राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर और संघ के 96वें स्थापना दिवस को मनाते समय नागपुर में सभा को संबोधित किया। इस दौरान मोहन भागवत ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि किसी को अपनाने के लिए पहले हमें शक्ति संपन्न होना होगा और इतना सामर्थ्य जुटानी होगी कि जो हाथ उठाए उसका हाथ न रहे।
जहाँ भारत का वामपंथी धड़ा हमेशा से आरएसएस और उसके विचारों का विरोध करता रहता है वहीं पिछले कुछ दिनों में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कई बयानों को लेकर भारतीय दक्षिणपंथी भी उनकी आलोचना करते दिख रहे हैं।
दरअसल कुछ ही समय पूर्व आरएसएस प्रमुख द्वारा हिंदू और मुस्लिमों का डीएनए एक होने जैसे बयान दिए गए थे, जिस पर कुछ हिंदू समुदाय के लोगों ने मोहन भागवत की टिप्पणी से सम्बन्ध न रखते हुए उनकी आलोचना की।
हाल ही में विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस प्रमुख ने संघ का स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान मोहन भागवत ने नागपुर में स्वयंसेवकों की एक सभा को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ लेते हुए कहा:
“भारत में आप सभी व्यवस्थाओं सभी उपासनाओं को स्वीकार कर सकते हैं। यह बात भी सही है की दो उपासनाएँ आक्रमणकारियों के रूप में भारत में आई हैं और दो उपासनाएँ शरणार्थी के रूप में यहाँ आईं-जो कि यहूदी और पारसी हैं। इस्लाम और ईसाइयत भारत में आक्रमणकारियों के साथ आईं और उन्हीं के साथ बढ़ीं, परंतु यह इतिहास है और आज उन आक्रमणकारियों के साथ किसी का कोई नाता नहीं है।”
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि भारत में वर्तमान में रहने वाले सभी उन पूर्वजों के ही वंशज हैं जो अखंडता को एकता का आविष्कार मान कर सबका स्वीकार और सम्मान किया करते थे। हिंदू समाज को अपने छोटे-छोटे अहंकार भूल कर सबको अपनाने की नियत रखनी चाहिए। हमें किसी को अपनाते समय डर नहीं लगना चाहिए।
उन्होंने कहा:
“डर तभी लगता है जब आप शक्ति संपन्न न हों। हमें शक्ति संपन्न होना पड़ेगा। जो हाथ उठाए उसका हाथ न रहे, इतना सामर्थ्य होना चाहिए, परंतु इस सामर्थ्य का उपयोग होना चाहिए दुर्बलों की रक्षा के लिए। दुनिया शक्ति की है और बिना शक्ति वो सत्य को भी नहीं मानती है। तो हिंदू समाज को अपने भेद भूलकर संगठित होना पड़ेगा।”
विभाजन को याद करते हुए संघ प्रमुख ने उसे एक दुखद इतिहास बताया और कहा कि आने वाली पीढ़ी जो स्वतंत्रता के बाद पैदा हुई है उसे उस इतिहास की जानकारी होनी चाहिए ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो और खोया हुआ वापस आ सके।
नई पीढ़ी की बात करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि लॉकडाउन में बच्चों के हाथों में भी मोबाइल फोन आ गया है। उस पर ओटीटी प्लेटफॉर्म क्या दिखा रहे हैं और बच्चे क्या देख रहे हैं इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है।
साथ ही मोहन भागवत ने क्रिप्टोकरंसी जैसे कि बिटकॉइन की बात करते हुए भी कहा कि इन चीजों पर किसका नियंत्रण है, यह किसी को नहीं पता। साथ ही देश की नई पीढ़ी को देश के बाहर से आए नशे की लत लगाई जा रही है और इससे बनने वाला पैसा देश विरोधी गतिविधियों में लगाया जाता है। उन्होंने कहा:
“इन सब बातों को नियंत्रित करना और समाज के हित में चलाना, ड्रग्स जैसी समस्याओं का निवारण करने का कार्य शासन को करना पड़ेगा।”
देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि विदेशी घुसपैठ और मतांतरण जैसे कृत्यों के कारण देश के सीमावर्ती इलाकों में बढ़ती जनसंख्या देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक पहचान के लिए गंभीर समस्या बन सकती है।
पड़ोसी देश पर निशाना साधते हुए संघ प्रमुख ने पाकिस्तान और तालिबान के विषय में कहा कि तालिबान से सावधान रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा:
“जिस समय तालिबान खड़ा हुआ था तो उसका समर्थन करने वालों में रूस और तुर्की थे। चीन और पाकिस्तान तो आज भी इसका समर्थन करते हैं। तालिबान अगर बदल भी गया हो तो क्या पाकिस्तान बदला है?”
उन्होंने देश की सुरक्षा के विषय में बात करते हुए सीमा सुरक्षा के साथ-साथ आज के समय को देखते हुए इंटरनेट की दुनिया में साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में भी सुरक्षित रहने की बात कही।