भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार (14 अप्रैल, 2021) को फ़्रांस एवं ऑस्ट्रेलिया के अपने समकक्षों के साथ ऑनलाइन बातचीत में कहा कि हिन्द-प्रशांत (इंडो-पैसिफ़िक) रचना एक वृहद समसामयिक दुनिया को प्रदर्शित करती है और यह शीत युद्ध को बढ़ावा देने के बजाय क्षेत्रीय सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि हिन्द-प्रशांत इस बात का स्पष्ट संदेश है कि भारत मलक्का जलडमरूमध्य और अदन की खाड़ी के बीच ही नहीं फंसा रहेगा, क्योंकि भारत के हित, प्रभाव और गतिविधियाँ इससे कहीं आगे तक हैं। उन्होंने कहा कि फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया इस कैनवास का हिस्सा हैं।
विदेश मंत्री का यह फ़ॉर्मूला भारतीय विदेश नीति के सन्दर्भ में दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में भारत के प्रभाव बढ़ाने की ओर इशारा करता है। जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत एक ऐसे निर्बाध विश्व को प्रदर्शित करता है जो ऐतिहासिक रूप से भारत-अरब आर्थिक कारोबारी संबंधों और वियतनाम एवं चीन के पूर्वी तटीय आसियान देशों के सांस्कृतिक प्रभाव के रूप में मौजूद था।
बुद्धवार को रायसीना संवाद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस के अपने समकक्ष, फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन और ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मैरिस पेन के साथ त्रिपक्षीय चर्चा की। इस दौरान उन्होंने भारत की अपनी नई भूमिका को ‘इतिहास की ओर वापसी’ के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि ‘हिन्द-प्रशांत’ भारत के पड़ोस को विस्तार दिया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत सहयोग की बनावट एक अधिक समकालीन दुनिया की झलक देती है साथ ही, यह शीतयुद्ध से उबरने और इसे दोबारा मजबूत नहीं करने को भी प्रतिबिंबित करता है। दरअसल, भारत और ऑस्ट्रेलिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘क्वाड समूह’ का हिस्सा हैं।
विदेश मंत्री का यह बयान पिछले माह ही रूस के विदेश मंत्री और अब रायसीना संवाद में ही भारत में रूस के राजदूत की तरफ से हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर गठित भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड समूह’ पर की गई टिप्पणियों के उत्तर के रूप में देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि रूस इस ‘क्वाड समूह’ का बड़ा आलोचक रहा है और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव इस संगठन को ‘एशियाई नाटो’ तक कह चुके हैं। बुधवार को रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने पश्चिमी देशों की हिंद-प्रशांत रणनीति को बेहद खतरनाक बताते हुए इसे शीत युद्ध को दोबारा जिंदा करने की कोशिश बताया।
‘क्वाड’ को ‘एशियाई नाटो’ की संज्ञा देने वाले रूस को जवाब देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह महज दिमागी खेल और नैरेटिव का हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्वाड देशों के एक साथ आने का उद्देश्य अपने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व वैश्विक हितों के लिए काम करने की राह ढूँढना है।
उन्होंने कहा कि यह शीत युद्ध से उबरने जैसा है, ना कि शीत युद्ध को बढ़ावा देता है। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि विदेश नीति चला रहे सभी लोगों को इसे इसी नजरिए से देखना भी चाहिए।