'लिव-इन' में आपसी सहमति से बनते हैं यौन संबंध: 'रेप' के आरोपित को कोर्ट ने दी जमानत

28 अगस्त, 2021
लिव इन रिलेशनशिप में बलात्कार के मामले पर न्यायालय ने सुनाया निर्णय

मुंबई के एक सत्र न्यायालय ने एक 30 वर्षीय व्यक्ति को बलात्कार के आरोप में ज़मानत प्रदान करते हुए यह तर्क दिया है कि ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में यौन संबंध आपसी सहमति के बाद ही बनाए जाते हैं एवं इसमें बलात्कार जैसा मामला होने का कोई आधार नहीं है।

मुंबई के न्यायालय के सामने एक विचित्र मामला आया। मुंबई में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक जोड़े ने आपसी संबंधों में विवाद को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। 

इस मामले में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुष ने महिला के साथ विवाह करने का वादा किया था। इसके उपरांत दोनों नवंबर, 2018 से मई, 2020 तक एक किराए के मकान में साथ में लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे। बाद में पुरुष ने महिला से विवाह करने से इंकार कर दिया एवं एक अन्य महिला से विवाह कर लिया।

इस पूरे मामले के बाद महिला ने पुरुष के विरुद्ध आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) एवं 313 (बिना सहमति के गर्भपात) के तहत शिकायत दर्ज करा दी थी। महिला पक्ष का कहना था कि लगभग 2 वर्षों के इस ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के दौरान महिला ने दो बार गर्भपात कराया था, जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत दबाव में आ गई थी।


लिव-इन में सहमति से बनते हैं यौन संबंध

अब आरोपित पुरुष ने मुंबई न्यायालय के समक्ष ज़मानत के लिए अर्ज़ी डाली है। इस मामले पर न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कहा:

“लिव इन रिलेशनशिप की परिस्थिति अपने आप में यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि यौन संबंध दोनों की सहमति के बाद ही बनाए गए थे। इसी कारण इस मामले में आवेदक ज़मानत पर विस्तार करने का हक रखता है।”

पूरे मामले का निर्णय देते हुए एडिशनल जज एसयू बघेले ने ज़मानत के आवेदक की अर्ज़ी स्वीकार की एवं ₹15,000 के ज़मानत बॉन्ड के साथ पुरुष को ज़मानत दे दी है।

‘भविष्य की संपत्ति है IIT का बलात्कार आरोपित’

कुछ दिनों पहले एक विचित्र मामले में आईआईटी गुवाहाटी के एक बलात्कार आरोपित छात्र को गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा ज़मानत दे दी गई थी। न्यायालय ने इस मामले में एक अजीब टिप्पणी के साथ अपना निर्णय सुनाया था। इसमें जज द्वारा कहा गया कि पीड़िता और आरोपित दोनों ही काफी प्रतिभाशाली छात्र हैं एवं आरोपित भविष्य में राज्य की अच्छी संपत्ति साबित हो सकता है।

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर न्यायालय की भारी आलोचना हुई थी। मामले में जब बलात्कार पीड़िता से बात की गई तो उसने कहा कि अगर उसे केवल यह कहकर ज़मानत दी जा रही है कि वह एक मेधावी छात्र है तो क्या मेधावी लोग किसी भी इंसान के साथ कुछ भी कर सकते हैं? केवल आईआईटी का ठप्पा होने से आरोपित एक भविष्य की संपत्ति नहीं बन जाता है।

पीड़िता ने यह प्रश्न भी उठाया कि अगर वह (आरोपित) राज्य की भविष्य की संपत्ति है तो पीड़िता क्या है?



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