संविधान निर्माता और दलितों के चिंतक कहे जाने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रपौत्र राजरत्न अंबेडकर ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू व महात्मा गाँधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
फर्रुखाबाद में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि गाँधी और नेहरू साइमन कमीशन के पक्षधर थे और अगर बाबा साहब न होते तो देश के बहुजन समाज को मताधिकार का अधिकार नहीं मिलता।
श्रमण संस्कृति रक्षा आंदोलन भारत के बहुजन मैत्री सम्मेलन में बोलते हुए राजरत्न अंबेडकर ने कॉन्ग्रेस, नेहरू और गाँधी पर आरोप लगाते हुए कहा, “नेहरू और गाँधी आठवीं पास, इनकम टैक्स देने वाले व राजा महाराजा को वोट का अधिकार देने के पक्षधर थे।”
आगे उन्होंने कहा, “उन्होंने (गाँधी और नेहरू) साइमन कमीशन को स्वीकार कर लिया था, लेकिन बाबा साहब ने इसे स्वीकार नहीं किया। बाबा साहब ने भगवान बुद्ध, महात्मा फुले, संत रविदास, शाहू जी महाराज आदि महापुरुषों के बताए रास्ते पर चलकर भारतीय संविधान में बहुजन समाज को अधिकार दिलाए। “
मीडिया पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हम भाजपा व कॉन्ग्रेस के लिए काम नहीं कर रहे हैं, इस कारण मीडिया हमें नहीं दिखा रहा है। उन्होंने मीडिया पर आरोप जड़ते हुए कहा:
“देश की मीडिया ने भगवान बुद्ध के संदेश का प्रचार-प्रसार नहीं किया, इसलिए उन्होंने इंटरनेशनल बुद्धिष्ट सोसाइटी के माध्यम से भगवान बुद्ध के विचारों के प्रचार-प्रसार करने का निर्णय लिया।”
राजरत्न आंबेडकर ने सरकार पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से आवाज उठाई जा रही है कि प्रधानमंत्री नई संसद बनवा रहे हैं तो वहाँ नया संविधान भी लागू करेंगे। इस आवाज के खिलाफ प्रधानमंत्री ने अब तक कोई सफाई नहीं दी है, इसे समझना होगा।
पिछले साल जनवरी माह में बेंगलुरु में राजरत्न आंबेडकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक ‘आतंकी संगठन’ कह कर विवाद को जन्म दे दिया था, जिस पर काफी बवाल भी हुआ था।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था, “एक साध्वी ने दावा किया था कि जब भारतीय सेना के पास गोला-बारूद खत्म हो गया था तो आरएसएस ने सेना को गोला-बारूद उपलब्ध कराया था। क्या यह सवाल नहीं उठना चाहिए कि उनके पास गोला बारूद कहाँ से आया?”
आगे उन्होंने कहा था, “जिस भी संगठन के पास गोला बारूद पाया जाता है वह आतंकवादी संगठन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी भारत का एक आतंकी संगठन है। इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। इस संगठन के लोग आतंकवादी कृत्यों में लिप्त हैं, जिसके सबूत हमारे पास हैं।”
राजरत्न अंबेडकर बाबा साहब की चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं। दरअसल राजरत्न अंबेडकर बाबा साहब के बड़े भाई आनंद राव के प्रपौत्र हैं राजरत्न के पिता का नाम अशोक अंबेडकर है।
राजरत्न अंबेडकर का मत है कि बाबा साहब ने एक बौद्ध के रूप में बौद्ध धम्म को अपनाया था और दलित समाज के दबे कुचले जातियों को हिन्दू दलदल से बाहर निकाला था। उनका मानना है कि बाबा साहब ने संपूर्ण भारत को बौद्धमय बनाने का सपना देखा था, इसी को पूरा करने के लिए उन्होंने बौद्ध धम्म का प्रचार प्रसार करने का निर्णय लिया है।
राजरत्न अंबेडकर बाबा साहेब द्वारा वर्ष 1955 में स्थापित बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के चौथे और वर्तमान अध्यक्ष हैं। इसी के माध्यम से वह बाबा साहब और भगवान बुद्ध के विचारों का प्रचार-प्रसार हिंदू दलित जातियों के बीच करते हैं। साधारण शब्दों में कहें तो वह हिन्दू दलितों का बौद्ध धर्म में मतान्तरण करते हैं।
बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया संगठन, ‘वर्ल्ड फैलोशिप बुद्धिस्ट’ नामक बौद्ध धर्म की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था का सदस्य भी है। वह अंबेडकरवादी बौद्धों के लिए ‘नव-बौद्ध’ और ‘दलित’ जैसे शब्दों पर भी आपत्ति जताते हैं क्योंकि यह शब्द उन्हें हिन्दू धर्म से जोड़ते हैं।