भूमिपूजन के एक साल बाद क्या कुछ बदला है राम मंदिर में: ग्राउंड रिपोर्ट

05 अगस्त, 2021 By: संजय राजपूत
5 दशक के वनवास के बाद राम फिर अयोध्या लौटे हैं

कहते हैं कि भारत को समझना है तो आपको यहाँ के लोगों को समझना होगा और अगर यहाँ के लोगों को समझना है, तो आपको श्री राम को समझना होगा, जन-जन के राम को। और राम को समझना है तो आपको अयोध्या को समझना होगा। श्री राम जो पैदा तो हुए थे अयोध्या के राजमहल में और भटके वन-वन! राम का सम्पूर्ण जीवन ही संघर्षों की एक महा-गाथा है।

राम का जीवन रंगभूमि नहीं था, बल्कि रण-भूमि था। उनके लिए राज-पाट, उत्सव, नृत्य महत्वहीन थे। वो अपनों द्वारा छले गए मगर उनके चेहरे पर कभी किसी के प्रति कोई शिकन नहीं रही। श्री राम दयालू थे। निष्ठुर होना आसान है, मगर दयालू होने के लिए असीम आत्मशक्ति की आवश्यकता होती है। उन्होंने सिखाया कि राजा होने का अर्थ राज्य का स्वामी होना नहीं होता, उन्होंने सिखाया कि राज्य राजा की व्यक्तिगत सम्पत्ति नहीं होता।


राजा होने का अर्थ है, प्रजा की सेवा सर्वप्रथम। उन्होंने बताया कि रामराज्य अर्थ राजा का शक्तिशाली होना नहीं, बल्कि प्रजा का शक्तिशाली होना है, जो बिना डरे राजा से भी सवाल कर सके। श्री राम आम लोगों के लिए ही बैकुण्ठ से आए थे, वो आम लोगों की तरह जिए और उन्होंने आम लोगों की तरह ही हर कठिनाई का भी सामना किया।

राम आम लोगों की तरह हँसे, आम लोगों की तरह रोए। श्री राम का जीवन शिक्षाओं का महा-ग्रन्थ है। वो मर्यादा पुरुषोत्तम थे, मर्यादा से बंधें थे। वे कभी अमर्यादित नहीं हुए, भले ही कितनी भी मुसीबतें आईं हो। वो अपने समय के सबसे शक्तिशाली राज्य के युवराज और होने वाले राजा थे। उनकी पत्नी का अपहरण हुआ, तब भी उन्होंने विश्वरूप नहीं दिखाया, बल्कि आम इंसान की तरह असहाय होकर रोए।

“सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना। भरि आए जल राजिव नयना॥ बचन कायँ मन मम गति जाही। सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही॥”

उनके पास विशाल सेना थी, मगर उन्होंने मर्यादा तोड़कर अयोध्या से सेना बुलाकर रावण से युद्ध नहीं किया। उन्होंने बिना संकोच या राजा होने का अभिमान दिखाए वनवासियों की सहायता ली और रावण को पराजित किया। शक्तिशाली होने के बावजूद वो दयालू थे, वो किसी से घृणा नहीं करते थे, अपनी पत्नी का अपहरण करने वाले रावण से भी नहीं।


उन्होंने अपनी पत्नी को मुक्त कराया मगर बिना मर्यादा तोड़े! नियमों से बँधे रहकर युद्ध करते हुए। श्री राम खुशी खुशी चौदह वर्ष तक अयोध्या से, अपने घर से दूर रहे, उन्होने किसी से शिकायत नहीं की। त्रेता में उन्हें बेघर कर दिया गया। हज़ारों साल बाद कलियुग में उन्हें फिर से बेघर कर दिया गया, वो तिरपाल के नीचे रहे। श्री राम बाबर से भी मर्यादा में रहकर लड़े। नियमों और मर्यादा के साथ रहते हुए, उसे हराकर अपना घर वापस लिया।

उन्होंने बाबर को भी बिना अमर्यादित हुए, नियमों के साथ लड़कर पराजित किया। वो 500 वर्षों तक अपने घर से अलग तिरपाल के नीचे रहे, लेकिन उन्होंने किसी के शिकायत नहीं की। अयोध्या ने त्रेता में भी चौदह वर्षों तक उनकी प्रतीक्षा की, अयोध्या ने कलियुग में भी 500 वर्षों तक उनकी प्रतीक्षा की।

अयोध्या, मंदिरों का नगर, भगवान श्री राम की जन्मस्थली। सप्तपुरियों में से एक ऐसी नगरी जिसने आदर्श और मर्यादा के प्रतिमान गढ़े गए। वह भूमि जहाँ प्रभु श्री राम ने जन्म लिया। अयोध्या जिसकी रक्षा करते हैं हनुमान गढ़ी में विराजमान वीर हनुमान! कुछ दूरी पर स्थित कनक भवन में भगवान राम आज भी शयन करने आते हैं।

अयोध्या की गलियों में श्री राम अपने भाईयों के साथ धनुष-बाण से खेले होंगे। यहाँ की हवा के आज भी रामलला की किलकारियाँ गूँजती है। श्री राम के जन्म से लेकर मुग़ल आक्रांता और लुटेरे बाबर के आक्रमण और गुंबद के गिराए जाने से लेकर आज तक अयोध्या ने एक लंबा सफर तय किया है। अयोध्या अब आधुनिक हो रही है। अयोध्या हज़ारों बार उजड़ी और हज़ारों बार बसी।


बदलने लगी है अयोध्या

वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट से रामलला के पक्ष के फैसला आने के बाद से अयोध्या फिर से बस रही है। आधुनिक एयरपोर्ट से लेकर नई तकनीक से सुसज्जित रेलवे का निर्माण कार्य जोरों से जारी है। धर्मनगरी अयोध्या भक्ति और आधुनिकता का संगम है। सरयू का तट पर राम की पैड़ी सौन्दर्यीकरण के बाद मन को मोह लेती है। सरयू की इन्हीं शीतल लहरों ने कभी प्रभु श्री राम का अभिस्पर्श किया होगा।

अयोध्या की साँसों में आज भी राम बसे हैं, हज़ारों साल और कई युग बीतने में बाद भी। अगर आपकी श्रीराम के आस्था है तो अयोध्या की हर गली, हर नुक्कड़ में आप राम को आज भी महसूस कर सकते हैं। इन गलियों में भगवान राम अपने नन्हे नन्हे कदमों से दौड़े होंगे। फिर उन्ही कदमों से उन्होंने अयोध्या छोड़ी होगी और जंगल गए होंगे।

बार बार अपनी ही भूमि पर बेघर किए गए राम एक बार फिर अयोध्या लौटे। 5 दशकों बाद कोर्ट के आदेश से उन्हें घर मिला। पिछले साल 5 अगस्त को भव्य श्री राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ। एक साल पूरा हो चुका है, उम्मीद है जल्द ही उनका भव्य मंदिर बन जाएगा।

राम ऐसा चरित्र हैं जो धर्म और मान्यताओं से परे 65 देशों में आस्था का प्रतीक हैं, उन्हें एक मन्दिर में बाँधा नहीं जा सकता।


बात मन्दिर की थी भी नहीं, बात थी उस जिद, अहंकर , झूठ और धर्मनगरी अयोध्या की पवित्र भूमि पर सीना ताने खड़े कलंक की, जो करोड़ो लोगों की आस्था प्रभु राम के अस्तित्व को नकार रहा था। अयोध्या अब कलंक से मुक्त है। भूमि पूजन से लेकर अब तक अयोध्या लगातार बदल रही है। आधुनिकता और आस्था के संगम में गोता लगाती धर्मनगरी अयोध्या की मिट्टी माथे पर सरयू के जल के साथ मिलकर अठखेलियाँ करती है।

कलंक से मुक्त होकर अयोध्या एक बार फिर प्रभु राम के स्वागत को सज-संवर रही है, विकास के नए कीर्तिमान गढ़ रही है। यहाँ की मिट्टी आज भी श्री राम की खुशबू से महकती है। राम को महसूस करना है, तो अयोध्या अवश्य आइए। अगर आप राम को नहीं मानते तब भी अयोध्या आइए। यकीन मानिए सरयू की रेत पर टहलते हुए आपको दो कदमों के साथ चलते दो नन्हे पग और दिखेगें, रामलला के।

रामलला हर पल आपके साथ रहते है। रामलला आपका हर सुख हर दुख समझते हैं। सरयू के जल में गिरा हमारा एक एक आँसू पहचान लेते हैं राम। श्री राम का जन्म तो एक युग में राज करने के लिए हुआ था, लेकिन वो आज हज़ारों साल बाद भी लोगों के हृदय में आस्था का केंद्र बनकर राज करते है करोड़ो लोगों की आस्था के प्रतीक राम जन जन के हृदय में बसे हुए हैं।

युग पर युग बीतते गए मगर श्री राम लोगों के हृदय से कभी नहीं गए। वो आज भी अयोध्या की हवा में मौजूद हैं और अपनी अपने होने का एहसास करते हैं। प्रभु राम अयोध्या की मिट्टी में रचे बसे हैं। अयोध्या, जिसे बसाया था मनु ने। अयोध्या अर्थात जहाँ कभी युद्ध न हो। अयोध्या नहीं, श्री अयोध्या जी कहिए,

“अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:।।”



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