पंजाब चुनाव से ठीक पहले राज्य में राजनीतिक उठापटक जारी है और इसी बीच कॉन्ग्रेस के पूर्व विधायकों के साथ-साथ कई अकाली दल के नेताओं ने भी दिल्ली में हाल ही में भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया।
पंजाब में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों ने राज्य की राजनीति को खासा गर्म किया हुआ है। जहाँ एक ओर लंबे समय से कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री रहे कप्तान अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन का निर्णय लिया है, वहीं अब कॉन्ग्रेस और अकाली दल के नेता भी लगातार भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं।
इसी कड़ी में मंगलवार (28 दिसंबर, 2021) को दिल्ली में कॉन्ग्रेस के विधायक फतेह बाजवा, पूर्व अकाली दल के विधायक गुरतेज सिंह गुढ़ियाना, यूनाइटेड अकाली दल के पूर्व सांसद राजदेव सिंह खालसा और पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्व एडवोकेट मधुमीत भाजपा में शामिल हो गए।
बता दें कि पूर्व कॉन्ग्रेस नेता फतेह बाजवा कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद प्रताप बाजवा के भाई और पंजाब के कादियाँ से विधायक हैं। इसके साथ ही कॉन्ग्रेस के हरगोविंदपुर के विधायक बलविंदर सिंह लड्डी भी भाजपा में शामिल हुए।
यह कोई पहला अवसर नहीं है जब कॉन्ग्रेस और अन्य दलों के नेता भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं। गत सप्ताह एक अन्य कॉन्ग्रेसी विधायक राणा गुरमीत सोढ़ी ने भी कॉन्ग्रेस छोड़ भाजपा का हाथ थाम लिया था। कुछ समय पूर्व सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा भी इस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे।
हाल ही में कॉन्ग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी ‘पंजाब लोक कॉन्ग्रेस’ का गठन करने वाले कप्तान अमरिंदर सिंह ने भी कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात में यह साफ किया था कि उनकी नई पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी।
इसके साथ ही अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी इस गठबंधन में शामिल होने के संकेत दिए थे।
राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं और पार्टियों से गठबंधन के बाद जहाँ पंजाब में भाजपा और साथी दल मज़बूत नज़र आ रहे हैं, वहीं सत्ताधारी पार्टी कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी भी चुनावों को लेकर खासा सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं।
आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल पंजाब में निरंतर सभाएँ कर रहे हैं और जनता को लुभाने के लिए नई-नई योजनाएँ और वादे प्रस्तुत कर रहे हैं।