यूपी चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल जातीय गोटियाँ फिट करने में जुटे हैं। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बड़ा ‘ब्राह्मण कार्ड’ खेलने का प्रयास किया है।
अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को रिझाने के लिए लखनऊ के माहुरकला में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे भगवान परशुराम की 108 फीट मूर्ति लगाई है। मूर्ति के साथ 68 फीट का फरसा भी लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ‘शुभ मुहूर्त’ में मूर्ति का उद्घाटन करेंगे। दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अब कुछ महीने का ही समय बचा है। विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही ब्राह्मणों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी का ‘परशुराम’ प्रेम जाग गया है।
अगर चुनावी गणित की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सपा का कोर वोटर यादव और मुस्लिम मतदाता ही है। प्रदेश में सवर्णों की संख्या 19% के आसपास है, इनमें ब्राह्मण सबसे ज्यादा प्रभावी हैं। यही वजह है कि अब इस वोट बैंक पर सबकी नजर है। कुछ महीने से प्रदेश के सियासत के केंद्र में ब्राह्मण है और सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों को लेकर घोषणाएँ कर रहे थे।
दरअसल राम मंदिर निर्माण की शुरुआत से ही भाजपा को मिलती बढ़त से विरोधियों के कान खड़े हो गए थे। तब से ही परशुराम-मंगल पांडे की मूर्ति लगवाने पर विचार हो रहा था। लगातार खेले जा रहे ब्राह्मण कार्ड की श्रृंखला में कुछ माह पहले समाजवादी पार्टी ने पूरे प्रदेश में भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने की घोषणा की थी।
रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दिनों में पार्टी प्रदेश के हर जिले में परशुराम की मूर्ति लगवाने और ब्राह्मणों को आकर्षित करने के लिए सम्मेलन का आयोजन करेगी। इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी सभी जिलों में आजादी की लड़ाई का शंखनाद करने वाले मंगल पांडेय की प्रतिमा लगवाने पर भी विचार कर रही है। बता दें, यूपी की आबादी 22 करोड़ से ज्यादा है, जिसमें करीब 11% ब्राह्मण हैं।
कानपुर के बिकरू गाँव में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपित विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने इसमें ‘ब्राह्मण एंगल’ डाल कर ब्राह्मणों की भाजपा कथित नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी थी। इस दिशा में सबसे पहला बयान बसपा सुप्रीमों मायावती की तरफ से आया था।
कभी ‘तिलक तराजू तलवार, इनको मारो जूते चार’ के नारे के साथ चुनावी बिगुल फूँकने वाली बसपा सुप्रीमो ने विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद 12 जुलाई को एक बयान जारी कर प्रदेश की योगी सरकार पर ब्राह्मणों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
पिछले दिनों सपा उपाध्यक्ष जयशंकर पांडे ने प्रत्येक जिले में समाजवादी पार्टी के टिकट पर एक या दो ब्राह्मण मैदान में उतारने की घोषणा करते हुए भाजपा को ब्राह्मण विरोधी पार्टी बताया था। सपा के अलावा कॉन्ग्रेस और आप ने भी बीजेपी पर निर्दोष ब्राह्मणों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
इसके बाद दबाव में आई योगी सरकार ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए अपने तीन ब्राह्मण मंत्रियों दिनेश शर्मा, ब्रजेश पाठक और सतीश द्विवेदी को मैदान में उतारा था। इसके अलावा डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा ने कॉन्ग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भाजपा में शामिल करा ‘ब्राह्मण चेतना संवाद’ की शुरुआत भी की थी।