असम की कटिगोरह क्षेत्र में ईसाई समुदाय के कुछ लोगों ने हिंदुओं के लिए पवित्र माने जाने वाले एक वट वृक्ष को काट दिया और शिवलिंग के साथ भी तोड़फोड़ की गई। इस मामले में ‘हिंदू रक्षी दल’ और ‘हिंदू छात्र संघ’ के कुछ लोगों ने क्षेत्र के डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन दिया है और इस मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
असम के विभिन्न क्षेत्रों में अक्सर रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय द्वारा जमीनों पर कब्ज़ा और अन्य अपराधों जैसे समाचार सामने आते रहते हैं। हाल ही में ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कुछ ‘खासी’ समुदाय के लोगों द्वारा असम के कछार ज़िले के कटिगोरह क्षेत्र में एक सांप्रदायिक घटना को अंजाम दिया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे एक लंबे समय से क्षेत्र में स्थापित शिवलिंग की पूजा करते आ रहे हैं। पिछले 100 वर्षों से पूजे जा रहे ये शिवलिंग और वट वृक्ष हिंदू धर्म के लोगों के लिए पवित्र हैं।
कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि खासी समुदाय जो कि मूलतः ईसाई पंथ का पालन करते हैं, वे कछार के उत्तर में रहते हैं, इन्हीं लोगों द्वारा हाल ही में क्षेत्र के एक वट वृक्ष को काट दिया गया और उन्होंने शिवलिंग के साथ भी तोड़फोड़ की। इसके साथ ही खासी समुदाय के लोगों ने स्थानीय लोगों को यह धमकी भी दी है कि वे इस स्थान पर पूजा करने न आएँ।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि वे लंबे समय से यहाँ पूजा-पाठ कर रहे हैं, परंतु पिछले कुछ समय से ईसाई पंथ परिवर्तन कराने वाले समूह इस क्षेत्र में खासा खतरा बने हुए हैं। स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि ये लोग इस क्षेत्र से हिन्दुओं को समाप्त करके ज़बरन ईसाई पंथ को बढ़ाना चाहते हैं।
मामले में संज्ञान लेते हुए ‘हिंदू रक्षी दल’ और हिंदू छात्र संघ ने इस विषय में प्रशासन के समक्ष एक ज्ञापन प्रस्तुत किया और इस मामले में सभी आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई करने की माँग की है।
उन्होंने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि वे अपनी जगह से हटाए गए शिवलिंग और त्रिशूल को पुनः स्थापित करें ताकि लोग उनकी पूजा कर सकें। साथ ही पूजा स्थल के आसपास लोहे की रेलिंग लगाई जाए जिससे भविष्य में इस प्रकार के कृत्य पुनः न हों।
दिए गए ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अगर प्रशासन शिवलिंग को पुनः स्थापित करने और आरोपितों को एक महीने के भीतर पकड़ने में विफल रहता है, तो ये लोग स्वयं हिंदू धर्म को सुरक्षित करने के लिए अपने स्तर पर इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। उन्होंने यह भी लिखा कि वे तब तक नहीं रुकेंगे तक जब तक वे पुनः पूजा स्थल को स्थापित नहीं करा देते।