जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व और वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कानूनी कार्रवाई की है। सत्यपाल मलिक ने अपने एक बयान में मुफ़्ती पर एक आरोप लगाया था, जिस पर महबूबा द्वारा करते हुए सत्यपाल मलिक को कानूनी नोटिस भेजा गया है।
एक लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक पिछले कुछ दिनों से मुखर होकर बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कश्मीर के वर्तमान हालातों पर कई बातें कहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि जिस समय वे जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यपाल थे, उस समय घाटी में इतनी हिंसा नहीं हुई थी जितनी आज हो रही है। इसके साथ ही सत्यपाल मलिक ने अपने बयान में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के विरोध में भी कुछ टिप्पणियाँ कीं।
सत्यपाल मलिक ने अपने बयान में कहा कि वर्ष 2001 में आए ‘रोशनी एक्ट’ का महबूबा मुफ्ती द्वारा फायदा उठाया गया था। इस एक्ट के तहत कई लोगों ने जो सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा था, उन्हें मालिकाना हक दिया जाना था और इसका फायदा लेते हुए मेहबूबा मुफ्ती द्वारा भी अपने नाम पर जमीन ट्रांसफर करा ली गई।
सत्यपाल मलिक के इस बयान पर मुफ्ती ने आपत्ति जताई और ट्वीट करते हुए लिखा कि सत्यपाल मलिक द्वारा महबूबा का रोशनी अधिनियम के तहत फायदा लेने का बयान बेबुनियादी है। महबूबा ने आगे लिखा:
“मेरी कानूनी टीम इस मामले में मुकदमा चलाने की तैयारी कर रही है। सत्यपाल मलिक के पास अपनी टिप्पणियों को वापस लेने का विकल्प है। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो मैं इस मामले में कानून का सहारा लूँगी।”
20 अक्टूबर, 2021 को किए गए अपने इस ट्वीट के दो दिनों बाद ही महबूबा द्वारा 22 अक्टूबर, 2021 को सत्यपाल मलिक को कानूनी नोटिस भेज दिया गया।
बता दें कि कुछ दिनों पहले सत्यपाल मलिक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा था। इसमें मलिक मुखर होकर कई बातें बोलते दिखते हैं।
इस वीडियो में वो कहते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने कश्मीर में राज्यपाल की भूमिका निभाते समय पूरी ईमानदारी से सारे कार्य किए हैं और इसी कारण उन्हें किसी बात या इंसान से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कुछ दिनों पहले सत्यपाल मलिक ने किसानों और सरकार के बीच चल रहे विवाद को समाप्त करने के लिए यह भी कहा था कि अगर किसान सिर्फ एक चीज की माँग कर रहे हैं तो केंद्र उसे पूरा क्यों नहीं कर सकता? उन्होंने कहा था कि किसान एमएसपी से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं है तो सरकार एमएसपी की गारंटी का कानून ले आए और मुद्दा हल करे।