'आजादी के कागज' हों सार्वजानिक: 'डोमिनियन स्टेटस' और कंगना की छेड़ी बहस पर बवाल

13 नवम्बर, 2021
कंगना के बयान के बाद 'आजादी के कागज़' सार्वजानिक करने की माँग जोर पकड़ रही है

बॉलीवुड की बहुचर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा कुछ दिनों पहले 1947 की आज़ादी के विषय में दिए गए बयान को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। जहाँ एक ओर विपक्ष इस बात पर कंगना रनौत की आलोचना और गिरफ्तारी तक की माँग कर रहा है वहीं अब भाजपा के गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने भी इस विषय में टिप्पणी साझा की है। साथ ही, कई अन्य सामाजिक एवं राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस बहस में कूद चुके हैं।

हाल ही में कंगना रनौत ने एक समारोह के दौरान भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के शासन की प्रशंसा के अंदाज़ में कहा था कि वर्ष 1947 में भारत को मिली आज़ादी असल में आज़ादी नहीं बल्कि एक भीख थी। कंगना ने कहा कि भारत को असली आज़ादी तो वर्ष 2014 में मिली।


जहाँ कंगना के इस बयान पर देश का एक बड़ा धड़ा उनके साथ खड़ा दिखा, वहीं कई लोग इसके विरोध में भी नज़र आए। 

सबसे पहले महाराष्ट्र की एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने इस मामले को लेकर कंगना की आलोचना की और केंद्र सरकार से यह अनुरोध किया कि वे इस तरह के बयान के कारण कंगना का पद्मश्री पुरस्कार वापस ले लें और अभिनेत्री को गिरफ्तार भी कराएँ।

साथ ही नवाब मलिक ने कंगना पर नशा करने के आरोप लगाते हुए कहा था:

“ऐसा लगता है कि कंगना ने यह बयान देने से पहले मलाना क्रीम की भारी मात्रा का सेवन किया होगा।”

हालाँकि मलिक को अपना यह बयान उल्टा पड़ गया था और लोग मलाना क्रीम के नाम पर नवाब मलिक को ही ट्विटर पर उलटे ट्रोल करने उतर आए थे।


अब भाजपा के गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कंगना रनौत के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘असली आज़ादी देश को 1947 में ही मिली थी और यह विषय ऐसे लोग उठाते हैं जिनके सोचने समझने की हैसियत उतनी ही है।’

आज़ादी नहीं, ‘डोमिनियन स्टेटस’

अजय मिश्रा के इस बयान पर अपनी असहमति दर्ज करते हुए वरिष्ठ लेखक अनुज धर ने अपने तथ्य प्रस्तुत करते हुए कहा की 1947 में भारत को डोमिनियन स्टेटस मिला था जो कि ‘ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर’ के पश्चात दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि डोमिनियन स्टेटस से तात्पर्य औपनिवेशकि स्वराज्य से है जिसका अर्थ ब्रिटिश क्राउन के तहत ही भारत की सरकार बनाने जैसा था। भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ने भी अंग्रेजों से औपनिवेशिक स्वराज्य की ही माँग से आजादी की लड़ाई की शुरुआत की थी। इसका अर्थ सामान्य शब्दों में यह था कि ब्रिटिश झंडे के तहत ही आन्तरिक मामलों में भारतीयों को स्वशासन का अधिकार दिया जाए।

इसके आगे अनुज धर ने ट्वीट में लिखा:

“डोमिनियन स्टेटस और आजादी में बहुत फर्क है। गाँधी जी डोमिनियन स्टेटस चाहते थे जबकि नेताजी आजादी। ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर के कागज़ बाहर निकालो और फिर देखेंगे कि आजादी मिली थी या डोमिनियन स्टेटस।”


अनुज धर ने इसके उपरांत एक अन्य ट्वीट में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हस्ताक्षर किया एक दस्तावेज़ साझा करते हुए लिखा कि सरकार को आजादी के 75वें वर्ष में ‘ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर’ से संबंधित सभी दस्तावेज़ सार्वजनिक करने चाहिए ताकि लोगों को यह पता चल सके कि देश को 1947 में आज़ादी मिली थी या डोमिनियन स्टेटस।

धर ने यह भी कहा कि यह विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा है और अब समय आ गया है कि सरकार सारे दस्तावेज सामने रखकर इस भ्रान्ति और विवाद का अंत करे।


बता दें कि इस पूरे विवाद को लेकर लोगों के बीच कई उलझाने हैं और लोग अक्सर वर्ष 1947 में भारत को डोमिनियन स्टेटस मिलने की बात कहते हैं। इसमें एक यह तथ्य भी सामने आता है कि वर्ष 1947 में ‘ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर’ इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत हुआ था जो कि बाद में संविधान के अर्टिकल 395 से बदला गया था।

कंगना से पद्मश्री वापस लेने की माँग  

कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने भी कंगना के इस बयान को निंदनीय बताते हुए इसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान कहा था और सरकार से कंगना को दिया गया पद्म पुरस्कार वापस लेने की अपील की थी।


भाजपा के लोकसभा सांसद वरुण गाँधी ने इस मामले में कंगना पर निशाना साधा था और उनके इस कृत्य को स्वतंत्रता सेनानियों के कुर्बानियों का तिरस्कार कहते हुए ट्वीट में लिखा:

“इस सोच को मैं पागलपन कहूँ या फिर देशद्रोह?”

बता दें कि वरुण गाँधी पिछले कुछ समय से भाजपा और भाजपा समर्थकों को लेकर खासे मुखर होकर बयान देते देखे जा सकते हैं।


इसके साथ ही कंगना के साथ एक लंबे समय से विवादों में चल रही महाराष्ट्र में शासित पार्टी शिवसेना के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ने भी कंगना के पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने की बात कही है।

कंगना राणावत द्वारा दिए गए एक बयान ने पुनः इस पूरे विवाद में चिंगारी लगा दी है और अब पक्ष-विपक्ष दोनों ओर से इस पर जम कर प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं।



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