मुंबई की एक विशेष अदालत ने बुधवार (29 दिसम्बर, 2021) को एक कैथोलिक पादरी, फादर जॉनसन लॉरेंस को एक नाबालिग लड़के के साथ कुकर्म करने के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया और कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
पादरी ने साल 2015 में बच्चे के साथ कुकर्म किया था। उस वक्त बच्चा महज 13 साल का था। बच्चे की उम्र अब 18 वर्ष है और पादरी द्वारा किए गए दुष्कर्म के चलते वह कई प्रकार की मानसिक एवं शारीरिक बिमारियों का शिकार हो चुका है।
दिसंबर 2015 में ही ईसाई पादरी जॉनसन लॉरेंस, जो उस समय 52 वर्ष का था, को गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में ही था। फैसले की वक्त के वक्त पादरी विशेष न्यायाधीश सीमा जाधव के समक्ष अदालत में पेश किया गया था।
विशेष न्यायाधीश ने पादरी को पोक्सो की धारा 6 और धारा 12 के तहत अपराधों का दोषी पाया और कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक वीना शेलार ने आरोपित पादरी के खिलाफ मामला साबित करने के लिए 9 गवाहों से पूछताछ की थी।
हालाँकि केस की पूरी सुनवाई के दौरान पादरी अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार करता रहा। बचाव पक्ष के वकील अविनाश रसाल ने तर्क दिया था कि आरोपित के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। एक बचाव पक्ष के गवाह ने कहा कि लड़का पुजारी के कार्यालय में बिस्तर पर सो रहा था और बेडशीट या उसके कपड़ों पर खून या वीर्य का कोई निशान नहीं था।
शिकायत के अनुसार किशोर अगस्त 2015 में नियमित प्रार्थना के लिए चर्च जा रहा था। इस बीच सभी के बाहर जाने के बाद पादरी ने उसे अकेले ही चर्च में रोक लिया था। पीड़ित किशोर एक गरीब परिवार से था और इस डर से कि चर्च मदद नहीं करेगा, उसने अपने साथ हुए कुकर्म की जानकारी किसी को भी नहीं दी।
लेकिन धीरे-धीरे इसका असर उनकी मानसिकता पर पड़ने लगा। वह अकेला और शांत हो गया, बाद में उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 27 नवंबर को पीड़ित लड़का अपने परिवार के साथ फिर से चर्च लौटा। उसी समय पादरी ने उसे अपने कार्यालय में एक डिब्बा रखने के लिए कहा और उसके पीछे पीछे कार्यालय में चला गया।
कार्यालय में चर्च के पादरी ने लड़के के साथ फिर से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए और उसे प्रताड़ित किया। पादरी द्वारा उसे चुप रहने की धमकी भी दी गई। इस बार जब किशोर घर लौटा तो उसने अपनी माँ को घटना के बारे में बताया, जिसके बाद उसके माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
आरोपित फादर जॉनसन लॉरेंस ने अदालत में अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया था। हालाँकि, सरकारी पक्ष ने बच्चे की जाँच कर रहे डॉक्टर समेत नौ अन्य गवाह और अन्य साक्ष्य पेश कर मामले को अदालत में पेश किया। सुनवाई के बाद अदालत ने पीड़ित किशोर के पक्ष में फैसला सुनाया।
अदालत के फैसले के बाद एक भावुक साक्षात्कार में पीड़ित लड़के की माँ ने कहा कि ‘यीशु ने क्रिसमस पर उसकी प्रार्थना का उत्तर दिया’।
ख़ास बात ये है कि कुछ समय पूर्व, पीड़ित लड़के की माँ ने बॉम्बे के आर्कबिशप ओसवाल्ड कार्डिनल ग्रेसियस को ‘आरोपित पादरी का बचाव करने और पीड़ित को परेशान करने’ के लिए दोषी ठहराया। फादर लॉरेंस को आर्कबिशप हाउस से गिरफ्तार किया गया।
बच्चे की माँ ने कहा, “पुलिस के पास जाने से पहले, मैं उस रात अपने घायल बेटे को आर्कबिशप ओसवाल्ड कार्डिनल के पास ले गई। उसका खून बह रहा था और मुश्किल से चल पा रहा था। लेकिन कार्डिनल ने मुझसे मराठी में कहा कि वह रोम जा रहे हैं और लौटने के बाद इस मामले को देखेंगे। मैं उस दिन बेहद हताश और लाचार माँ थी।”
POCSO अदालत द्वारा फादर लॉरेंस जॉनसन को दी गई आजीवन कारावास की सजा पर पीड़ित परिवार ने कहा कि सजा ने ‘जस्टिस और जीसस’ में विश्वास बहाल कर दिया है।