाद’ का नाम दिया। उन्होंने आगे यह भी कहा कि यह कृत्य उस समुदाय द्वारा किया गया है, जिस समुदाय की बच्चियों को सीएए विरोध प्रदर्शन के समय सिख समुदाय द्वारा मदद की गई थी। उनकी बच्चियों को दूर-दराज़ के क्षेत्रों से सिख समुदाय द्वारा सुरक्षित रूप से विभिन्न साधनों से उनके घर वापस पहुँचाया गया था।
सिरसा ने आगे केंद्र सरकार से यह आग्रह किया कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए और जिस प्रकार उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश राज्यों में दूसरे मजहब में विवाह को लेकर माता-पिता की अनुमति आवश्यक होने का कानून है, उसी प्रकार का कानून कश्मीर में भी लागू किया जाए।
उन्होंने आगे यह भी बताया कि पिछले कुछ समय में सिख समुदाय की चार बच्चियों का दबाव देकर जो पंथ परिवर्तन कराया गया है, उन्हें भी वापस लौटाया जाए।
पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से बातचीत की गई तथा उसके बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह को मामले को लेकर अवगत कराया गया।
सिरसा ने बताया कि गृहमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द मामले में न्याय मिलेगा। उन्होंने मनोज सिन्हा को भी मामले को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं।
सिरसा ने आगे कहा कि वे पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस से मिलकर भी इस बात पर संज्ञान लेंगे कि किस तरह निचले न्यायालय दबावपूर्ण पंथ परिवर्तन के मामलों में सही निर्णय नहीं दे रहे हैं।