सुप्रीम कोर्ट के कम से कम 25 वकीलों को खालिस्तानियों ने धमकी देकर पीएम मोदी की सुरक्षा चूक मामले की जाँच और सुनवाई से दूर रहने को कहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वकीलों को यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) से एक गुमनाम कॉल प्राप्त हुई है, जिसमें खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने वकीलों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी।
धमकी रिकॉर्डेड कॉल पर दी गई है। साथ ही, आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने पंजाब में प्रधानमंत्री का काफिला रोके जाने की जिम्मेदारी भी ली है। बता दें कि गत 5 जनवरी को पंजाब यात्रा के दौरान फिरोजपुर में एक फ्लाईओवर पर पीएम नरेंद्र मोदी का काफिला लगभग 20 मिनट तक फंसा रहा।
इस मामले में सोमवार (10 जनवरी, 2021) को सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना की जाँच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने पर सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई शुरू होने से कुछ मिनट पहले कम से कम 15 वकीलों को खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा कॉल पर यह धमकी दी गई।
कई वकीलों ने विभिन्न मीडिया चैनलों से बातचीत में दावा किया गया है कि उन्हें यूके के एक नंबर से कॉल आए थे, जिसमे कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) पीएम का काफिला रोके जाने की जिम्मेदारी ले रहा है।
SFJ ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को पीएम की सुरक्षा चूक मामले की स्वतंत्र जाँच की माँग करने वाली याचिका के सुनवाई के खिलाफ चेतावनी भी दी। कॉल में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय प्रदान करने के लिए ‘कभी कोई कार्रवाई’ नहीं की।
समाचार चैनल ‘टाइम्स नाउ’ के अनुसार एक वकील ने बताया, “मुझे यूके के एक नंबर से कॉल आया जिसमें कहा गया था कि वे पीएम के काफिले को रोकने की जिम्मेदारी लेते है। फोन करने वाले ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उन्हें 1984 में सिखों की हत्या के लिए एक भी अपराधी नहीं मिला।”
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु जैन ने कहा, “मुझे दो कॉल आए। इसमें कहा गया कि हम पीएम के काफिले को रोकने की जिम्मेदारी लेते हैं।” उन्होंने बताया कि 47 सेकंड का यह आडियो पहले से रिकॉर्ड किया गया संदेश था। इसमें कहा गया है कि खालिस्तान ने ही प्रधानमंत्री मोदी के काफिले को रोकने की साजिश रची थी।
जैन ने बताया कि उन्हें धमकी दी गई कि वे इस केस को न लड़ें। विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, ऐसी धमकियाँ कुछ और वकीलों को भी मिली हैं। वहीं, बार एसोसिएशन ने भी इस तरह की धमकी वाले कॉल आने की पुष्टि की है। मामला गृह मंत्रालय तक पहुँचाया गया है और जाँच की माँग की जा रही है।
यह पहली बार है जब किसी प्रतिबंधित संगठन ने फिरोजपुर में प्रधानमंत्री के काफिले की नाकेबंदी की जिम्मेदारी ली है। अभी तक किसान समूह ये दावा कर रहे थे कि पीएम नरेंद्र मोदी के मार्ग में अंतिम समय में बदलाव आया था और उन्हें नहीं पता था कि पीएम सड़क मार्ग से आ रहे हैं।
SFJ की धमकी और दावे पीएम के काफिले को रोकने के पीछे एक संभावित और सुनियोजित साजिश की ओर इशारा कर रही है। केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार पर जानबूझकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा को जोखिम में डालने और साज़िश रचने का आरोप लगाया था।
मामले पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा चूक में हुए मामले की जाँच के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला दिया है। इस कमेटी में रिटायर्ड जज के साथ ही आईबी, एनआईए के अधिकारी होंगे और पीएम के ट्रेवल दस्तावेज सुरक्षित रखने वाले पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्टार भी हो सकते हैं। चंडीगढ़ के डीजीपी को शामिल किया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार ने कई अधिकारियों से पूछताछ की है और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब केंद्र ने सबकुछ पहले सही तय ही कर लिया है, तो हमसे पास क्यों आए हैं। इसके बाद SC ने के केंद्र और पंजाब सरकार की बनाई कमेटी की जाँच पर रोक लगा दी।