तीन तलाक़ की बरसी पर 1 अगस्त को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस, विपक्ष नाराज़

01 अगस्त, 2021
मोदी सरकार मनाएगी मुस्लिम महिला अधिकार दिवस

केंद्र सरकार द्वारा देशभर में यह ऐलान किया गया कि 1 अगस्त को तीन तलाक के विरुद्ध बनाए गए क़ानून के चलते यह दिन मुस्लिम महिलाओं के अधिकार दिवस की तरह मनाया जाए। मुस्लिम समुदाय में होने वाले तीन तलाक के मुद्दे पर आज से 2 साल पहले मोदी सरकार द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था।

मीडिया और वामपंथी गिरोह द्वारा दक्षिणपंथी एवं हिंदूवादी कही जाने वाली भाजपा सरकार विभिन्न अवसरों पर अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने में लगी हुई है। मुस्लिम युवाओं के लिए यूपीएससी की कोचिंग का बजट बढ़ाने की बात हो या मुस्लिम महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर गंभीर निर्णय लेना, भाजपा सरकार एक लंबे समय से अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए प्रयासरत दिखती है।

मुस्लिम महिला अधिकार दिवस

अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा शनिवार (31 जुलाई, 2021) को यह ऐलान किया गया कि 1 अगस्त का दिन देश भर में मुस्लिम महिलाओं के अधिकार दिवस की तरह मनाया जाएगा। इस दिन को मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2019 में लिए गए ट्रिपल तलाक के निर्णय की दूसरी वर्षगाँठ के मौके पर मनाया जाएगा।

इस मौके पर शनिवार को भाजपा के वरिष्ठ मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार ने ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने से मुस्लिम महिलाओं की आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान एवं आत्मविश्वास को मज़बूती दी है एवं उनके संवैधानिक, लोकतांत्रिक और मौलिक अधिकारों की रक्षा की है।

नकवी ने आगे कहा:

“ट्रिपल तलाक के निर्णय की दूसरी जयंती मनाते हुए कल, 1 अगस्त 2021 को सारे देश में विभिन्न संगठनों द्वारा मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा।”

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस मौके पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, भूपेंद्र यादव एवं मुख्तार अब्बास नकवी दिल्ली में एक कार्यक्रम के आयोजन में भी शामिल होंगे।

इस अवसर पर विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया गया। इसमें कुछ कॉन्ग्रेसी सदस्य यह तर्क देते दिखे कि सरकार केवल मुस्लिम महिलाओं का अधिकार दिवस क्यों मना रही है, देश की सभी महिलाओं का क्यों नहीं? 


ट्रिपल तलाक कानून

बता दें कि भाजपा सरकार द्वारा 2019 में ट्रिपल तलाक के मामले में मुस्लिम महिलाओं के लिए संसद में एक बिल लाया गया था। इसमें तीन तलाक को एक संगीन अपराध की श्रेणी में डालते हुए, इसके विरुद्ध कड़े दंड की घोषणा की गई थी। जुलाई 2019 में दोनों सदनों में पास होने के बाद अगस्त में इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भी पास कर दिया गया था।

इस कानून के तहत अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को बिना कानूनी रास्ते पर चलते हुए लिखित, बोलने या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग कर तलाक दे देता है, तो उसे 3 साल तक की कैद एवं जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।



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