राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘भारत बचाओ आंदोलन’ के नाम से चल रहे विरोध-प्रदर्शन में 5 मुद्दों पर कानून बनाने की माँग जोर पकड़ रही है। प्रदर्शनकारी कई पुराने कानून निरस्त करने की भी माँग कर रहे हैं। यह आंदोलन दिल्ली से प्रारंभ हुआ है एवं इसका नेतृत्व करने वाले लोग कह रहे हैं कि अब पूरे देश में इस आंदोलन को लेकर जाएँगे।
वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय, बहुचर्चित हिंदुत्व विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ एवं पूर्व अभिनेता गजेंद्र चौहान जैसे लोगों ने कई दिनों पहले से 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले जन आंदोलन का बिगुल बजा रखा था। 8 अगस्त को भारी से भारी मात्रा में लोगों को आंदोलन की इस प्रारंभिक कड़ी में उपस्थित होने की माँग की जा रही थी।
नई दिल्ली के डीसीपी ने दिल्ली डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का नाम लेते हुए इस प्रदर्शन की अनुमति को रद्द कर दिया था, परंतु इसके बावजूद भी जंतर-मंतर पर हज़ारों लोगों ने इस सभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
डू-पॉलिटिक्स टीम ने इस प्रदर्शन की ग्राउंड रिपोर्टिंग की एवं विभिन्न राज्यों से आए कई लोगों से बातचीत कर इन कानूनों पर उनका पक्ष एवं इस आंदोलन से संबंधित अन्य वार्ता की।
मूल रूप से यह आंदोलन वर्षों से चले आ रहे अंग्रेजों के ज़माने में बनाए गए कानूनों को रद्द करने के लिए किया जा रहा है। आंदोलन का नेतृत्व करने वालों का मानना है कि अंग्रेजों द्वारा जो कानून बनाए गए थे, वे भारत एवं भारतीयों को सदियों तक गुलाम बनाए रखने के लिए थे एवं इन्हें शीघ्राति शीघ्र निरस्त किया जाना चाहिए और नए एवं सबके लिए समान कानून बनने चाहिए। इनमें मुख्यतः पाँच कानून बनाने की माँग की गई है।
प्रदर्शनकारियों की माँग है कि समान शिक्षा कानून के तहत सभी मदरसों या ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे स्कूल एवं शिक्षाएँ खारिज की जानी चाहिए, और पूरे देश में सभी पंथ के सभी नागरिकों को समान शिक्षा दी जानी चाहिए।
घुसपैठ नियंत्रण कानून के तहत भारत के पड़ोसी देशों, जैसे- पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार से अवैध रूप से घुसपैठ बंद होनी चाहिए और घुसपैठियों को दंड मिलना चाहिए।
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के तहत पूरे देश में शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दों पर समान कानून होने चाहिए।
धर्मांतरण नियंत्रण कानून के तहत किसी भी पंथ को किसी अन्य व्यक्ति का अवैध रूप से पंथ परिवर्तन कराने की अनुमति नहीं होनी चाहिए एवं ऐसा करने वालों को उचित दंड दिया जाए।
अंत में जनसंख्या नियंत्रण कानून जिसमें देश के नागरिकों को छोटा परिवार रखने एवं अधिक से अधिक दो बच्चा पैदा करने को लेकर कानून बनाया जाना चाहिए।
सभा की शुरुआत अश्विनी उपाध्याय ने अपने भाषण से की, जिसमें उन्होंने कहा कि डॉक्टर चाहें कितना भी अच्छा हो अगर दवा ठीक नहीं तो बीमारी सही होना नामुमकिन है। इसी कारण वे लोग जंतर-मंतर पर डॉक्टर नहीं अपितु दवा बदलने एकत्रित हुए हैं।
इस बात से अश्विनी का अर्थ यह था कि वे देश में सत्तारूढ़ सरकार या नेता को नहीं परंतु सदियों से चले आ रहे कई ऐसे कानूनों को बदलने की माँग सामने रखते हैं।
उपाध्याय ने आगे कहा कि उनका ऐसा मानना है कि अगर यह सदियों पुराने मैकौले द्वारा बनाई गई शिक्षा पद्धति एवं अंग्रेजों द्वारा बनाए गए विभिन्न कानूनों को नहीं बदला जाता है तो कोई नेता या सरकार कुछ नहीं कर पाएगी।
डू-पॉलिटिक्स की टीम ने कई राज्यों से आए लोगों कि इन कानूनों को लेकर टिप्पणियाँ एवं उनका पक्ष जानना चाहा।
मुंबई से आए प्रशासक समिति के मनीष भारद्वाज ने डू-पॉलिटिक्स के साथ बातचीत करते हुए कहा कि आंदोलन का उद्देश्य समस्त देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून, अधिकार और शिक्षा नीति बनाना है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ देश में पड़ोसी देशों से होने वाली घुसपैठ को रोकना और जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना भी अति आवश्यक है। ईसाई मिशनरियों द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले पंथ परिवर्तन के विरुद्ध भी कानून बनना चाहिए।
मनीष ने आगे कहा कि जिस तरह देश के अलग-अलग हिस्सों में कहीं मदरसे तो कहीं कान्वेंट, यानी मिशनरी स्कूलों की शिक्षा चल रही है। इसका क्या मतलब है? देश में सभी नागरिकों के लिए समान शिक्षा होने चाहिए। मनीष ने बताया कि दिल्ली के जंतर-मंतर से प्रारंभ हुआ यह आंदोलन आगे पूरे देश में जाएगा।
मध्य प्रदेश से महेश चौहान के नेतृत्व में आए भगवा राज के समूह ने 60 वर्षों तक देश में एक सरकार द्वारा देशवासियों के साथ धोखा एवं गद्दारी करने का आरोप लगाया और कहा कि 2014 के बाद आई भाजपा सरकार को ही इस विषय में संज्ञान लेना होगा एवं ये पाँच कानून बनाने होंगे।
उत्तराखंड की एक संस्था UK-1 नामक एनजीओ का नेतृत्व करते हुए आए दिनेश बिष्ट ने बातचीत के दौरान कहा कि वे दिल्ली के जंतर मंतर की सभा में अपने देश को सशक्त करने के लिए आए हैं। उन्होंने आगे कहा कि पंथ और जाति से ऊपर उठकर एक देश के लिए एक कानून होना चाहिए।
एक बड़ा वर्ग यह भी दावा कर रहा है कि यह कानून समुदाय विशेष के विरुद्ध है। इस विषय में दिनेश ने हमारी टीम को बताया कि यह किसी समुदाय के विरुद्ध नहीं हैं। या तो फिर वे लोग इस देश के नागरिक ही नहीं हैं और अगर वे देश के वासी नहीं हैं, तो उनके लिए यह कानून नहीं होगा और अगर वे ऐसे घुसपैठिए हैं तो उन्हें तो देश से बाहर भी निकाला जाएगा।
उन्होंने आगे अपील भी की कि जो लोग समानता में विश्वास रखते हैं और चाहते हैं कि सभी पंथ और जातियों को न्याय मिले उन्हें अवश्य ही इस आंदोलन से जुड़ना चाहिए।
लगभग एक वर्ष से देश की संसद में पारित हुए तीन कृषि कानूनों में लेकर कथित किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी है। ऐसे में दिल्ली के सिख समुदाय से आने वाले इंद्रजीत सिंह ने हमारी टीम से बातचीत के दौरान किसान आंदोलन को राजनीतिक बताया।
भारत बचाओ आंदोलन की सभा में पहुँचे इंद्रजीत कहते हैं कि जो दिल्ली की सीमाओं को घेरकर लगभग साल घर से बैठे हैं, उनमें अधिकतर आड़ती एवं ‘दलाल’ हैं।
इन 5 कानूनों के लिए इंद्रजीत ने कहा यह कानून तो बहुत समय पहले ही बन जाने चाहिए थे। उन्होंने आगे कहा कि सिख समुदाय असल में हिंदू ही है, जैसा कि एक समुदाय विशेष द्वारा एक लंबे समय से केवल एक चीज़ पर ध्यान देते हुए कार्य किया जा रहा है कि किसी भी तरह केंद्र में शासित सरकार हटनी चाहिए। इसके विरुद्ध हिंदुओं को भी आवाज़ उठानी होगी।
समान शिक्षा कानून के विषय में इंद्रजीत ने कहा कि देश में मदरसे केवल दिमाग़ों में ज़हर भरने का कार्य करते हैं। इन्हें निरस्त किया जाना चाहिए और सभी नागरिकों को समान शिक्षा दिए जाने का कानून बनना चाहिए।
जंतर-मंतर पर आयोजित इस आंदोलन में आए लोगों ने इंडियन पीनल कोड (IPC) के कई कानूनों से संबंधित कॉपियाँ भी जलाईं। लोगों ने इंडियन एविडेंस एक्ट, इंडियन पेनल कोड 1860 एवं क्रिमिनल मैनुअल समेत कई कानूनों की कॉपियाँ फाड़ीं एवं जलाईं।
इस मामले में लॉ स्ट्रीट जर्नल कि वकील झनक शर्मा ने हमारी टीम से बातचीत में कहा कि कहीं न कहीं से तो आवाज़ उठानी पड़ती है। जब सर्वोच्च न्यायालय में इतनी याचिकाएँ डल चुकी हैं और उनका कुछ नतीजा नहीं निकल रहा है, तो अब जनता आंदोलन सड़कों पर लाई है। सुप्रीम कोर्ट केवल तारीख पर तारीख दे रहा था।
बहुचर्चित यूट्यूब चैनल ‘सत्य सनातन’ के संस्थापक अंकुर आर्य भी इस सभा में पहुँचे। अंकुर ने भी इन पाँचों कानूनों का समर्थन करते हुए जल्द से जल्द इन्हें पारित करने की बात कही। अंकुर आर्य पहले भी अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से हिंदुओं के कई महत्वपूर्ण मुद्दे सामने रखते रहे हैं।
इसके साथ-साथ वे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के विरुद्ध भी आवाज़ उठाने के लिए जाने जाते हैं।
अंकुर आर्य ने भी जंतर-मंतर पहुँच कर अंग्रेजी कानूनों के विरुद्ध अपनी उपस्थिति दर्ज कराई एवं मौके पर क्रिमिनल मैनुअल फाड़कर भी विरोध प्रदर्शन किया।