कॉन्ग्रेस की कद्दावर नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा के एक बयान को लेकर सोशल मीडिया खासा गरमाया हुआ है। इसमें कहा जा रहा है कि प्रियंका ने रायबरेली में एक रैली को संबोधित करने के दौरान कहा कि गैस सिलेंडर और शौचालय का मतलब सशक्तिकरण नहीं होता।
एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्था द्वारा इस विषय में खबर साझा की गई, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रियंका गाँधी ने अपनी एक सभा के दौरान महिलाओं को संबोधित करते हुए यह कहा- “सशक्तिकरण का मतलब गैस सिलेंडर या शौचालय देना नहीं होता। इसका अर्थ है भरोसा। महिलाओं को अपनी प्राथमिकताएँ खुद तय करने दें, अपना जीवन खुद बनाने दें ताकि वे अपनी लड़ाई स्वयं लड़ सकें।”
इस खबर से यह साफ होता है कि कॉन्ग्रेस के राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी की छवि मीडिया में कुछ इस प्रकार की बन गई है कि लोग उनसे इसी तरह की बयानबाज़ी की अपेक्षा रखते हैं, हालाँकि इस पूरे मामले को लेकर जब हमने प्रियंका गाँधी वाड्रा की रायबरेली सभा की पूरी वीडियो और सुना तो उसमें वे इससे कुछ अलग बयान देती देखी जा सकती हैं।
रायबरेली में अपनी एक ‘शक्ति संवाद’ नामक सभा में उत्तर प्रदेश की महिलाओं को आकर्षित करने के लिए कॉन्ग्रेस की योजनाएँ बता रही थीं। इसमें वे कह रही थीं कि छात्राओं को सशक्त करने के लिए कॉन्ग्रेस स्कूटी और स्मार्टफोन देगी। इसके साथ ही प्रियंका ने कहा:
“सरकार केवल आपको केवल एक गैस सिलेंडर देकर खुश है। सरकार कहती है कि महिलाओं को एक गैस सिलेंडर दे दो, बस हमारी जिम्मेदारी खत्म। मैं कहती हूँ कि महिलाओं को सशक्त बनाओ, महिलाओं को रोज़गार दो, राजनीति में लाओ और हम आपको एक गैस सिलेंडर नहीं तीन गैस सिलेंडर देंगे।”
रायबरेली में जनता को संबोधित करते हुए प्रियंका गाँधी ने नरेंद्र मोदी की काशी यात्रा पर भी एक आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा:
“क्या आपको ऐसे प्रधानमंत्री चाहिए जो गन्ने का बकाया नहीं दे सकते, आपको गेहूँ का दाम सही नहीं दे सकते, परंतु 8,000 करोड़ रुपए के हवाई जहाज़ में बैठ कर वाराणसी में नौटंकी करने आ सकते हैं।”
सोशल मीडिया पर प्रियंका के गैस सिलेंडर वाले बयान में शौचालय की बात जोड़कर चलाई गई, परंतु असल में इस सभा में प्रियंका ने ऐसी कई बुनियादी टिप्पणियाँ की थीं, जिन्हें लगभग सभी मीडिया संस्थाओं द्वारा नज़रअंदाज़ कर दिया गया था।