राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने सोमवार (22 नवंबर, 2021) को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर समेत कई जगह छापे मारे। इस छापेमारी में NIA ने आतंकी फंडिंग के मामले में खुर्रम परवेज़ नामक एक कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है।
कश्मीर में पिछले कुछ समय से सेनाओं समेत कई सुरक्षा संस्थाएँ भी खासी सतर्क हैं। अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद से ही घाटी में निरंतर आतंकवाद पर काबू पाने का प्रयास जारी है, और इसी सिलसिले में सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार छापेमारी कर रही हैं। गत वर्ष NIA द्वारा घाटी में 10 अलग-अलग जगह पर छापेमारी की गई थी, जिसमें खुर्रम परवेज़ सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गया था।
यह व्यक्ति मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर काम करते हुए देश-विदेश से अपने NGO में पैसा इकट्ठा करता था, जिसके बाद यह पैसा घाटी में अराजकता और सांप्रदायिक अस्थिरता फैलाने के काम में लाया जाता था।
इस मामले को देखते हुए इंडियन पीनल कोड (IPC) और UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया कि ऐसे NGO देश विदेश से पैसा इकट्ठा करके आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल कर रहे हैं।
एनआईए की टीम द्वारा सोमवार को सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों के साथ दोपहर के समय परवेज़ के सोनावार स्थित घर और अमीरा कदल के कार्यालय पर छापा मारा गया। घाटी में एनआईए द्वारा मारी गई इस रेड में खुर्रम को गिरफ्तार भी कर लिया गया।
इसके साथ ही उसके पास से मिले कई उपकरण जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ किताबें भी ज़ब्त की गई हैं। अधिकारियों द्वारा सोमवार को ही परवेज़ से पूछताछ भी की गई।
बता दें कि खुर्रम परवेज़, जो स्वयं को मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में बताता है यह व्यक्ति एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इंवॉलंटरी डिसअपीयरिंग (Asian Federation Against Involuntary Disappearances) का प्रमुख भी है। इसे वर्ष 2006 में अपने कामों के लिए रीबॉक ह्यूमन राइट्स पुरस्कार भी दिया गया था।
बता दें कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी द्वारा अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान या सूचना साझा नहीं की गई है। बता दें कि कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज के खिलाफ वर्ष 2016 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगाया गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल के सेशन में भाग लेने के लिए स्विट्जरलैंड की यात्रा पर रोके जाने के एक दिन बाद उनकी गिरफ्तारी की गई थी। जेल में 76 दिन गुजारने के बाद खुर्रम को रिहा किया गया था।
सुरक्षा एजेंसियाँ पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में खासी सख्त प्रतीत हो रही हैं। 16 अक्टूबर, 2021 को पूर्व अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी के पोते को अपनी सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके साथ ही अन्य 20 सरकारी कर्मचारियों को भी सुरक्षा एजेंसियों ने रडार पर लेकर उनके विरुद्ध कार्रवाई की थी।