वित्तीय वर्ष 2021-22 की अप्रैल से जून माह की तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 20.1% से बढ़ी है। 31 अगस्त को सरकार द्वारा इस विषय में जानकारी साझा की गई।
वित्तीय वर्ष 2021 में अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी में 24.4% की कमी आई थी क्योंकि देश में वुहान लैब से निकला चीनी वायरस कहर बरपा रहा था। उसी की रोकथाम के लिए सारे देश में लॉकडाउन लगाया गया था। बता दें कि यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक का अर्थव्यवस्था में आई सबसे तेज़ कमी की तिमाही थी।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के 41 अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2021 के अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी के 20% बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहली तिमाही में GDP में 21.4% की वृद्धि का अनुमान लगाया था।
31 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों से यह सामने आया है कि पहली तिमाही के लिए जोड़ा गया रियल ग्रॉस वैल्यू 18.8% बढ़ा है। व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं में साल-दर-साल सबसे बड़ी वृद्धि 68.3% की देखी गई।
इस क्षेत्र में पिछले वर्ष की समान अवधि में ही 48.1% की सबसे तीव्र गिरावट देखी गई थी। मैन्युफैक्चरिंग यानी उत्पादन की बात करें जो गत वर्ष अप्रैल-जून में 36% गिर गया था। वहीं, आँकड़ा 49.6% की वृद्धि के साथ पुनः ऊपर आया है।
गत वर्ष से अब तक चीनी वायरस के कारण GDP के आँकड़ों में केवल गिरावट ही आई है। जहाँ एक ओर वामपंथी मीडिया पिछले साल से इस मामले में केंद्र सरकार की लगातार आलोचना में लगा हुआ था, वहीं अब ये सभी पत्रकार शांत नज़र आ रहे हैं।
हालाँकि आँकड़े यह संकेत देते हैं कि रिकवरी पिछले वर्ष में गिरावट की तरह तेज़ नहीं रही जिसका मुख्य कारण मई माह में आई कोरोना की दूसरी लहर है।