पंजाब के कपूरथला गुरुद्वारे के प्रबंधक/ग्रन्थी अमरजीत सिंह को शुक्रवार को कथित तौर पर भीड़ का नेतृत्व करने और हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। निजामपुर गुरुद्वारा में हुई लिंचिंग के मामले में ये पहली गिरफ्तारी है।
गुरुद्वारे में एक मानसिक रूप से विक्षिप्त भूखे युवक को सिख भीड़ ने ‘निशान साहिब’ के अपमान का आरोप लगा कर मार डाला था। बताया जा रहा है कि अमरजीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उसका परिवार शुक्रवार को एक ट्रक में सामान लेकर कहीं भाग गया है।
अमरजीत सिंह ने ही सिख भीड़ को रोटी की तलाश में आए मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक की हत्या के लिए उकसाया था। अमरजीत ने स्थानीय लोगों से उस भूखे युवक को ‘सबक’ सिखाने के लिए गुरुद्वारा के पास इकट्ठा होने का अनुरोध भी किया था। उसने ही अमरीक सिंह अजनाला जैसे कट्टर सिख नेता को भी बुलाया था, जिसके बाद उस युवक को पीट-पीट कर मार डाला गया।
गुरुद्वारा प्रबंधक ने भले ही मृतक युवक पर ‘निशान साहिब’ की बेअदबी करने का आरोप लगाकर हत्या को जायज़ ठहराने की कोशिश की हो, लेकिन जाँच में ये मामला सिर्फ ‘बेअदबी’ से बढ़कर कुछ अलग ही मोड़ लेता जा रहा है। जैसे-जैसे जाँच एजेंसियाँ मॉब लिंचिंग के इस अमानवीय अपराध की गहराई में उतर रहीं है, ये स्पष्ट होता जा रहा है कि यह मामला सिर्फ ‘भीड़ के न्याय’ का नहीं था।
उल्लेखनीय है कि रोटी के लिए गुरूद्वारे गए जिस मंदबुद्धि बच्चे की लिंचिंग की गई, उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ चुकी है। बच्चे की मौत मुख्यता साँस की नली कटने से हुई। उसकी छाती में भाला मारा गया था। उसकी पसलियाँ भी टूट गईं थीं। साथ ही उसके शरीर में जगह-जगह घाव के निशान थे। पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
जाँच टीम को इस घटना के पीछे पाकिस्तान की खुफिया संस्था आईएसआई की सक्रिय भूमिका और खालिस्तानी कनेक्शन का संकेत देने वाला एक स्पष्ट पैटर्न नज़र आ रहा है। ग्रंथी अमरजीत के अलावा, 100 अन्य लोगों के विरुद्ध भी हत्या का केस दर्ज कर लिया गया है। इनमें से 10 आरोपित नामजद हैं।
रविवार (19 दिसंबर, 2021) को घटी इस इस घटना के बाद पुलिस जाँच में पता चला है कि गुरुद्वारे का ग्रन्थी अमरजीत सिंह अक्सर पाकिस्तान जाया करता था और पहले खालिस्तान के लिए काम करता था।
पुलिस जाँच में घटना में पीछे देश में सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए ग्रंथी अमरजीत की संदिग्ध भूमिका के पुख्ता सबूत मिल रहे है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमरजीत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सीधे सम्पर्क में था, साथ ही वह नियमित रूप से पाकिस्तान भी जाता था।
वह पाकिस्तान में स्थित पवित्र सिख धार्मिक स्थलों की तीर्थयात्राओं को प्रायोजित करता था। सबसे हैरान करने वाली बात जो सामने आई है, उसके अनुसार अमरजीत द्वारा प्रायोजित यात्राओं और वीजा के लिए पाकिस्तानी उच्चायोग से जल्दी से मंजूरी दे दी जाती थी।
अमरजीत को पाकिस्तान की ओर मिलने वाली तवज्जो और ‘खास बर्ताव’ पाकिस्तान में उसके प्रभाव के बारे में बहुत कुछ बताता है।
पुलिस अब अमरजीत के फोन कॉल रिकार्ड्स से लेकर पासपोर्ट डिटेल्स तक की जाँच की जा रही है। उसके मोबाइल फोन को भी जब्त कर लिया गया है। पोस्टमार्टम में मृतक की गर्दन, कमर और पाँव 8 गहरे निशान मिले हैं, जबकि ‘बेअदबी’ का अब तक एक भी सबूत नहीं मिला है। इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। मृतक की अब तक पहचान नहीं हुई है।
अमरजीत अतीत में ‘CAT कमांडो’ भी रह चुका है। 80 के दशक में जब पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद चरम पर था, तब कई खालिस्तानी आतंकी पुलिस के लिए मुखबिरी करते थे, उन्हें ही CAT कमांडो कहा जाता था। हालाँकि जाँच में अब उसकी संदिग्ध गतिविधियाँ उसके ‘खालिस्तानी स्लीपर सेल’ होने की ओर इशारा कर रही है।
यह भी सामने आ रहा है कि अमरजीत सिंह कमिश्नर रैंक के एक पुलिस अधिकारी का भी करीबी है, जिसे शिरोमणि अकाली दल और कॉन्ग्रेस के शासनकाल में मोहाली और लुधियाना में मनचाही पोस्टिंग मिली थी।
लिंचिंग की घटना के बाद भी उसने उक्त पुलिस अधिकारी से 3 बार सम्पर्क किया। कपूरथला जालंधर पुलिस जोन में आता है। पंजाब पुलिस इन संदिग्ध कॉल्स का विवरण जुटाने की कोशिश कर रही है
अमरजीत के लिंक का विवरण देते हुए, पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा,
“हमने उनके पासपोर्ट रिकॉर्ड को देखा है। हम उसके फोन रिकॉर्ड की भी जाँच कर रहे हैं। जाँच में पाया गया कि वह हमारे एक पुलिस अधिकारी के संपर्क में था। इसके अलावा वह पाकिस्तान भी गया था। जाँच के दौरान अमरजीत ने यह भी खुलासा किया कि वह कैट कमांडो के रूप में काम करता था और कुछ पुलिस अधिकारियों के संपर्क में था।”